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मित्रलाभ (Mitralabh) - Panchtantra ki kahaniya

 


मित्रलाभ पंचतंत्र का दूसरा खंड है, जिसमें मित्रता, आपसी सहयोग, चतुराई और विवेक के महत्व पर आधारित कई कहानियाँ और उपकथाएँ हैं। इस खंड में मुख्य कथा और उससे जुड़ी अनेक उपकथाएँ हैं, जो एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई हैं। यहाँ हम मित्रलाभ की प्रमुख कहानियों और उपकथाओं का विवरण और उनके नाम प्रस्तुत कर रहे हैं।


मित्रलाभ की मुख्य कहानी:

  1. कबूतर, चूहे, कछुए, कौए और हिरण की मित्रता की कथा
    • यह कहानी चार मित्रों की है: कबूतर, चूहा, कछुआ, और कौआ। ये सभी अपनी एकता और चतुराई से एक-दूसरे की मदद करते हैं। बाद में एक हिरण भी उनका मित्र बन जाता है, और सभी मिलकर कई संकटों का सामना करते हैं। यह मुख्य कहानी मित्रता और एकता की ताकत को दर्शाती है।

इस मुख्य कथा के अंतर्गत आने वाली उपकथाएँ:

  1. कौए और काले सर्प की कहानी

    • इस कहानी में एक कौआ और उसकी पत्नी को एक काले सर्प से अपने अंडों की रक्षा करनी होती है। कौआ अपनी चतुराई से एक योजना बनाता है और सर्प को मात देता है। यह कहानी बुद्धिमानी और चतुराई का उदाहरण है।
  2. चूहे और लोहे की कहानी

    • यह कहानी एक व्यापारी की है, जो अपने मित्र के पास लोहे का एक भारी टुकड़ा छोड़ता है। बाद में उसका मित्र उसे धोखा देकर कहता है कि लोहे को चूहे खा गए। व्यापारी अपनी चतुराई से इस धोखे का बदला लेता है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी बुद्धिमानी से दूसरों के छल का सामना कर सकता है।
  3. बिल्ली और चालाक चूहों की कहानी

    • इस कहानी में एक चालाक बिल्ली द्वारा चूहों को फँसाने की योजना का वर्णन है। लेकिन चूहे भी अपनी चतुराई से बिल्ली की चालों को समझ जाते हैं और अंततः उसे मात देते हैं। यह कहानी बुद्धिमत्ता और सतर्कता का संदेश देती है।
  4. हाथी और चूहों की कहानी

    • एक बार एक हाथियों का झुंड एक गाँव को नष्ट कर देता है, जहाँ कई चूहे रहते हैं। चूहे हाथियों से विनम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि वे उनके घरों को नष्ट न करें। बाद में जब हाथी एक संकट में फँसते हैं, तो वही चूहे उनकी मदद करते हैं। यह कहानी दिखाती है कि किसी को कमजोर समझकर उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि हर कोई अपनी ताकत से किसी की मदद कर सकता है।
  5. नीलकंठ और पक्षियों की कहानी

    • इस कहानी में नीलकंठ नाम का एक पक्षी अपने मित्र पक्षियों के साथ मिलकर अपने दुश्मनों से बदला लेने की योजना बनाता है। यह कहानी एकता और सहयोग का महत्व समझाती है, साथ ही बताती है कि कैसे मित्रता से बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
  6. बगुले और केकड़े की कहानी

    • एक चालाक बगुला मछलियों को धोखा देने के लिए झूठी कहानी बनाता है और उन्हें खा जाता है। लेकिन अंत में एक केकड़ा उसकी चाल को समझकर उसे सबक सिखाता है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे धूर्तता का अंत बुरा होता है।
  7. शेर, सियार और बैल की कहानी

    • इस कहानी में एक चालाक सियार शेर को भड़काकर बैल से लड़वाने की कोशिश करता है, ताकि वह खुद अपना फायदा उठा सके। लेकिन उसकी चालाकी अंत में उसे ही महंगी पड़ती है। यह कहानी सिखाती है कि धोखा और चालबाजी का अंत अच्छा नहीं होता।
  8. बिल्ली, बंदर और लोमड़ी की कहानी

    • एक बंदर और लोमड़ी के बीच चल रहे विवाद को हल करने के लिए बिल्ली बीच में आती है। अपनी चतुराई से वह दोनों को समझाकर मामले को सुलझा देती है। यह कहानी विवेक और निर्णय लेने की क्षमता का महत्व बताती है।

मित्रलाभ की कुछ और उपकथाएँ:

  1. कछुआ और दो हंसों की कहानी

    • इस कहानी में एक कछुआ अपनी अधिक बातूनी आदत के कारण मुसीबत में फँस जाता है। लेकिन उसके मित्र हंस उसकी मदद करते हैं। यह कहानी हमें बताती है कि किसी भी स्थिति में संयम और समझदारी जरूरी है।
  2. लोमड़ी और अंगूर की कहानी

    • एक लोमड़ी जब अंगूर पाने में असफल रहती है, तो वह यह कहती है कि अंगूर खट्टे हैं। यह कहानी निराशा में बहाने बनाने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य करती है।
  3. बिल्ली और कछुए की कहानी

    • एक कछुआ अपनी समझदारी और धैर्य से बिल्ली के शिकंजे से बच निकलता है। यह कहानी धैर्य और चतुराई के महत्व को दर्शाती है।
  4. निष्कर्ष:

    मित्रलाभ खंड की ये कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि जीवन में मित्रता, सहयोग, चतुराई और विवेक का कितना महत्व है। हर कहानी के अंत में यह संदेश मिलता है कि सही समय पर लिया गया बुद्धिमानी भरा निर्णय न केवल संकट से उबार सकता है, बल्कि जीवन को सुखद भी बना सकता है।


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