लड़ते बकरे और सियार की कहानी - The Fighting Goats and the Jackal - Panchatantra kahani in Hindi
लड़ते बकरे और सियार की कहानी
भूमिका
पंचतंत्र की कहानियाँ सदियों से नैतिक शिक्षा का माध्यम रही हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं। "लड़ते बकरे और सियार" की कहानी एक ऐसी ही कथा है, जिसमें लालच और मूर्खता का खामियाजा किस तरह चुकाना पड़ता है, इसे दर्शाया गया है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि दूसरों के झगड़े में लाभ उठाने की कोशिश कभी-कभी खुद के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
दो बकरों का झगड़ा
एक घने जंगल के बीच से एक नदी बहती थी, जिसके दोनों किनारों पर हरी-भरी घास और पेड़-पौधे थे। इस जंगल में कई जानवर रहते थे, जिनमें दो बकरे भी शामिल थे। ये बकरे बहुत ही ज़िद्दी और झगड़ालू स्वभाव के थे। वे हमेशा एक-दूसरे से लड़ने के लिए तैयार रहते थे, चाहे बात कितनी भी छोटी क्यों न हो।
एक दिन, दोनों बकरों ने एक ही समय पर नदी पार करने की कोशिश की। नदी के ऊपर एक संकरा पुल था, जिस पर से एक समय में केवल एक ही जानवर जा सकता था। दोनों बकरे एक ही समय पर पुल के दोनों ओर से चढ़ गए और बीच में पहुँचकर आमने-सामने खड़े हो गए। दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था। वे अपनी जिद और अहंकार के चलते एक-दूसरे से लड़ने लगे।
सियार की लालची दृष्टि
उसी जंगल में एक चालाक सियार भी रहता था, जो हमेशा दूसरों के झगड़े का फायदा उठाने की फिराक में रहता था। उसने दूर से देखा कि दो बकरे आपस में लड़ रहे हैं और दोनों बकरे इस झगड़े में एक-दूसरे को गंभीर चोट पहुँचा सकते हैं। सियार के दिमाग में तुरंत एक योजना आई।
उसने सोचा, "अगर ये दोनों बकरे इसी तरह लड़ते रहे, तो दोनों घायल हो जाएंगे और मर भी सकते हैं। तब मैं आराम से इनका मांस खा सकता हूँ। मुझे बस थोड़ा धैर्य रखना होगा और सही समय का इंतजार करना होगा।"
झगड़ा और बढ़ता गया
दोनों बकरे अपनी लड़ाई में पूरी ताकत से लगे हुए थे। वे एक-दूसरे को सींगों से मारने की कोशिश कर रहे थे। लड़ाई इतनी उग्र हो गई थी कि दोनों बकरे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। लेकिन उनका अहंकार इतना बड़ा था कि वे अपने झगड़े को रोकने का नाम नहीं ले रहे थे।
पुल के संकरा होने के कारण, वे दोनों वहीं फंसे रहे, और न ही एक बकरा आगे बढ़ सकता था और न ही पीछे हट सकता था। इस संघर्ष में दोनों बकरे बहुत अधिक थक गए और उनका शरीर पूरी तरह से कमजोर हो गया।
सियार का हमला
जब सियार ने देखा कि दोनों बकरे अब इतनी बुरी तरह से घायल हो चुके हैं कि वे खुद की रक्षा भी नहीं कर सकते, तो उसने अपनी योजना को अंजाम देने का निश्चय किया। वह बकरों के पास आया और उनकी ओर देखा। दोनों बकरे अब पूरी तरह से कमजोर हो चुके थे और अपनी चोटों के कारण गिरने की कगार पर थे।
सियार ने सोचा, "अब समय आ गया है कि मैं इन दोनों का मांस खा लूँ। इनके झगड़े का मुझे अच्छा फायदा मिल रहा है।" वह इस लालच में इतना अंधा हो गया था कि उसने ये नहीं सोचा कि दोनों बकरे अभी भी जीवित हैं और कुछ भी हो सकता है।
सियार का अंत
जैसे ही सियार ने एक बकरे के पास जाकर उसे मारने की कोशिश की, दूसरे बकरे ने अपने अंतिम बचे हुए बल से सियार पर हमला कर दिया। सियार को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि बकरे में इतनी ताकत बची होगी। वह बकरों की ताकत का अंदाजा नहीं लगा पाया था। बकरे के जोरदार हमले से सियार पुल से नीचे गिर गया और नदी में बह गया।
सियार की लालच और मूर्खता के कारण उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। वह बकरे का मांस खाने की लालसा में इतना खो गया था कि उसने बकरों की स्थिति का सही मूल्यांकन नहीं किया और अपने ही जाल में फँस गया।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों के झगड़े में बिना सोचे-समझे फायदा उठाने की कोशिश करना घातक हो सकता है। किसी की कमजोरी को अपना लाभ मानने से पहले हमें उसके परिणामों के बारे में भी सोचना चाहिए। लालच और मूर्खता हमेशा नुकसान की ओर ले जाती है, और हमें किसी भी परिस्थिति में समझदारी से काम लेना चाहिए।
निष्कर्ष
"लड़ते बकरे और सियार" की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में लालच और मूर्खता से दूर रहना चाहिए। दूसरों की कमजोरी का फायदा उठाने के बजाय, हमें अपने कर्तव्यों पर ध्यान देना चाहिए और नैतिकता का पालन करना चाहिए। यह कहानी एक महत्वपूर्ण सबक है कि दूसरों के झगड़े का हिस्सा बनने से खुद का नुकसान हो सकता है।
