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उल्लू और कौए की दुश्मनी की कहानी - The Enmity Between the Owl and the Crow - Panchatantra Kahaniya

उल्लू और कौए की दुश्मनी की कहानी - The Enmity Between the Owl and the Crow - Panchatantra Kahaniya - Hindi Kahaniyan


उल्लू और कौए की दुश्मनी की कहानी - The Enmity Between the Owl and the Crow - Panchatantra Kahaniya In Hindi

कहानी: उल्लू और कौवे का बैर

भूमिका

जंगल की दुनिया भी मानव समाज की तरह संगठन, नेतृत्व और विवादों से भरी होती है। पंचतंत्र की यह कहानी "उल्लू और कौवे का बैर" इसी बात को उजागर करती है। इसमें पक्षियों के बीच राजा के चयन और एक अकारण हस्तक्षेप की वजह से जन्मे बैर का वर्णन है। यह कहानी न केवल पक्षियों की दुनिया की राजनीति को दिखाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि बिना कारण दूसरों के मामले में हस्तक्षेप करने से आप अनजाने में दुश्मनी मोल ले सकते हैं।

पक्षियों का असंतोष और सभा का आयोजन

एक विशाल जंगल में पक्षियों का एक समूह निवास करता था, जिनका राजा गरुड़ (वैनतेय) था। वह अत्यंत धार्मिक था और अपना अधिकांश समय भगवान वासुदेव की भक्ति में व्यतीत करता था। अपनी भक्ति में लीन होने के कारण वह अपनी प्रजा की आवश्यकताओं और समस्याओं पर ध्यान नहीं दे पाता था।

पक्षियों की सभा और नया राजा चुनने का निर्णय

समय बीतने के साथ, पक्षियों के बीच असंतोष बढ़ने लगा। एक दिन, सभी पक्षियों ने मिलकर एक सभा का आयोजन किया। इसमें चातक, कोयल, बगुला, हंस, तोता, उल्लू, कबूतर और अन्य पक्षी उपस्थित हुए। चातक ने कहा, "हमारा राजा वैनतेय हमें भूल चुका है। हमें किसी और को अपना नया राजा चुन लेना चाहिए, जो हमारे हितों का ध्यान रखे।"

 उल्लू का चयन और अभिषेक की तैयारी

चातक की बात सुनकर सभी पक्षी सहमत हो गए और उन्होंने उल्लू को अपना नया राजा चुन लिया। उल्लू के राज्याभिषेक की तैयारियाँ तेजी से शुरू हो गईं। उसका राजमुकुट और सिंहासन तैयार किया गया, और गंगा का पवित्र जल मंगवाया गया ताकि उसके अभिषेक का अनुष्ठान विधिवत हो सके।

कौवे का आगमन और प्रश्न

तभी, एक कौवा उड़ता हुआ उस स्थान पर आया जहाँ उल्लू के अभिषेक की तैयारियाँ चल रही थीं। उसने सारी व्यवस्था देखकर सोचा कि यह सब किसलिए हो रहा है।
कौवे ने कोयल से पूछा, "यहाँ किस उत्सव की तैयारी चल रही है?"
कोयल ने उत्तर दिया, "हम उल्लू का राज्याभिषेक करने जा रहे हैं। वह अब हमारा नया राजा होगा।"
यह सुनकर कौवा जोर से हँसने लगा, और उसकी हंसी ने बाकी पक्षियों का ध्यान खींचा। पक्षियों ने उसके हँसने का कारण पूछा।

कौवे की चेतावनी: गलत चुनाव

कौवे ने हंसते हुए कहा, "तुम लोगों ने राजा चुनने में बहुत बड़ी गलती की है। क्या तुमने उल्लू को राजा इसलिए चुना क्योंकि तुम्हारे पास कोई और प्रत्याशी नहीं था?"
वह आगे कहता गया, "तुम्हारे पास मोर, हंस, सारस, चक्रवाक, और शुक जैसे सुन्दर और बुद्धिमान पक्षी हैं, फिर भी तुमने टेढ़ी नाक और अंधेरे में रहने वाले उल्लू को राजा बना लिया? उल्लू एक आलसी, कायर, और दिवान्ध पक्षी है। वह तुम्हारा भला नहीं कर सकता। उसकी तुलना में तुम्हारा वर्तमान राजा वैनतेय कहीं अधिक योग्य और कल्याणकारी है।"
कौवे की तर्कपूर्ण बातों ने सभी पक्षियों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

उल्लू के अभिषेक का रद्द होना

कौवे की बातों से प्रभावित होकर सभी पक्षियों ने उल्लू के अभिषेक का विचार त्याग दिया। वे सभी वहां से चले गए और उल्लू को राजा बनाने का विचार रद्द कर दिया।

