यहाँ "गजराज और मूषकराज" की कहानी पंचतंत्र के मित्रलाभ खंड के अनुसार प्रस्तुत की जा रही है:
गजराज और मूषकराज: पंचतंत्र की कहानी (मित्रलाभ खंड)
प्रस्तावना
बहुत समय पहले एक घना जंगल था, जिसमें गजराज नामक एक विशाल हाथी रहता था। वह जंगल के सभी जानवरों का राजा था और अपनी ताकत और बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध था। उसी जंगल में मूषकराज नामक एक चतुर और समझदार चूहा भी रहता था, जो अपने पूरे चूहे समूह का नेता था। गजराज और मूषकराज एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे – एक विशालकाय और शक्तिशाली, दूसरा छोटा और चतुर – परंतु दोनों में गहरी मित्रता हो गई थी।
हाथियों की परेशानी
गजराज के नेतृत्व में हाथियों का एक बड़ा समूह था। गर्मियों के मौसम में जंगल सूख गया और तालाबों का पानी खत्म हो गया। हाथियों को पीने के पानी की बहुत आवश्यकता थी, और गजराज ने अपने समूह के साथ एक नया तालाब खोजने का निश्चय किया।
गजराज ने सुना कि जंगल के दूसरी तरफ एक बड़ा और गहरा तालाब है जिसमें सालभर पानी रहता है। अपने समूह को बचाने के लिए, गजराज ने अपने साथियों के साथ उस तालाब की ओर चलने का फैसला किया। रास्ते में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई। जिस रास्ते से हाथियों का झुंड जा रहा था, वहां बहुत सारे चूहों के बिल थे।
चूहों का संकट
जब हाथियों का झुंड उस रास्ते से गुजरा, तो उनके भारी पैरों के कारण कई चूहों के बिल नष्ट हो गए और अनेक चूहे कुचले गए। मूषकराज और उसका समूह बहुत परेशान हुआ, क्योंकि उनके कई साथी मारे जा चुके थे और उनके घर तहस-नहस हो गए थे। मूषकराज ने सोचा कि अगर यह स्थिति जारी रही, तो उनका पूरा समुदाय समाप्त हो जाएगा।
मूषकराज की चतुराई
मूषकराज ने इस संकट का समाधान करने के लिए गजराज से मिलने का निर्णय लिया। वह गजराज के पास गया और विनम्रता से बोला, "हे गजराज, आपके हाथी दल की विशालता और ताकत के कारण हमारे बहुत सारे चूहे मारे जा चुके हैं। कृपया हमारी सहायता करें और किसी अन्य रास्ते से पानी की ओर जाएं ताकि हमारे जीवन और घर बच सकें।"
गजराज ने मूषकराज की बात सुनी और उसकी समस्या को समझा। उसने कहा, "हे मूषकराज, मैं तुम्हारी समस्या को समझता हूँ। हम हाथी तुमसे बहुत बड़े हैं और अनजाने में तुम्हारे समुदाय को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हम अब से दूसरे रास्ते से जाएंगे ताकि तुम्हारा समुदाय सुरक्षित रहे।"
दोस्ती और वचन
मूषकराज गजराज के प्रति कृतज्ञ हुआ और बोला, "हे गजराज, आपने हमारी जान बचाई। एक दिन आपको भी हमारी आवश्यकता हो सकती है। हम छोटे हैं, परंतु हमारी बुद्धि बड़ी है। जब भी आपको हमारी जरूरत हो, हमें याद करना।"
गजराज हंस पड़ा और कहा, "तुम इतने छोटे हो, मूषकराज। मुझे नहीं लगता कि मुझे तुम्हारी सहायता की कभी आवश्यकता होगी, परंतु मैं तुम्हारे इस अच्छे भाव को कभी नहीं भूलूंगा।"
गजराज की मुसीबत
समय बीतता गया और कुछ महीनों बाद एक दिन शिकारी जंगल में आए। उन्होंने हाथियों को पकड़ने के लिए बड़े-बड़े जाल बिछा दिए। गजराज और उसका झुंड उन जालों में फंस गया। जब गजराज ने देखा कि वह जाल में बुरी तरह फंस गया है, तो उसे मूषकराज की याद आई। उसने सोचा, "हो सकता है, वह छोटा चूहा मेरी मदद कर सके।"
मूषकराज की मदद
गजराज ने अपने एक साथी को मूषकराज के पास भेजा। मूषकराज ने जैसे ही सुना कि गजराज संकट में है, वह तुरंत अपने चूहों के समूह के साथ उस स्थान पर पहुंचा जहां गजराज फंसा हुआ था। मूषकराज ने अपने साथियों के साथ मिलकर जाल की रस्सियों को कुतरना शुरू किया। थोड़े ही समय में उन्होंने जाल को काटकर गजराज और उसके हाथी दल को मुक्त कर दिया।
अंत और शिक्षा
गजराज मूषकराज का आभार व्यक्त करते हुए बोला, "मूषकराज, तुमने आज सिद्ध कर दिया कि ताकत हमेशा आकार में नहीं होती। तुम्हारी छोटी सी बुद्धिमानी ने आज मेरी और मेरे पूरे समूह की जान बचा ली।"
इस प्रकार, गजराज और मूषकराज की दोस्ती और भी मजबूत हो गई।
नैतिक शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी का आकार या ताकत नहीं, बल्कि उसकी बुद्धि और चतुराई ही उसे सफल बनाती है। हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, चाहे वह जितना भी छोटा या कमजोर क्यों न हो।
"बुद्धि और चतुराई से किसी भी बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है।"
The Elephant King and the Mouse King: A Story from Panchatantra (Mitra-Labh Section)
Introduction
