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मूर्ख बातूनी कछुआ - The Foolish Talkative Tortoise - Panchatantra story

मूर्ख बातूनी कछुआ - The Foolish Talkative Tortoise - Panchatantra story in Hindi


मूर्ख बातूनी कछुआ - The Foolish Talkative Tortoise - Panchatantra story in Hindi

मूर्ख बातूनी कछुआ

भूमिका

पंचतंत्र की कहानियाँ जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाने के लिए प्रसिद्ध हैं, और इनमें से हर एक कहानी किसी न किसी नैतिक शिक्षा को प्रस्तुत करती है। "मूर्ख बातूनी कछुआ" एक ऐसी ही कहानी है जो हमें यह सिखाती है कि बिना सोचे-समझे बोलना हमारे लिए कितना हानिकारक हो सकता है। यह कहानी एक कछुए की है जो अपनी बातूनी आदत के कारण एक बड़ी मुसीबत में पड़ जाता है।

कछुए और हंसों की मित्रता

किसी समय की बात है, एक सुंदर झील के किनारे एक कछुआ रहता था। वह झील शांत और सुन्दर थी, जिसमें स्वच्छ जल भरा हुआ था और उसके चारों ओर हरियाली फैली हुई थी। उस झील में दो हंस भी रहते थे। हंस बहुत ही बुद्धिमान और समझदार थे, और वे कछुए के अच्छे मित्र थे। वे तीनों दिनभर साथ रहते, बातें करते और झील के किनारे अपने दिन बिताते थे।

कछुआ हमेशा बहुत ज्यादा बातें करता था। वह बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देता था। हंस उसे समझाते थे कि वह अपनी इस आदत को छोड़ दे, लेकिन कछुआ अपनी बातूनी आदत को बदलने के लिए तैयार नहीं था। वह हर समय कुछ न कुछ बोलता रहता था और अपनी बातों में मग्न रहता था।

सूखा और झील का सूखना

कुछ समय बाद, उस क्षेत्र में भयंकर सूखा पड़ गया। सूरज की तेज गर्मी के कारण झील का पानी धीरे-धीरे सूखने लगा। हंसों और कछुए को अब अपनी झील छोड़ने की चिंता सताने लगी। हंसों ने कछुए से कहा, "अगर इसी तरह पानी सूखता रहा, तो हमें इस जगह को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर जाना पड़ेगा। हमें एक नए स्थान की तलाश करनी होगी, जहां पानी और भोजन हो।"

कछुआ भी चिंतित हो गया, लेकिन वह जानता था कि वह हंसों की तरह उड़ नहीं सकता था। उसने हंसों से कहा, "तुम दोनों तो उड़कर किसी अन्य झील तक पहुंच जाओगे, लेकिन मैं इस जगह को छोड़कर कहीं नहीं जा सकता। अगर मैं यहां रह गया, तो मैं मर जाऊंगा। मुझे भी अपने साथ ले चलो।"

योजना और चेतावनी

हंसों ने कछुए की समस्या को समझा और उसे मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने एक योजना बनाई। हंसों ने एक मजबूत लकड़ी की छड़ी लाने का विचार किया। उन्होंने कछुए से कहा, "हम तुम्हें इस छड़ी के सहारे उड़ाकर दूसरी झील तक ले जाएंगे। तुम इस छड़ी को अपने मुंह से मजबूती से पकड़ लेना और हम दोनों इस छड़ी को अपने पंखों से पकड़कर उड़ जाएंगे। लेकिन ध्यान रखना, तुम पूरे रास्ते कुछ भी नहीं बोलना। अगर तुमने छड़ी को छोड़ दिया, तो तुम नीचे गिर जाओगे और मर जाओगे।"

कछुआ इस योजना से सहमत हो गया और उसने हंसों को वादा किया कि वह यात्रा के दौरान कुछ भी नहीं बोलेगा।

यात्रा की शुरुआत

हंस और कछुआ योजना के अनुसार उड़ान भरने लगे। कछुए ने छड़ी को मजबूती से पकड़ा और हंसों ने छड़ी के दोनों सिरों को अपने पंखों से पकड़कर उड़ना शुरू किया। वे धीरे-धीरे आकाश में ऊपर उठने लगे और झील से दूर होते गए।

कछुआ शुरुआत में शांत रहा और उसने कोई भी शब्द नहीं कहा। वह हवा में उड़ने का आनंद ले रहा था और नए-नए दृश्य देख रहा था। उसने सोचा कि यह सब कितना रोमांचक है, और वह बहुत खुश हुआ कि उसके मित्र उसे बचाने के लिए इतनी मेहनत कर रहे थे।

बातूनी कछुए की भूल

जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए, कछुआ नीचे के दृश्य देखकर उत्साहित हो गया। उसने आसमान से नीचे झांककर देखा कि धरती कितनी सुंदर लग रही है, और वह सोचने लगा कि काश वह इस अनुभव के बारे में हंसों से बात कर सकता। तभी उसे अचानक यह याद आया कि वह कुछ बोल नहीं सकता, वरना वह गिर जाएगा।

