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बुद्धिमान बकरी और भूखा भेड़िया

 

बुद्धिमान बकरी और भूखा भेड़िया

कहानी:

एक बार की बात है, एक जंगल के किनारे एक छोटी सी पहाड़ी पर एक बकरी रहती थी। वह बकरी बहुत ही बुद्धिमान और सतर्क थी। उसका नाम गंगा था। गंगा का जीवन सरल था—वह दिन भर पहाड़ी पर घास चरती और रात को एक गुफा में आराम करती।

उस जंगल में एक भेड़िया भी रहता था। वह बहुत चालाक और धूर्त था। उसका नाम कालू था। कालू हमेशा गंगा को खाने की फिराक में रहता था, लेकिन गंगा की सतर्कता के कारण वह कभी भी सफल नहीं हो पाता था।

एक दिन कालू को गंगा के ऊपर हमला करने का मौका मिल गया। गंगा पहाड़ी के किनारे पर घास चर रही थी, और तभी कालू ने उसे देख लिया। कालू ने सोचा, "अब तो यह बकरी मेरी हो गई। इसे इस पहाड़ी के किनारे से नीचे गिरा दूँगा और फिर आराम से खा जाऊँगा।"

कालू धीरे-धीरे गंगा की ओर बढ़ने लगा। गंगा ने अचानक कालू को अपनी ओर आते देखा। वह जान गई कि कालू उसका शिकार करने आया है। उसने तुरंत अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और एक योजना बनाई।

गंगा ने मुस्कुराते हुए कालू से कहा, "अरे कालू भैया, आप यहाँ कैसे? क्या आप भी घास चरने आए हैं?"

कालू ने सोचा कि गंगा डर गई है और उसने अपने दाँत दिखाते हुए कहा, "नहीं, मैं तुम्हें खाने आया हूँ। तुम्हारी यह मुस्कान मेरे लिए स्वादिष्ट भोजन की शुरुआत है।"

गंगा ने अपना डर छुपाते हुए कहा, "भैया, अगर आप मुझे खाना ही चाहते हैं, तो खाइए। लेकिन मैंने सुना है कि आप बड़े अच्छे गायक भी हैं। क्या आप मुझे एक गाना गाकर सुना सकते हैं? मरने से पहले मैं आपकी आवाज़ सुनना चाहती हूँ।"

कालू को यह सुनकर अच्छा लगा। उसने सोचा, "यह बकरी तो मूर्ख निकली। इसे खाना तो पक्का है, क्यों न इसे थोड़ा गाकर भी सुना दूँ?"

कालू ने गाना शुरू किया। जैसे ही उसने गाना शुरू किया, उसकी आँखें बंद हो गईं, और वह अपना संतुलन खोने लगा। गंगा ने इस मौके का फायदा उठाया और तेज़ी से पहाड़ी के दूसरी ओर कूद गई। कालू का ध्यान गाने में लगा हुआ था, और वह पहाड़ी के किनारे से नीचे गिर गया।

नीचे गिरने के कारण कालू घायल हो गया और बुरी तरह से चोटिल हो गया। वह अपनी मूर्खता पर पछताने लगा और समझ गया कि गंगा की बुद्धिमानी के आगे उसकी चालाकी नहीं चली।

गंगा ने अपनी सूझबूझ से खुद को बचा लिया और वापस अपनी गुफा में लौट गई। उसने उस दिन से और भी ज्यादा सतर्क रहने का फैसला किया ताकि फिर कभी किसी भेड़िये की चाल में न फँसे।

शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। यदि हम अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करें, तो हम किसी भी मुश्किल से बाहर निकल सकते हैं, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो।

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