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हाथी और चींटी: अहंकार और समझदारी की अनोखी कहानी - Elephant and Ant

हाथी और चींटी: अहंकार और समझदारी की अनोखी कहानी

1. हरा-भरा जंगल और घमंडी हाथी

बहुत समय पहले की बात है, एक विशाल और हरा-भरा जंगल था। जंगल में ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे, जिनकी शाखाएँ आकाश को छूती थीं। घनी झाड़ियों के बीच छोटे-छोटे जीव अपना जीवन व्यतीत करते थे। जंगल की हर सुबह पक्षियों की मधुर चहचहाहट से शुरू होती थी और शाम होते ही रंग-बिरंगे फूलों से सुगंध फैल जाती थी।

इसी जंगल में एक बहुत ही बड़ा और शक्तिशाली हाथी रहता था। उसका नाम था गजराज। गजराज का शरीर विशाल था, चमकती हुई गहरी ग्रे रंग की त्वचा और दो बड़ी सफेद दाँतें उसे और भी डरावना बनाती थीं। जब वह जंगल में चलता, तो धरती थरथरा उठती, और जब वह चिंघाड़ता, तो दूर-दूर तक उसकी आवाज़ गूँजती।

परंतु गजराज की ताकत के साथ-साथ उसमें एक बहुत बड़ी कमी भी थी—उसका घमंड! वह खुद को जंगल का राजा समझता था। उसे लगता था कि जंगल में कोई भी उससे बड़ा और ताकतवर नहीं है। इस घमंड में वह छोटे जीवों का मजाक उड़ाता और उन्हें सताता रहता।

2. जंगल के छोटे जीवों की परेशानी

गजराज को अपनी ताकत दिखाने का एक ही तरीका आता था—छोटे और कमजोर जानवरों को डराना। जब वह किसी खरगोश या गिलहरी को देखता, तो ज़ोर से चिंघाड़कर उसे भागने पर मजबूर कर देता। जब भी किसी तालाब के पास पानी पीने जाता, तो अपने भारी पैरों से ज़ोर से पानी में धमाके करता, जिससे पानी के किनारे बैठे छोटे जीव इधर-उधर बिखर जाते।

एक बार, जंगल के चूहों का एक झुंड अपने खाने की तलाश में निकला था। गजराज मस्ती के मूड में था, उसने अपनी सूंड उठाई और ज़ोर से धूल उड़ाई। अचानक उड़ती धूल से चूहे घबरा गए और भागने लगे। एक नन्हा चूहा डर के मारे बेहोश हो गया। उसकी माँ उसे उठाने की कोशिश करने लगी, लेकिन गजराज को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।

"अरे! ये छोटे जीव कितने कमज़ोर हैं! मेरी ताकत के आगे ये कुछ भी नहीं!" गजराज ज़ोर से हँसा और अपनी भारी चाल से जंगल में आगे बढ़ गया।

छोटे जीवों के लिए यह रोज़ की बात हो गई थी। वे सभी इस हाथी से परेशान हो चुके थे, लेकिन उनकी हिम्मत नहीं थी कि वे उसका सामना कर सकें।

3. एक छोटी लेकिन हिम्मती चींटी

इसी जंगल में एक छोटी-सी लेकिन बहुत चतुर और मेहनती चींटी भी रहती थी। उसका नाम था चिकी। चिकी अपने समूह के साथ मेहनत करके खाना इकट्ठा करती और अपने घर में सुरक्षित रखती। हालाँकि वह आकार में बहुत छोटी थी, लेकिन उसमें आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं थी।

चिकी ने कई बार गजराज को छोटे जीवों को परेशान करते देखा था, लेकिन जब एक दिन हाथी ने उसकी चींटियों की कतार पर पानी डाल दिया और उनकी मेहनत बर्बाद कर दी, तब उसका धैर्य टूट गया।

"अब बहुत हो गया! इस अहंकारी हाथी को सबक सिखाना ही होगा!" चिकी ने मन ही मन ठान लिया।

4. चींटी की चुनौती और हाथी का घमंड

अगली सुबह, चिकी गजराज के पास पहुँची और पूरी हिम्मत से बोली,
"गजराज, तुम्हारी ताकत का कोई मतलब नहीं, अगर तुम उसका गलत उपयोग करते हो। असली ताकत तो दूसरों की मदद करने में होती है, न कि उन्हें सताने में!"