लेकिन जैसे ही कछुए की नजर नीचे एक गांव पर पड़ी, उसे वहां खेलते हुए कुछ बच्चे दिखाई दिए। बच्चे उसे देखकर चिल्लाने लगे, "देखो, देखो! आसमान में कछुआ उड़ रहा है!" बच्चों की आवाज़ सुनकर कछुए को बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा कि उसे उन बच्चों को जवाब देना चाहिए।

कछुआ अपनी बातूनी आदत से मजबूर होकर छड़ी को छोड़कर बोलने लगा, "तुम्हें नहीं पता कि यह सब कैसे हुआ!" जैसे ही उसने मुंह खोला, वह छड़ी से नीचे गिर गया। हंसों ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे। कछुआ तेज़ी से नीचे गिरता गया और आखिरकार जमीन पर गिरकर उसकी मृत्यु हो गई।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि बिना सोचे-समझे बोलना हमारे लिए कितना हानिकारक हो सकता है। कभी-कभी मौन रहना और स्थिति को समझकर ही बोलना सही होता है। कछुए ने हंसों की चेतावनी को नजरअंदाज किया और अपनी बातूनी आदत के कारण अपनी जान गंवा दी। इसलिए, हमें यह समझना चाहिए कि हमारे शब्दों का महत्व है और उन्हें सोच-समझकर ही उपयोग करना चाहिए।



मूर्ख बातूनी कछुआ - The Foolish Talkative Tortoise - Panchatantra story in English

The Foolish Talkative Tortoise

Introduction: 

The stories from the Panchatantra are well-known for teaching important life lessons, with each story presenting a unique moral. "The Foolish Talkative Tortoise" is one such story that teaches us how harmful it can be to speak without thinking. This story revolves around a tortoise who gets into serious trouble due to his talkative nature.

The Friendship of the Tortoise and the Swans: 

Once upon a time, a tortoise lived by the shore of a beautiful lake. The lake was calm and serene, with clear water and lush greenery surrounding it. Two swans also lived in this lake. The swans were wise and intelligent, and they were good friends with the tortoise. The three of them spent their days together, talking and enjoying the lakeside.

The tortoise had a habit of talking too much. He would say anything that came to his mind without thinking. The swans often advised him to curb this habit, but the tortoise was unwilling to change. He kept talking incessantly and would lose himself in his own words.

The Drought and the Drying of the Lake: 

After some time, a severe drought struck the area. The intense heat of the sun gradually dried up the lake's water. The swans and the tortoise began to worry about leaving their beloved lake. The swans told the tortoise, "If the water continues to dry up, we will have to leave this place and find another where there is water and food."

The tortoise grew anxious, knowing that unlike the swans, he could not fly. He said to the swans, "You both can fly to another lake, but I cannot leave this place. If I stay here, I will die. Please take me with you."

The Plan and the Warning: 

Understanding the tortoise's predicament, the swans assured him of their help. They came up with a plan. The swans decided to bring a strong wooden stick. They said to the tortoise, "We will carry you to another lake with the help of this stick. You must hold the stick firmly in your mouth, and we will hold the stick's ends with our beaks and fly. But remember, you must not speak a word throughout the journey. If you let go of the stick, you will fall and die."

The tortoise agreed to the plan and promised the swans that he would not speak during the journey.

The Journey Begins: 

The swans and the tortoise began their flight as planned. The tortoise held onto the stick tightly, and the swans grasped the stick's ends with their beaks, lifting off into the sky. They slowly ascended higher and higher, moving away from the drying lake.

At first, the tortoise remained silent and did not utter a single word. He enjoyed the experience of flying through the air and watching the new sights below. He thought about how thrilling it was and how grateful he was to his friends for saving him.

The Talkative Tortoise's Mistake: 

As they continued their journey, the tortoise became increasingly excited by the scenes below. He looked down and saw how beautiful the earth appeared from the sky, and he wished he could talk to the swans about it. Just then, he remembered that he couldn’t speak, or else he would fall.

However, as the tortoise glanced down at a village, he saw some children playing. The children noticed the tortoise flying in the sky and began shouting, "Look, look! A tortoise is flying!" Hearing the children, the tortoise became very angry. He thought he should respond to them.

Compelled by his talkative nature, the tortoise let go of the stick to speak, saying, "You don't know how this happened!" The moment he opened his mouth, he fell from the stick. The swans tried to save him, but they couldn’t. The tortoise fell rapidly, and eventually, he crashed to the ground and died.

Moral of the Story: 

This story teaches us how harmful it can be to speak without thinking. Sometimes, staying silent and understanding the situation before speaking is the right approach. The tortoise ignored the swans' warning and lost his life because of his talkative nature. Therefore, we should understand the importance of our words and use them wisely.

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