{ads}

6/recent/ticker-posts

हाथी और चींटी - Elephant and Ant

हाथी और चींटी

कहानी

जंगल का वातावरण और हाथी 

यह जंगल बहुत घना और हरा-भरा था। हर कोने में तरह-तरह के पेड़ थे—विशाल बरगद, घने सागवान, और ऊँचे-ऊँचे बांस। दिन के समय सूरज की रोशनी बड़ी मुश्किल से इन पेड़ों की घनी पत्तियों के बीच से झाँक पाती थी। पक्षियों का कलरव, हवा में पेड़ों की सरसराहट और छोटे जीवों की हलचल से पूरा जंगल जीवंत लगता था।

इसी जंगल में एक शक्तिशाली और विशाल हाथी रहता था। वह जितना बड़ा था, उतना ही घमंडी भी। उसके पास ताकत थी, और वह अक्सर अपनी इस ताकत का उपयोग छोटे जानवरों को डराने और उनकी शांति भंग करने के लिए करता था। जंगल के बाकी जानवर उससे डरते थे, परंतु उनके मन में उसके प्रति कोई सम्मान नहीं था। उसके घमंड और बुरे व्यवहार के कारण सभी उससे बचकर रहते।

2. हाथी की शरारतें और छोटे जानवरों की पीड़ा

हाथी की आदत थी कि जब भी वह छोटे जानवरों को देखता, तो उन्हें बेवजह परेशान करता। कभी उनकी राह रोक देता, तो कभी जोर से आवाज निकालकर उन्हें डराता। खरगोश, गिलहरी, चूहे और कछुए जैसे छोटे जीव हमेशा उसके शिकार बनते। हाथी का मानना था कि उसका यह मजाक छोटे जीवों के लिए कोई खास समस्या नहीं है, लेकिन असल में उनके लिए यह भयानक था।

एक दिन, हाथी ने देखा कि चूहों का एक झुंड भोजन की तलाश में जा रहा है। उसने अपनी सूंड से झुंड के बीच धूल उड़ा दी। चूहे घबरा गए और भागने लगे। एक चूहे का बच्चा तो इतना डर गया कि वह वहीं बेहोश हो गया। उसकी माँ ने उसे सँभाला और हाथी की ओर गुस्से से देखा, पर वह कुछ बोल नहीं पाई। सभी छोटे जानवर हाथी की इस क्रूरता से परेशान थे, लेकिन उनकी हिम्मत नहीं होती थी कि वे उसका सामना कर सकें।

3. चींटी का चरित्र और उसका साहस

इस जंगल में चींटियों का एक समूह भी रहता था। वे मेहनती थीं और दिन-रात मेहनत करके अपना भोजन जुटाती थीं। चींटी का स्वभाव साहसी और निडर था। वह जानती थी कि यदि वह छोटी है, तो भी उसमें हिम्मत और धैर्य है। उसका मानना था कि किसी का आकार उसकी ताकत का पैमाना नहीं होता।

चींटी ने कई बार हाथी को छोटे जानवरों को परेशान करते देखा था। एक दिन जब हाथी ने चींटियों की कतार को पानी में बहा दिया, तब उसकी सहनशीलता की सीमा समाप्त हो गई। उसने सोचा कि अब और नहीं, अब समय आ गया है कि हाथी को उसकी गलती का अहसास कराया जाए।

4. चींटी का हाथी को चेतावनी देना

चींटी ने हिम्मत जुटाकर हाथी के सामने जाने का निश्चय किया। उसने हाथी से कहा, "तुम अपनी ताकत का घमंड क्यों करते हो? यह ताकत तुम्हें दूसरों की सहायता के लिए मिली है, न कि उन्हें तंग करने के लिए।"

हाथी ने उसकी बात को मजाक में उड़ाते हुए कहा, "तुम जैसी छोटी चींटी मेरे सामने कुछ भी नहीं हो। मेरी ताकत के आगे तुम्हारी कोई औकात नहीं है। तुम मुझसे बात करने की हिम्मत कैसे कर सकती हो?"