लड़ते बकरे और सियार की कहानी - The Fighting Goats and the Jackal - Panchatantra story in English
The Fighting Goats and the Jackal
Introduction:
Panchatantra stories have been a medium of moral education for centuries, focusing on various aspects of life. "The Fighting Goats and the Jackal" is one such story that illustrates how greed and foolishness can lead to disastrous consequences. This story teaches us that trying to take advantage of others' conflicts can sometimes result in our own downfall.
The Goats’ Fight:
A dense forest had a river flowing through it, with lush grass and trees on both banks. Many animals lived in this forest, including two goats. These goats were very stubborn and quarrelsome by nature. They were always ready to fight each other, no matter how trivial the issue.
One day, both goats attempted to cross the river at the same time. There was a narrow bridge over the river, wide enough for only one animal to cross at a time. Both goats climbed onto the bridge from opposite sides simultaneously and met in the middle, face to face. Neither goat was willing to back down. Driven by their stubbornness and pride, they began to fight.
The Jackal’s Greedy Eyes:
A cunning jackal also lived in the same forest, always looking for opportunities to benefit from others' fights. He noticed from afar that the two goats were fighting fiercely and might seriously injure each other. An idea quickly formed in the jackal’s mind.
He thought, "If these two goats keep fighting like this, they’ll both get injured or even die. Then I can easily feast on their meat. I just need to be patient and wait for the right moment."
The Fight Intensifies:
The two goats were fully engaged in their fight, using all their strength against each other. They were trying to hit each other with their horns. The fight became so intense that both goats were severely injured. However, their pride was so great that they refused to stop fighting.
Since the bridge was narrow, both goats were stuck in place—neither could move forward nor back. In this struggle, both goats became extremely exhausted, their bodies weakened from the fight.
The Jackal’s Attack:
When the jackal saw that both goats were now so badly injured that they could no longer defend themselves, he decided it was time to execute his plan. He approached the goats and looked at them. Both goats were now so weak that they were on the verge of collapsing from their injuries.
The jackal thought, "Now’s the time for me to feast on their meat. I’m going to benefit greatly from their fight." Blinded by greed, the jackal didn’t consider that the goats were still alive and that anything could happen.
The Jackal’s Demise:
As the jackal tried to attack one of the goats, the other goat, with its last remaining strength, struck the jackal. The jackal had not anticipated that the goat would still have such power left. He underestimated the strength of the goats. The goat’s powerful attack knocked the jackal off the bridge, and he fell into the river and was swept away.
The jackal’s greed and foolishness led to his demise. In his desire to eat the goats' meat, he failed to properly assess the situation and fell into his own trap.
Moral of the Story:
This story teaches us that trying to take advantage of others' conflicts without thinking can be dangerous. Before considering someone’s weakness as your gain, you should think about the consequences. Greed and foolishness always lead to harm, and it’s essential to act wisely in any situation.
Conclusion:
"The Fighting Goats and the Jackal" story teaches us the importance of staying away from greed and foolishness in life. Instead of trying to exploit others' weaknesses, we should focus on our duties and adhere to moral principles. This story is a significant lesson that getting involved in others’ fights can lead to our own loss.
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