{ads}

6/recent/ticker-posts

सच्ची दोस्ती की मिसाल: जब संकट में काम आए सच्चे मित्र! (True Friendship)

सच्ची दोस्ती की मिसाल: जब संकट में काम आए सच्चे मित्र! (True Friendship: A Heartwarming Tale of Loyalty and Bravery!) 

1. घना जंगल और उसकी अनोखी दुनिया

बहुत समय पहले की बात है, एक घना और हरा-भरा जंगल था। यहाँ ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आसमान को छूते थे और उनकी शाखाओं पर पक्षी अपने सुरीले गीत गाया करते थे। जंगल के बीचों-बीच एक विशाल बरगद का पेड़ था, जिसकी घनी छाँव में कई छोटे जीव बसेरा बनाए हुए थे। इसकी मोटी जड़ों के बीच एक छोटी गुफा बनी हुई थी, जिसमें एक चूहा और उसकी पत्नी खुशी-खुशी रहते थे। पेड़ के आसपास का इलाका बहुत सुंदर था। एक तरफ़ बहता हुआ निर्मल झरना था, जहाँ जानवर अपनी प्यास बुझाते थे, और दूसरी तरफ़ हरी-भरी घास का मैदान था, जहाँ हिरण, खरगोश और अन्य जानवर उछल-कूद किया करते थे।

इसी बरगद के नीचे तीन अनोखे दोस्त भी रहते थे—एक तेज़ दौड़ने वाला हिरण, एक समझदार कछुआ और एक चालाक कौवा। इन तीनों की दोस्ती बहुत गहरी थी। वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते और हर खुशी-दुख में साथ खड़े रहते।

2. जंगल में मंडराता खतरा

लेकिन इस शांतिपूर्ण जंगल में एक बहुत बड़ा खतरा भी था—एक चालाक और निर्दयी शिकारी। वह हमेशा जंगल में घूमता रहता और किसी न किसी जानवर को फँसाने की योजना बनाता। जानवर उसकी मंशा को भाँप चुके थे, इसलिए वे बहुत सतर्क रहते।

शिकारी कई बार अपने जाल लेकर जंगल में आता, लेकिन अक्सर नाकामयाब ही लौटता। इससे वह और भी क्रोधित हो जाता। वह जानता था कि बरगद के पेड़ के पास कई जानवर आते हैं, इसलिए उसने एक दिन यहीं पर अपना जाल बिछाने की योजना बनाई।

3. शिकारी का जाल और हिरण की मुसीबत

एक दिन शिकारी सुबह-सुबह जंगल में आया। उसने बड़े चालाकी से बरगद के पास जाल बिछा दिया और खुद एक घनी झाड़ी के पीछे छिपकर बैठ गया। उसने सोचा, "अब तो कोई न कोई जानवर मेरे जाल में जरूर फँसेगा!"

थोड़ी देर बाद, हिरण पानी पीने के लिए झरने की ओर आया। उसके कदम हल्के थे, उसकी चाल तेज़ थी, लेकिन उसे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि शिकारी ने वहाँ जाल बिछा रखा है। जैसे ही उसने पानी पीकर अपने कदम आगे बढ़ाए, उसका पैर जाल में उलझ गया।

"अरे! यह क्या हो गया?" हिरण ने हड़बड़ाकर अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन जितना वह छटपटाता, जाल उतना ही कसता जाता।

अब हिरण को एहसास हुआ कि वह शिकारी के जाल में फँस चुका है। उसकी आँखों में डर था। वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा,
"बचाओ! कोई मेरी मदद करो!"

4. सच्चे दोस्तों की परीक्षा

हिरण की आवाज़ सुनते ही उसके दोनों दोस्त, कौवा और कछुआ, तुरंत वहाँ आ गए। जैसे ही उन्होंने अपने प्रिय मित्र को जाल में फँसा देखा, उनके दिलों में चिंता बढ़ गई।

"हमें कुछ करना होगा!" कौवे ने चिंतित होकर कहा।

"लेकिन हम क्या कर सकते हैं? जाल तो बहुत मज़बूत दिख रहा है!" कछुए ने धीरे-धीरे कहा।

कौवे ने तुरंत एक योजना बनाई।
"कछुए भाई, हमें अपने दोस्त चूहे की मदद लेनी होगी। वह अपनी तेज़ धारदार दाँतों से इस जाल को काट सकता है। मैं अभी उड़कर उसे बुलाकर लाता हूँ!"