चींटी ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया, "तुम्हारे जैसे घमंडी के लिए घमंड ही सबसे बड़ी सजा है। देख लेना, एक दिन यह घमंड तुम्हें नुकसान पहुँचाएगा।"

हाथी इस पर हँसते हुए चला गया और उसे लगा कि एक छोटी सी चींटी उससे जीत नहीं सकती।

5. छोटे जानवरों की बातचीत और चींटी की योजना

हाथी के जाने के बाद सभी छोटे जानवर चींटी के पास आए और उसकी साहसिकता की सराहना करने लगे। खरगोश ने कहा, "तुम्हारी हिम्मत देखकर हमें भी प्रेरणा मिली है। हमने हमेशा हाथी को अपने से बहुत बड़ा समझा, लेकिन तुमने हमें सिखाया कि साहस सबसे बड़ा होता है।"

गिलहरी ने कहा, "हमें मिलकर हाथी को सबक सिखाना चाहिए। वह हमारी शांति भंग करता रहता है।" सभी छोटे जानवरों ने मिलकर चींटी की योजना में सहयोग करने का निश्चय किया।

चींटी ने अपनी योजना को समझाते हुए कहा, "हाथी को उसकी गलती का अहसास दिलाना होगा। हम उसे यह सिखाएँगे कि किसी का आकार उसकी ताकत का परिचायक नहीं होता।"

6. हाथी को सबक सिखाने की तैयारी

अगले दिन हाथी थककर सो रहा था। चींटी ने चुपके से अपने कुछ साथियों के साथ उसके पास जाने का निर्णय लिया। उसने अपने दोस्तों को निर्देश दिया कि वे उसकी मदद के लिए तैयार रहें। जब हाथी गहरी नींद में था, तो चींटी धीरे-धीरे उसके कान के अंदर चली गई। उसने वहाँ जाकर उसे हल्का-हल्का काटना शुरू किया। हाथी अचानक दर्द से चिल्लाने लगा। वह अपनी सूंड से अपने कान को रगड़ता रहा, लेकिन चींटी को बाहर नहीं निकाल सका।

जंगल के सारे जानवर यह दृश्य देख रहे थे और उनके मन में एक प्रकार की संतोष की भावना थी। वे जानते थे कि यह सबक हाथी को उसकी गलतियों का एहसास दिलाने के लिए है। हाथी दर्द से परेशान होकर जंगल में इधर-उधर भागने लगा, लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली।

7. हाथी का पश्चाताप और माफी माँगना

अंततः दर्द और घबराहट से थककर हाथी ने चींटी से माफी माँगी। उसने कहा, "मुझे माफ कर दो। मैं समझ गया हूँ कि घमंड करना गलत है। मेरी ताकत का गलत इस्तेमाल दूसरों के लिए कितना कष्टकारी हो सकता है, यह आज महसूस हुआ।"

चींटी ने उसकी माफी स्वीकार की और कहा, "तुम्हारी शक्ति का असली उपयोग दूसरों की मदद में होना चाहिए, न कि उन्हें तंग करने में। असली ताकत विनम्रता और समझदारी में होती है।"

हाथी ने सभी छोटे जानवरों से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब से अच्छा व्यवहार करेगा।

8. जंगल में शांति और खुशी की वापसी

हाथी के इस बदलाव से जंगल में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी जानवर अब स्वतंत्र होकर जीवन जीने लगे और हाथी के साथ मित्रता का रिश्ता बना लिया। हाथी ने भी अपने घमंड को छोड़कर हर किसी की सहायता करना शुरू कर दिया।

अब वह जंगल का रक्षक बन गया था और जब भी किसी जानवर को मदद की जरूरत होती, तो वह खुशी-खुशी उनकी सहायता करता। इसके बाद जंगल में सबके बीच आपसी प्रेम और सद्भावना का माहौल बन गया।


शिक्षा

इस विस्तारित कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि घमंड चाहे कितना भी बड़ा हो, वह हमेशा विनम्रता और समझदारी के सामने झुक जाता है। किसी भी शक्ति का दुरुपयोग करना गलत है। हमें अपनी ताकत का सही उपयोग कर सभी को आदर और सम्मान देना चाहिए, जिससे समाज में शांति और सद्भावना बनी रहे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