This story from the Mitra-Labh (Gaining Friends) section of the Panchatantra is about Gajaraj, the mighty elephant king, and Mushakaraj, the wise mouse king. It teaches us about friendship, intelligence, and the importance of cooperation. Despite their vast differences in size and strength, a deep bond of friendship forms between the two, highlighting how wisdom can sometimes surpass physical strength.
The Elephants' Dilemma
In a dense forest, there lived a mighty elephant named Gajaraj, who was the king of all animals in the jungle. He was known for his immense strength and wisdom. In the same forest lived a clever mouse named Mushakaraj, the leader of a large group of mice. Although they were vastly different—one being enormous and powerful, the other small and clever—they developed a close friendship.
Gajaraj led a large herd of elephants. One summer, the forest dried up, and all the ponds ran out of water. The elephants were in desperate need of water, so Gajaraj decided to search for a new water source to save his herd.
Gajaraj had heard about a large, deep pond on the other side of the forest, which had water throughout the year. He made up his mind to lead the herd to that pond. However, as the elephants began their journey, they encountered a problem: the path they were taking was filled with the burrows of mice.
The Mice's Crisis
As the herd of elephants marched through the path, their massive feet trampled many of the mice's burrows, and numerous mice were crushed underfoot. Mushakaraj and his group were devastated by the loss of their fellow mice and the destruction of their homes. He realized that if this continued, their entire community would be wiped out.
Mushakaraj’s Clever Approach
To address the crisis, Mushakaraj decided to speak with Gajaraj. He approached the elephant king humbly and said, "O Gajaraj, due to the strength and size of your herd, many of my fellow mice have been killed, and our homes have been destroyed. Please help us by choosing a different path to the water so that our lives and homes can be saved."
Gajaraj listened carefully to Mushakaraj’s plea and understood the gravity of the situation. He replied, "O Mushakaraj, I understand your problem. We elephants are much larger than you and have unintentionally harmed your community. From now on, we will take a different route to the water to ensure your safety."
Friendship and a Promise
Mushakaraj was grateful to Gajaraj and said, "O Gajaraj, you have saved our lives today. Although we are small, one day, you may need our help. Our size may be small, but our intelligence is great. Whenever you need us, just remember us."
Gajaraj laughed and replied, "You are so small, Mushakaraj. I doubt I will ever need your help, but I will never forget your kind gesture."
Gajaraj’s Trouble
As time passed, one day hunters came into the forest. They set large traps to capture the elephants. Gajaraj and his herd fell into one of these traps. Trapped in the nets, Gajaraj remembered Mushakaraj. He thought, "Perhaps that little mouse can help me in this difficult situation."
Mushakaraj to the Rescue
Gajaraj sent one of his fellow elephants to seek help from Mushakaraj. As soon as Mushakaraj heard that Gajaraj was in trouble, he quickly gathered his group of mice and rushed to the spot where Gajaraj was trapped. Mushakaraj and his mice began gnawing through the ropes of the net. In no time, they managed to cut through the ropes and free Gajaraj and his herd.
Conclusion and Moral
Grateful, Gajaraj said, "Mushakaraj, today you have proven that strength is not always about size. Your small but intelligent actions have saved my life and the lives of my entire herd."
From that day, the friendship between Gajaraj and Mushakaraj grew even stronger.
Moral of the Story
This story teaches us that it is not the size or strength of an individual that matters but their wisdom and intelligence. We should always be ready to help others, no matter how small or weak they may seem.
"With wisdom and cleverness, even the biggest challenges can be solved."
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