5. चूहे की बहादुरी

कौवा तुरंत उड़कर चूहे के पास पहुँचा और बोला,
"चूहे भाई! जल्दी चलो, हमारा दोस्त हिरण शिकारी के जाल में फँस गया है। केवल तुम ही उसे बचा सकते हो!"

चूहा, जो अपनी छोटी सी झाड़ी में आराम कर रहा था, यह सुनते ही चौकन्ना हो गया। उसने तुरंत अपनी पत्नी को अलविदा कहा और कौवे के साथ भागा।

जैसे ही वह पहुँचा, उसने देखा कि हिरण जाल में बुरी तरह फँसा हुआ है और डर के मारे काँप रहा है।

"चिंता मत करो, दोस्त! मैं अभी तुम्हें आज़ाद करता हूँ!" कहकर चूहा अपने तेज़ दाँतों से जाल को काटने लगा।

उसकी छोटी-छोटी आँखें तेज़ी से घूम रही थीं, और उसकी दुम बार-बार हिल रही थी। थोड़ी ही देर में उसने जाल का एक हिस्सा काट दिया, फिर दूसरा और फिर तीसरा!

आख़िरकार, हिरण आज़ाद हो गया!

6. शिकारी की हार और कछुए की मुश्किल

अब हिरण तेजी से जंगल की ओर भाग गया। जब शिकारी अपने छिपने की जगह से बाहर आया, तो उसने देखा कि उसका जाल कटा हुआ है और हिरण गायब हो चुका है।

"यह कैसे हुआ?" शिकारी गुस्से से चिल्लाया।

वह ज़मीन पर बैठकर माथा पकड़कर सोचने लगा। लेकिन तभी उसकी नज़र पास के कछुए पर पड़ी।

"अच्छा! तो यह कछुआ यहीं रह गया! चलो, इसे ही पकड़ लेता हूँ!"

शिकारी ने झटपट आगे बढ़कर कछुए को पकड़ लिया और अपनी झोली में डाल लिया।

7. हिरण और कौवे की नई योजना

कछुए को पकड़ा देख, कौवे और हिरण के होश उड़ गए। अब उनके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई थी।

कौवे ने तेजी से सोचा और कहा,
"हिरण भाई, अगर हम शिकारी को किसी और चीज़ में व्यस्त कर दें, तो कछुए को छुड़ाने का मौका मिल सकता है!"

हिरण समझ गया और तुरंत शिकारी के सामने दौड़ता हुआ आया। वह कभी इधर जाता, कभी उधर। शिकारी को लगा कि उसे हिरण को पकड़ने का दूसरा मौका मिल गया है।

"अरे वाह! यह हिरण खुद ही मेरे पास आ रहा है!" शिकारी ने कहा और अपनी झोली को वहीं छोड़कर हिरण के पीछे भागने लगा।

8. कछुए की रिहाई और शिकारी की आखिरी हार

जैसे ही शिकारी हिरण के पीछे दौड़ा, कौवा और चूहा जल्दी से शिकारी की झोली के पास आए।

"जल्दी करो, चूहे भाई!" कौवे ने कहा।

चूहा फिर से अपने नुकीले दाँतों से झोली को काटने लगा। थोड़ी ही देर में झोली में एक छेद हो गया और कछुआ बाहर निकल आया।

"चलो, जल्दी जंगल में भागो!" कौवे ने कहा।

कछुआ तुरंत अपने छोटे-छोटे पैरों से धीरे-धीरे जंगल की ओर बढ़ने लगा।

उधर, शिकारी बहुत देर तक हिरण के पीछे भागता रहा, लेकिन उसे पकड़ नहीं पाया। थक-हार कर जब वह अपनी झोली के पास लौटा, तो वह खाली थी!

"ओह नहीं! मेरे हाथ से फिर शिकार छूट गया!" शिकारी निराश होकर जंगल से चला गया।

9. दोस्ती की सच्ची जीत

जब चारों दोस्त वापस बरगद के पास पहुँचे, तो उन्होंने एक-दूसरे को गले लगा लिया।

"आज हमने मिलकर एक-दूसरे को बचाया, यही असली दोस्ती है!" हिरण ने कहा।

"हाँ! सच्चे दोस्त संकट में ही पहचाने जाते हैं!" कौवे ने सहमति जताई।

सभी ने मिलकर ख़ुशी मनाई और फिर से जंगल में हँसी-खुशी रहने लगे।

10. सीख

👉 सच्चे मित्र वही होते हैं जो मुसीबत में भी साथ खड़े रहें।
👉 बुद्धिमानी और एकता से बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
👉 असली ताकत शारीरिक बल में नहीं, बल्कि टीम वर्क और समझदारी में होती है!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