कौवा, काला सांप, और बुद्धिमान गिद्ध
कहानी:
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक बड़ा सा पेड़ था। उस पेड़ की एक ऊँची शाखा पर एक कौवा और उसकी पत्नी रहते थे। वे दोनों खुशी-खुशी अपने घोंसले में रहते थे। कौवे ने अपने अंडों की पूरी देखभाल की, और उन्हें उम्मीद थी कि उनके अंडों से जल्द ही नन्हे बच्चे निकलेंगे।
लेकिन उसी पेड़ के नीचे, एक बिल में एक काला सांप रहता था। वह सांप बहुत ही खतरनाक और धूर्त था। जैसे ही कौवा और उसकी पत्नी कहीं बाहर जाते, सांप उनके घोंसले में जाकर उनके अंडों को खा जाता था। जब कौवा और उसकी पत्नी वापस लौटते, तो उन्हें अपने अंडे गायब मिलते। वे बहुत दुखी और परेशान हो जाते थे।
कई बार ऐसा हुआ और कौवे ने सोचा, "यह सांप हमारे अंडों को बार-बार खा जाता है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हमारे बच्चे कभी पैदा नहीं हो पाएंगे। हमें कुछ करना होगा।"
कौवे की पत्नी ने भी चिंता जताई और कहा, "हमें इस समस्या का कोई हल निकालना होगा। अगर हम कुछ नहीं करेंगे, तो हमारी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी।"
कौवे ने सोचा और फिर मदद के लिए अपने दोस्त, बुद्धिमान गिद्ध के पास गया। गिद्ध जंगल का सबसे समझदार और अनुभवी पक्षी था। उसने हमेशा हर मुश्किल का हल निकाला था।
कौवा गिद्ध के पास गया और अपनी सारी परेशानी बताई। गिद्ध ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर मुस्कुराते हुए कहा, "चिंता मत करो, मेरे दोस्त। मैं तुम्हें एक योजना बताता हूँ, जिससे तुम उस सांप से बदला ले सकते हो और अपने अंडों को सुरक्षित रख सकते हो।"
गिद्ध ने कौवे को एक चालाक योजना सुझाई। उसने कहा, "तुम्हें राजा के महल में जाना होगा। वहाँ रानी की पोशाक के पास एक कीमती हार रखा होता है। जब कोई आसपास न हो, तो तुम उस हार को उठाकर अपने घोंसले में ले आना। लेकिन ध्यान रखना, तुम्हें वह हार सांप के बिल के पास गिराना होगा।"
कौवे ने गिद्ध की सलाह मानी और अगले दिन राजा के महल की ओर उड़ चला। जैसे ही उसे मौका मिला, उसने रानी के हार को उठाया और उसे अपने घोंसले की ओर ले गया। रास्ते में, उसने गिद्ध की योजना के अनुसार हार को सांप के बिल के पास गिरा दिया।
जब महल के सेवकों ने देखा कि रानी का हार गायब हो गया है, तो वे तुरंत उसकी तलाश में जंगल की ओर दौड़ पड़े। हार को ढूँढते-ढूँढते वे सांप के बिल तक पहुंच गए। सेवकों ने बिल में देखा और वहाँ हार पाया। लेकिन जैसे ही उन्होंने हार को निकालने की कोशिश की, काला सांप बाहर आ गया।
सेवकों ने तुरंत अपने डंडों और लाठियों से सांप पर हमला कर दिया। सांप को मार दिया गया और हार को वापस महल में ले जाया गया।
कौवा और उसकी पत्नी ने राहत की सांस ली। अब उनके अंडे सुरक्षित थे, और जल्द ही उनके घोंसले में नन्हे कौवे पैदा हुए। कौवा और उसकी पत्नी ने गिद्ध का धन्यवाद किया और खुशी-खुशी अपने बच्चों के साथ रहने लगे।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमें धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। शत्रुओं को पराजित करने के लिए हमेशा शक्ति की नहीं, बल्कि समझदारी और सही रणनीति की आवश्यकता होती है।
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