गजराज ने नीचे देखा और छोटी-सी चींटी को देखकर ज़ोर से हँसा।
"हाहाहा! तुम इतनी छोटी-सी चींटी मुझे सीख देने आई हो? मेरी ताकत के सामने तुम कुछ भी नहीं! जाओ, अपने काम से काम रखो!"

चिकी मुस्कुराई और बोली,
"घमंड ज्यादा देर तक नहीं टिकता, गजराज। अगर तुम अपने अहंकार से बाज़ नहीं आए, तो तुम्हें पछताना पड़ेगा!"

गजराज ने उसकी बात को मजाक समझकर नजरअंदाज कर दिया और फिर अपनी मस्ती में निकल पड़ा। लेकिन चिकी जानती थी कि उसे कैसे सबक सिखाना है।

5. चींटी का जबरदस्त बदला

अगली सुबह जब सूरज की पहली किरण जंगल में फैली, तब गजराज गहरी नींद में सो रहा था। उसकी भारी साँसें जंगल में गूँज रही थीं। यही सही मौका था!

चिकी चुपचाप उसके पास पहुँची और धीरे-धीरे उसकी सूंड के रास्ते कान के अंदर चली गई। अंदर जाते ही उसने ज़ोर-ज़ोर से काटना शुरू कर दिया!

"आह! यह क्या हो रहा है?" गजराज दर्द से कराह उठा। उसने अपनी सूंड से कान खुजलाने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी फायदा नहीं हुआ।

अब चिकी ने और तेज़ काटना शुरू कर दिया।
गजराज दर्द से बौखला गया। वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा, अपने सिर को पेड़ों से टकराने लगा, कभी ज़मीन पर लोटने लगा, लेकिन चींटी इतनी अंदर थी कि उसे बाहर निकाल पाना असंभव था।

"कोई मेरी मदद करो! यह दर्द असहनीय है!" गजराज जंगल में भागता रहा, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर सका।

6. हाथी की हार और पश्चाताप

गजराज अब पूरी तरह से बेबस हो चुका था। वह जंगल के बाकी जानवरों के पास पहुँचा और उनसे मदद की गुहार लगाने लगा।

आखिरकार, चींटी ने कहा,
"अगर तुम अपने घमंड को छोड़कर सभी छोटे जीवों को सम्मान देने का वादा करो, तो मैं तुम्हें छोड़ सकती हूँ।"

गजराज ने दर्द से कराहते हुए कहा,
"हाँ, हाँ! मैं वादा करता हूँ कि अब कभी किसी छोटे जीव को तंग नहीं करूँगा! कृपया मुझे छोड़ दो!"

चिकी ने यह सुनते ही धीरे-धीरे बाहर आना शुरू किया। जैसे ही वह बाहर निकली, गजराज को एक अजीब-सी राहत महसूस हुई। अब उसे समझ आ चुका था कि घमंड का कोई फायदा नहीं होता।

7. जंगल में शांति की वापसी

इसके बाद गजराज ने अपने वचन को निभाया। अब वह जंगल के सभी जीवों का मित्र बन गया। वह अपने विशाल शरीर का उपयोग अब छोटे जीवों की रक्षा के लिए करने लगा। जब भी जंगल में कोई संकट आता, वह अपनी ताकत से सबकी मदद करता।

धीरे-धीरे, जंगल के सभी जानवर निश्चिंत होकर रहने लगे। चूहों का झुंड आराम से घूमने लगा, खरगोश और गिलहरियाँ बिना डर के खेलते रहे और चींटियाँ फिर से अपनी मेहनत से खाना इकट्ठा करने लगीं।

गजराज और चिकी की यह कहानी जंगल में एक प्रेरणा बन गई। अब सभी को यह समझ आ चुका था कि सच्ची ताकत सिर्फ शारीरिक बल में नहीं, बल्कि समझदारी और सहृदयता में होती है।

8. सीख

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि घमंड चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, समझदारी और हिम्मत से हमेशा उसे हराया जा सकता है। सच्ची ताकत वही होती है, जो दूसरों की भलाई के लिए इस्तेमाल की जाए। हमें हमेशा विनम्र और दयालु रहना चाहिए, क्योंकि कोई भी व्यक्ति इतना बड़ा नहीं होता कि उसे कभी किसी की मदद की ज़रूरत न पड़े!

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