सजग खरगोश और धूर्त लोमड़ी
कहानी:
एक बार की बात है, एक हरे-भरे जंगल में एक नन्हा खरगोश रहता था, जिसका नाम चिंपू था। चिंपू बहुत तेज और फुर्तीला था। वह जंगल में हमेशा सावधानी से घूमता और अपने दोस्तों के साथ खेलता। उसे अपनी फुर्ती पर बहुत गर्व था और वह सोचता था कि कोई भी उसे पकड़ नहीं सकता।
उसी जंगल में एक चालाक और धूर्त लोमड़ी भी रहती थी, जिसका नाम लीला था। लीला हमेशा इस सोच में रहती थी कि कैसे वह चिंपू को पकड़कर अपना भोजन बना सके। लेकिन चिंपू की तेज गति के कारण वह हमेशा असफल रहती थी।
एक दिन लीला ने सोचा, "चिंपू को यूं ही पकड़ पाना मुश्किल है। अगर मैं उसे अपनी चालाकी से फंसा लूँ, तो उसे आसानी से पकड़ सकती हूँ।"
लीला ने एक योजना बनाई। उसने जंगल के बीचों-बीच एक बड़ी खाई देखी, जो जमीन के नीचे छिपी हुई थी। लीला ने खाई के ऊपर पतली टहनियों और पत्तों से एक जाल बना दिया और ऊपर से कुछ खाने का सामान रख दिया, ताकि चिंपू को फुसलाया जा सके।
अगले दिन, जब चिंपू जंगल में दौड़ता हुआ आया, तो उसने उन स्वादिष्ट खाने के सामान को देखा। वह बहुत खुश हुआ और सोचा, "वाह! यहाँ तो इतना सारा खाना पड़ा है। इसे खाने में तो मजा आएगा।"
लेकिन चिंपू बहुत सावधान भी था। उसने सोचा, "यह खाना यहाँ कैसे आया? कहीं यह कोई जाल तो नहीं है?" उसने पहले इधर-उधर देखा और फिर धीरे से अपनी एक टांग से खाने के सामान को छूकर देखा। जैसे ही उसने टहनियों पर जोर डाला, वह टूट गईं और नीचे खाई खुल गई।
चिंपू समझ गया कि यह लीला की चाल थी। वह मुस्कुराया और सोचा, "लीला तो बहुत चालाक है, लेकिन उसकी चालाकी मेरे आगे नहीं चलेगी।" उसने एक योजना बनाई और तुरंत जंगल के अन्य जानवरों को बुला लिया।
चिंपू ने जंगल के जानवरों को समझाया कि कैसे लीला ने उसे फंसाने के लिए जाल बिछाया था। सबने मिलकर लीला को सबक सिखाने का फैसला किया। जानवरों ने लीला को झूठी खबर दी कि चिंपू जाल में फंस गया है और वह बेहोश पड़ा है।
लीला बहुत खुश हुई और दौड़कर उस खाई के पास पहुंची। उसने सोचा कि अब वह चिंपू को पकड़ ही लेगी। लेकिन जैसे ही उसने खाई में झांका, वह खुद जाल में फंस गई और खाई में गिर पड़ी। लीला को अपनी चालाकी का खामियाजा भुगतना पड़ा।
चिंपू और बाकी जानवरों ने मिलकर लीला को खाई से बाहर निकाला, लेकिन उसे चेतावनी दी कि अगर वह दोबारा ऐसी कोई चालाकी करेगी, तो उसे जंगल से निकाल दिया जाएगा। लीला ने अपनी गलती मानी और वादा किया कि वह अब कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि चालाकी और धूर्तता से दूसरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करने वालों को हमेशा अपनी ही चाल में फंसना पड़ता है। सजगता और समझदारी से किसी भी मुश्किल परिस्थिति का सामना किया जा सकता है।
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