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सजग गिलहरी और शरारती बंदर

 

सजग गिलहरी और शरारती बंदर

कहानी:

एक समय की बात है, एक बड़े और घने जंगल में छोटी-छोटी गिलहरियाँ और बंदर रहते थे। उस जंगल में एक गिलहरी थी जिसका नाम चंपा था। चंपा बहुत ही चंचल और मेहनती थी। वह दिन भर पेड़ों पर उछल-कूद करती, मेवे और फल इकट्ठा करती, और फिर अपने घोंसले में सहेज कर रखती। चंपा ने जंगल में सबसे सुंदर और मजबूत घोंसला बनाया था, जो ऊँचे पेड़ की सबसे ऊँची शाखा पर था।

उसी जंगल में कुछ शरारती बंदरों का समूह भी रहता था। वे बंदर अक्सर गिलहरियों को परेशान किया करते थे। उनमें से एक बंदर जिसका नाम मोंटू था, सबसे ज्यादा शरारती और धूर्त था। वह चंपा की मेहनत से जलता था, और हमेशा उसका घोंसला नष्ट करने की योजना बनाता रहता था।

एक दिन मोंटू ने सोचा, "मैं इस गिलहरी के सारे मेवे चुराकर उसके घोंसले को बर्बाद कर दूँगा। तब वह यहाँ से भाग जाएगी, और फिर मैं पूरे पेड़ का मालिक बन जाऊँगा।"

अगली सुबह, जब चंपा अपने मेवे इकट्ठा करने के लिए बाहर गई, मोंटू ने मौका देखा और उसके घोंसले की ओर बढ़ा। वह जैसे ही घोंसले के पास पहुंचा, उसने देखा कि चंपा ने बड़ी मेहनत से ढेर सारे मेवे इकट्ठा कर रखे थे। मोंटू ने बिना समय गंवाए मेवे चुराने शुरू कर दिए।

लेकिन चंपा बहुत ही सावधान और समझदार थी। वह पहले ही मोंटू की शरारतों से वाकिफ थी, इसलिए उसने अपने घोंसले के पास एक जाल बिछा रखा था। जैसे ही मोंटू ने घोंसले में हाथ डाला, वह जाल में फंस गया।

मोंटू जितना बाहर निकलने की कोशिश करता, उतना ही जाल उसके चारों ओर कसता चला गया। मोंटू को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसने जोर से चिल्लाना शुरू किया, "बचाओ! कोई मुझे बचाओ!"

चंपा ने मोंटू की आवाज सुनी और तुरंत वापस आई। उसने मोंटू को जाल में फंसा देखा और मुस्कुराते हुए बोली, "तो मोंटू, मेरी मेहनत से चुराने आए थे? अब तुम्हें मेरी बात माननी पड़ेगी। अगर तुम वादा करो कि अब कभी किसी को परेशान नहीं करोगे, तो मैं तुम्हें इस जाल से आजाद कर दूंगी।"

मोंटू ने अपनी गलती मानी और वादा किया कि वह अब कभी शरारत नहीं करेगा और किसी को परेशान नहीं करेगा। चंपा ने उसे जाल से आजाद कर दिया। मोंटू को अपनी गलती पर बहुत पछतावा हुआ और उसने चंपा से माफी मांगी।

इसके बाद, मोंटू और चंपा अच्छे दोस्त बन गए। मोंटू ने अपने बाकी साथियों को भी बताया कि शरारत और जलन से कुछ नहीं मिलता, बल्कि मेहनत और ईमानदारी से ही सच्ची खुशी मिलती है।

शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मेहनत और ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं होता। शरारत और धूर्तता से कभी भी सही परिणाम नहीं मिलते, बल्कि दोस्ती, समझदारी और परिश्रम से ही जीवन में सच्ची सफलता और खुशी प्राप्त होती है।

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