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सजग खरगोश और धूर्त लोमड़ी: जब चतुराई पर भारी पड़ी बुद्धिमानी!

सजग खरगोश और धूर्त लोमड़ी: जब चतुराई पर भारी पड़ी बुद्धिमानी! (The Alert Rabbit and the Cunning Fox: When Wisdom Defeated Cunning!)

बहुत समय पहले की बात है। एक हरे-भरे घने जंगल में एक नन्हा, मगर बेहद तेज-तर्रार खरगोश चिंपू रहता था। चिंपू न सिर्फ बिजली की गति से दौड़ सकता था, बल्कि उसकी सूझबूझ और सतर्कता भी गजब की थी। जंगल के सभी जानवर उसकी तेज़ी और चतुराई के कायल थे।

चिंपू दिनभर जंगल में उछलता-कूदता, खेलता और अपने दोस्तों के साथ समय बिताता। लेकिन उसे एक बात का हमेशा ध्यान रखना पड़ता था— जंगल में एक धूर्त और चालाक लोमड़ी, लीला, भी रहती थी, जिसकी नजरें हमेशा चिंपू पर टिकी रहती थीं।

लोमड़ी की धूर्त निगाहें

लीला बहुत ही चालाक थी। वह जंगल के छोटे जानवरों को अपने झूठे शब्दों और छल-कपट से फंसाकर अपना शिकार बना लेती थी। लेकिन चिंपू के मामले में वह हमेशा नाकामयाब रही थी।

"यह छोटा सा खरगोश मेरे हाथ क्यों नहीं आता?" लीला दिन-रात इसी सोच में रहती थी।
वह जानती थी कि चिंपू को अपनी तेज़ रफ्तार पर बड़ा घमंड है, इसलिए वह सीधे पकड़ने की बजाय किसी चालाकी से उसे फंसाने की तरकीब सोचने लगी।

लीला की चालाक योजना

एक दिन, लीला ने जंगल में घूमते हुए एक बहुत गहरी खाई देखी, जिसे बड़े-बड़े पेड़ों और घनी झाड़ियों ने ढक रखा था। यह खाई इतनी गहरी थी कि अगर कोई उसमें गिर जाए, तो खुद से बाहर निकलना नामुमकिन था।

लीला के दिमाग में एक धूर्त योजना आई। उसने खाई के ऊपर कुछ पतली टहनियों और सूखे पत्तों को रख दिया, जिससे खाई ऊपर से सामान्य ज़मीन जैसी दिखे। फिर उसने उस पर ताजे फल, हरी-हरी घास और गाजर रख दी, जिससे यह लगे कि यह जगह किसी का छुपाया हुआ भोजन है।

लीला ने अपने आप से कहा,
"अब देखती हूँ, चिंपू कैसे नहीं फँसता!"

वह एक घनी झाड़ी में छिपकर उत्सुकता से चिंपू के आने का इंतजार करने लगी

सजग खरगोश की बुद्धिमानी

कुछ ही देर में चिंपू, हमेशा की तरह जंगल में तेजी से उछलता-कूदता आया। वह कभी दाएं भागता, कभी बाएं, कभी पत्तों के ढेर पर चढ़ता, तो कभी छोटी पहाड़ियों से कूदता।

अचानक उसकी नजर सामने रखे रसदार फलों, हरी-हरी घास और ताज़ी गाजर पर पड़ी। चिंपू की आँखें चमक उठीं।

"वाह! यह तो किसी की छोड़ी हुई दावत लग रही है! आज तो मज़ा आ जाएगा!"

लेकिन चिंपू था तो बहुत सतर्क और होशियार। वह सोचने लगा,
"इतना अच्छा खाना जंगल के बीचो-बीच यूं ही पड़ा हो, यह अजीब नहीं लगता?"

उसने चारों ओर नजर दौड़ाई। आसपास कोई जानवर नजर नहीं आया। लेकिन फिर भी, उसका मन कह रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है।

चिंपू ने एक चालाक तरीका अपनाया। उसने पहले अपनी एक टांग से हल्के से गाजर को छूकर देखा। फिर धीरे-धीरे उस पर हल्का सा दबाव डाला।

"चर्रर्रर्रर्र..."

जैसे ही उसने वजन डाला, टहनियाँ चरमराने लगीं और नीचे से खाई का मुँह खुल गया!

चिंपू तुरंत पीछे हट गया और समझ गया कि यह किसी की गहरी चाल है।

"तो यह लीला की योजना थी! लेकिन मैं इतनी आसानी से फँसने वाला नहीं हूँ!" चिंपू मुस्कुराया और एक तरकीब सोचने लगा।

जंगल के जानवरों का पलटवार

चिंपू दौड़कर अपने दोस्तों – तोता मोती, बंदर मंटू और हिरण सुमन के पास गया और पूरी बात बताई।

बंदर मंटू बोला,
"हमें लीला को उसकी ही चाल में फँसाना होगा!"

तोते मोती ने जंगल में उड़कर यह अफवाह फैला दी कि "चिंपू गहरी खाई में गिर गया है और बेहोश पड़ा है!"

यह सुनकर लीला खुशी से उछल पड़ी।

"अहा! आखिरकार मेरी योजना काम कर गई!" उसने सोचा और तेजी से खाई की ओर भागी।

धूर्त लोमड़ी खुद फंसी जाल में!

लीला जैसे ही खाई के पास पहुँची, तो उसे ज़रा भी शक नहीं हुआ।

वह सोचने लगी,
"चिंपू अब मेरा शिकार बन चुका है। बस इसे खाई से निकालना है और फिर एक शानदार दावत!"

उसने झुककर खाई में झाँकने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने अपना वजन आगे डाला, पतली टहनियाँ चररररर की आवाज़ के साथ टूट गईं और धड़ाम से लीला खुद ही खाई में गिर पड़ी!

"आ... आ... आ... बचाओ...!" लीला ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी।

अब लीला बुरी तरह फँस चुकी थी। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन खाई इतनी गहरी थी कि वह खुद से बाहर नहीं निकल सकी।

उधर, झाड़ियों के पीछे से चिंपू, बंदर, तोता और हिरण ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।

बंदर मंटू बोला,
"देखा! जो दूसरों के लिए जाल बिछाता है, वही उसमें सबसे पहले फँसता है!"

सीख और बदलाव

कुछ देर बाद, जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर लीला को खाई से बाहर निकाला। लेकिन इस बार, उन्होंने उसे एक कड़ी चेतावनी दी—

"अगर तुमने दोबारा किसी के साथ छल करने की कोशिश की, तो तुम्हें जंगल से हमेशा के लिए बाहर निकाल दिया जाएगा!"

लीला को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने शर्मिंदा होकर सिर झुका लिया और वादा किया कि वह अब कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाएगी।

चिंपू और उसके दोस्तों ने मिलकर जश्न मनाया। उनकी समझदारी और टीमवर्क ने चालाक लोमड़ी को उसकी ही चाल में फँसा दिया था!

शिक्षा:

  1. चालाकी और धूर्तता से दूसरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करने वालों को हमेशा अपनी ही चाल में फँसना पड़ता है।
  2. यदि हम सतर्क, चतुर और बुद्धिमान रहें, तो किसी भी मुश्किल से बाहर निकल सकते हैं।
  3. सच्चे दोस्त मिलकर किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं!

नया सीखो, स्मार्ट बनो!

"हर संकट में धैर्य और समझदारी से काम लो, क्योंकि चालाकी हमेशा नहीं चलती, लेकिन ईमानदारी और बुद्धिमानी हमेशा जीतती है!"

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