बुद्धिमान बकरी और भूखा भेड़िया (The Wise Goat and the Hungry Wolf)
1. जंगल के किनारे एक सतर्क बकरी (A Cautious Goat by the Edge of the Forest)
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल के किनारे एक छोटी-सी पहाड़ी थी। उसी पहाड़ी पर गंगा नाम की एक समझदार और सतर्क बकरी रहती थी। गंगा का जीवन बहुत सरल था—हर दिन वह ताज़ी घास चरती, पहाड़ी की ऊँची चोटियों पर उछलती-कूदती और रात होते ही अपनी गुफा में आराम करने चली जाती। उसकी तेज़ नजरें और चौकन्ने कान हर खतरे को भाँप लेते थे, इसलिए वह हमेशा सुरक्षित रहती थी।
2. धूर्त और भूखा भेड़िया (The Cunning and Hungry Wolf)
उसी जंगल में एक भेड़िया भी रहता था, जिसका नाम कालू था। कालू बहुत चालाक और धूर्त था। उसकी आँखें हमेशा खाने की तलाश में लगी रहती थीं, और उसकी सबसे बड़ी इच्छा थी कि वह एक दिन गंगा को अपना शिकार बना ले। लेकिन गंगा की सतर्कता और तेज़ बुद्धि के कारण वह कभी भी अपने इरादों में कामयाब नहीं हो सका।
3. जब भेड़िये को मिला मौका (When the Wolf Got an Opportunity)
एक दिन कालू ने देखा कि गंगा पहाड़ी के किनारे खड़ी होकर रसदार घास खा रही थी। पहाड़ी की ढलान बहुत तीव्र थी, और अगर गंगा ज़रा भी असावधान होती, तो नीचे गिर सकती थी। यह देखकर कालू के मन में एक शैतानी योजना आई।
"अगर मैं इसे अचानक धक्का दे दूँ, तो यह पहाड़ी से लुड़क जाएगी और बेहोश हो जाएगी। फिर मैं इसे आसानी से खा सकता हूँ!" कालू ने सोचा।
धीरे-धीरे, बिना कोई आवाज़ किए, वह गंगा की ओर बढ़ने लगा।
4. गंगा की सतर्कता और बुद्धिमत्ता (The Goat's Alertness and Intelligence)
गंगा ने अपनी तेज़ नजरों से कालू को आते देख लिया। वह समझ गई कि कालू का इरादा खतरनाक है। लेकिन गंगा डरने वाली नहीं थी। वह घबराने के बजाय जल्दी से एक योजना बनाने लगी।
गंगा ने अपनी चतुराई से मुस्कुराते हुए कहा, "अरे कालू भैया, आप यहाँ कैसे? क्या आप भी घास चरने आए हैं?"
कालू ने सोचा कि गंगा डर गई है, इसलिए वह ठहाका लगाकर बोला, "नहीं गंगा, मैं तुम्हें खाने आया हूँ! तुम्हारी मुस्कान देखकर तो और भी भूख लग रही है!"
5. गंगा की चालाक योजना (The Goat's Clever Plan)
गंगा ने अपना डर छुपाते हुए कहा, "अच्छा, अगर तुम मुझे खाना ही चाहते हो, तो खा सकते हो। लेकिन मैंने सुना है कि तुम बहुत अच्छे गायक हो। क्या तुम मरने से पहले मुझे एक मधुर गीत सुना सकते हो?"
कालू को यह सुनकर बहुत खुशी हुई। वह सोचने लगा, "वाह! यह बकरी तो मूर्ख निकली। इसे तो मरना ही है, तो क्यों न इसे गाने से पहले थोड़ा और डराया जाए?"
6. भेड़िए की मूर्खता और बकरी की चालाकी (The Wolf's Foolishness and the Goat's Cleverness)
कालू ने आँखें बंद कीं और ज़ोर-ज़ोर से गाने लगा। वह अपने ही संगीत में इतना खो गया कि उसे यह भी ध्यान नहीं रहा कि वह पहाड़ी के बिलकुल किनारे खड़ा है।
जैसे ही वह ऊँची आवाज़ में गाने लगा, उसके पैरों का संतुलन बिगड़ गया और वह सीधे नीचे खाई में गिर पड़ा। "धड़ाम!" एक ज़ोरदार आवाज़ आई, और कालू नीचे गिरकर बुरी तरह घायल हो गया।
गंगा ने यह देखकर राहत की सांस ली और खुशी-खुशी अपनी गुफा की ओर दौड़ पड़ी।
7. कालू की हार और पछतावा (The Wolf's Defeat and Regret)
नीचे गिरकर कालू बहुत दर्द में था। वह कराहते हुए बोला, "काश! मैंने अपनी धूर्तता के बजाय अपनी अक्ल का इस्तेमाल किया होता। यह बकरी मुझसे ज़्यादा चतुर निकली!"
लेकिन अब पछताने का कोई फायदा नहीं था। गंगा अपनी बुद्धिमानी से अपनी जान बचा चुकी थी, और कालू को अपनी गलती का अहसास हो चुका था।
8. सीख जो हमें इस कहानी से मिलती है (Moral of the Story)
👉 धूर्तता और चालाकी से हमेशा जीत नहीं मिलती, बल्कि समझदारी और सतर्कता ही असली ताकत होती है।
👉 संकट में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लें, तो बड़ी से बड़ी मुसीबत से भी बचा जा सकता है।
👉 किसी को कमजोर समझकर उसे धोखा देने की कोशिश करना हमेशा नुकसानदेह साबित होता है।
गंगा की तरह हमें भी जीवन में हर मुश्किल का सामना अपनी बुद्धिमानी से करना चाहिए। सही सोच और सतर्कता हमें हर खतरे से बचा सकती है!
0 टिप्पणियाँ