साधु और चूहा: पंचतंत्र (मित्रलाभ खंड)
प्रस्तावना
यह कहानी साधु और एक चूहे की है, जो मित्रलाभ खंड में आती है। यह कहानी चतुराई, स्वार्थ और अंततः समस्या के समाधान को दर्शाती है। कहानी में दिखाया गया है कि कैसे एक साधु ने अपनी बुद्धिमानी से एक चतुर चूहे से छुटकारा पाया, जो उसके लिए मुसीबत बन गया था।
साधु का जीवन
किसी समय, एक साधु एक छोटे से गाँव में अपने आश्रम में निवास करता था। वह अत्यंत सरल और धर्मपरायण जीवन व्यतीत करता था। वह दिन-रात भिक्षा मांगकर अपने लिए अन्न इकट्ठा करता और उसे एक बर्तन में रखता। यह अन्न साधु के जीवन का एकमात्र सहारा था। साधु बहुत संतुष्ट था और उसे किसी से कोई शिकायत नहीं थी।
चूहे की चोरी
लेकिन आश्रम के पास एक चतुर चूहा भी रहता था, जिसे साधु के अन्न का स्वाद पसंद आ गया था। धीरे-धीरे चूहा साधु के अन्न के बर्तन से अनाज चुराने लगा। हर दिन साधु देखता कि उसका अन्न कम होता जा रहा है, और उसे पता नहीं चल रहा था कि यह अन्न कहाँ जा रहा है। साधु ने सोचा कि हो सकता है कोई जानवर उसका अन्न चुरा रहा हो, लेकिन वह इसका समाधान नहीं निकाल पा रहा था।
समस्या का समाधान खोजने की कोशिश
साधु ने बहुत सोचा कि वह इस समस्या से कैसे निपटे। एक दिन उसने अपने एक मित्र से इस बारे में बात की। मित्र ने कहा, "यह संभव है कि कोई चूहा तुम्हारा अन्न चुरा रहा हो। उसे पकड़ने के लिए तुम्हें चूहे की छिपने की जगह का पता लगाना होगा।"
साधु ने यह बात ध्यान में रखी और अन्न के बर्तन के पास छिपकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसने देखा कि एक चूहा धीरे-धीरे आया और अन्न चुराने लगा। साधु को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि चूहा बहुत अधिक अन्न चुरा रहा था।
चूहे की खोज
साधु ने देखा कि चूहा अन्न लेकर अपने बिल में जा रहा था। साधु ने यह निर्णय लिया कि वह चूहे का बिल देखेगा। जब उसने चूहे के बिल को देखा तो पाया कि चूहे ने अपने बिल में ढेर सारा अन्न इकट्ठा कर रखा था। साधु को यह देखकर बहुत गुस्सा आया।
समस्या का समाधान
साधु ने अपने मित्र से फिर सलाह ली। मित्र ने कहा, "चूहा इतना साहसी इसलिए है क्योंकि उसके पास बहुत सारा अन्न इकट्ठा है। उसे अन्न से ताकत मिल रही है। अगर तुम उसका अन्न छीन लोगे, तो उसकी ताकत खत्म हो जाएगी और वह कमजोर हो जाएगा।"
साधु ने इस सलाह पर अमल किया और चूहे के बिल से सारा अन्न निकाल दिया। जैसे ही चूहे को यह पता चला कि उसका सारा अन्न खत्म हो गया है, वह बहुत डर गया। अब उसकी ताकत खत्म हो गई थी और वह साधु के अन्न के पास आने से डरने लगा।
नैतिक शिक्षा
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी की शक्ति उसके संसाधनों पर निर्भर होती है। यदि संसाधन खत्म हो जाएं, तो ताकत और साहस भी घट जाता है। चालाकी से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
बुद्धिमानी और धैर्य से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
The Sage and the Mouse: A Tale from Panchatantra (Mitra-Labh Section)
Introduction
This is the story of a sage and a mouse, found in the Mitra-Labh section of the Panchatantra. It reflects themes of cleverness, selfishness, and ultimately finding solutions to problems. The story shows how a wise sage found a way to rid himself of a clever mouse that had become a nuisance to him.
The Life of the Sage
Once upon a time, there was a sage who lived in a small village in his hermitage. He led a simple and pious life, relying on alms to gather food, which he stored in a container. This food was the sage's only sustenance. He was very content with his life and had no complaints.
The Mouse’s Theft
However, near the hermitage lived a clever mouse, who developed a taste for the sage's food. Slowly, the mouse started stealing grains from the sage's container. Every day, the sage noticed that his food supply was diminishing, but he couldn't figure out where the food was going. He suspected that some animal might be stealing it but couldn't find a solution.
Searching for a Solution
The sage thought long and hard about how to deal with this problem. One day, he shared his concerns with a friend. The friend suggested, "It is likely that a mouse is stealing your food. To catch it, you must find its hiding place."
The sage kept this advice in mind and decided to hide near the container. After some time, he saw a mouse sneak up and begin to steal food. The sage was surprised to see how much food the mouse was taking.
Tracking the Mouse
The sage observed the mouse carrying the stolen food to its hole. Determined to solve the problem, the sage followed the mouse to its burrow. Upon inspecting the mouse's hole, he discovered that the mouse had hoarded a large amount of grain. The sage was enraged at this discovery.
Finding the Solution
The sage once again consulted his friend for advice. His friend said, "The mouse is bold because it has stored a lot of food. This food gives it strength. If you take away its stash, the mouse will lose its strength and become weak."
The sage followed this advice and removed all the food from the mouse's hole. When the mouse realized that its entire stash was gone, it became very frightened. Without its food, the mouse lost its strength and courage, and from then on, it was too scared to approach the sage's food.
Moral of the Story
This story teaches us that one's strength is often tied to their resources. When those resources are taken away, strength and courage diminish. With clever thinking, any problem can be solved.
With wisdom and patience, every problem can be resolved.
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