उल्लू का क्रोध और कौवे से बैर

जब उल्लू अपने अभिषेक के लिए पहुँचा, तो उसने देखा कि वहाँ केवल उसका मित्र कृकालिका और कौवा मौजूद थे।
उल्लू ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, "सभी पक्षी कहाँ चले गए?"
कृकालिका ने जवाब दिया, "मित्र, यह कौवा तुम्हारे अभिषेक का विरोध कर रहा था और उसकी वजह से सभी पक्षी चले गए।"
यह सुनकर उल्लू को बहुत क्रोध आया। उसने कौवे से कहा, "तुमने ऐसा क्यों किया, दुष्ट कौवे? मेरे राजा बनने से तुम्हारा क्या बिगड़ता? अब से तू और तेरा वंश सदा मेरा और मेरे वंश का शत्रु रहेगा।"

कौवे का पछतावा

कौवा चुपचाप उल्लू की बातें सुनता रहा और मन ही मन सोचने लगा, "मैंने व्यर्थ में दूसरों के मामले में हस्तक्षेप किया और उल्लू को अपना शत्रु बना लिया। इससे मुझे कोई लाभ नहीं हुआ, बल्कि मैंने अपनी ही हानि कर ली।"
यह सोचते हुए कौवा वहां से उड़ गया। तब से कौवों और उल्लुओं के बीच स्वाभाविक बैर चला आ रहा है।

नैतिक शिक्षा (Moral of the Story)

दूसरों के मामलों में बिना कारण हस्तक्षेप करने से आपको न केवल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि यह दुश्मनी और विवादों को जन्म दे सकता है।


उल्लू और कौए की दुश्मनी की कहानी - The Enmity Between the Owl and the Crow - Panchatantra Kahaniya 

Story: The Enmity Between the Owl and the Crow

Introduction

The world of the jungle, much like human society, is filled with organization, leadership, and conflicts. This Panchatantra story, "The Enmity Between the Owl and the Crow," sheds light on the politics among birds over choosing a king and how unnecessary interference can lead to unexpected enmities. It teaches us that meddling in others’ affairs without reason can unknowingly turn people into enemies.

The Birds’ Discontent and a Meeting

In a vast jungle, there lived a group of birds led by their king, Garuda (Vainateya). Garuda was highly religious and spent most of his time in devotion to Lord Vasudeva. As a result, he neglected the needs and concerns of his subjects.

Discontent Among the Birds and the Assembly

Over time, dissatisfaction grew among the birds. One day, all the birds gathered for a meeting. Present were the chataka, koel, crane, swan, parrot, owl, pigeon, and other birds. The chataka bird said, "Our king, Vainateya, has forgotten about us. We should choose a new king who will look after our well-being."

The Selection of the Owl and the Preparation for Coronation

Hearing the chataka’s words, all the birds agreed and decided to make the owl their new king. Preparations for the owl's coronation began swiftly. A crown and throne were crafted for him, and holy water from the Ganges was brought to perform the coronation rituals.

The Arrival of the Crow and His Question

Just then, a crow flew to the site where the preparations for the owl’s coronation were taking place. Seeing all the arrangements, the crow wondered what the event was for.
The crow asked the koel, "What’s this celebration about?"
The koel replied, "We are about to crown the owl as our new king."
Hearing this, the crow burst out laughing, drawing the attention of the other birds. They gathered around and asked him why he was laughing.

The Crow’s Warning: A Wrong Choice

The crow, still chuckling, said, "You’ve made a terrible mistake in choosing your king. Did you choose the owl because you had no better candidates?"
He continued, "You have beautiful and wise birds like the peacock, swan, crane, chakravaka, and parrot, yet you chose the crooked-nosed owl to be your king? The owl is a lazy, cowardly, blind-in-the-day bird. How can he do any good for you? Compared to him, your current king, Vainateya, is far more capable and beneficial. What sense does it make to replace him with the owl? Having more than one king leads to rivalry, which brings destruction. By making such an unworthy bird your king, you are inviting ruin upon the bird kingdom."
The crow’s logical arguments made all the birds reconsider their decision.

The Cancellation of the Owl’s Coronation

Influenced by the crow’s words, the birds abandoned the idea of the owl’s coronation. They all left, deciding not to make the owl their king anymore.

The Owl’s Anger and Enmity with the Crow

When the owl arrived for his coronation, he found only his friend, Krikalika, and the crow present.
The owl, puzzled, asked, "Where have all the birds gone?"
Krikalika explained, "Friend, it’s because of this crow. He opposed your coronation, and due to him, all the birds have left."
Hearing this, the owl was filled with rage. He turned to the crow and said, "Why did you do this, you wicked crow? What harm would my being king have caused you? You have unnecessarily made an enemy of me. From now on, you and your descendants will forever be my enemies."

The Crow’s Regret

The crow silently listened to the owl’s angry words and thought to himself, "Why did I interfere in their matters and make an enemy of the owl for no reason? It has brought me no benefit, only harm."
With these thoughts, the crow flew away. From that day onward, enmity between owls and crows has existed naturally.

Moral of the Story

Unnecessary interference in others' affairs can not only bring you trouble but can also create unwanted enmities and conflicts.

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