बंदर और लकड़ी का खूंटा ( The Monkey and the Wooden Wedge ) - Panchatantra Kahani in Hindi
बंदर और लकड़ी का खूंटा
भूमिका
पंचतंत्र की कहानियों का उद्देश्य न केवल मनोरंजन प्रदान करना है, बल्कि इसके माध्यम से महत्वपूर्ण नैतिक शिक्षाएँ भी दी जाती हैं। 'बंदर और लकड़ी का खूंटा' की कहानी भी इन्हीं कहानियों में से एक है। यह कहानी बताती है कि किसी भी कार्य में अनावश्यक हस्तक्षेप करने से कैसे अनहोनी घटनाएं घट सकती हैं और परिणामस्वरूप हानि उठानी पड़ सकती है। इसमें बंदर की एक भूल और उसके परिणाम का मार्मिक विवरण है।
वन के पास स्थित गांव
किसी समय की बात है, एक गाँव के पास घना जंगल था। इस गाँव में कई लकड़हारे रहते थे, जो जंगल से लकड़ी काटकर अपना जीवनयापन करते थे। वे लकड़हारे बहुत ही मेहनती थे और सुबह से शाम तक काम करते थे। जंगल से काटी गई लकड़ियों को वे गाँव में लाकर इकट्ठा करते और फिर उन्हें बाजार में बेचते थे।
लकड़हारे का काम
एक दिन की बात है, गाँव के कुछ लकड़हारे एक बड़ी लकड़ी को काटने का काम कर रहे थे। उन्होंने एक मोटी लकड़ी के तने को बीच में से चीरने का फैसला किया। लकड़हारे ने लकड़ी में फांसी दी और बीच में एक खूंटा फंसा दिया, ताकि लकड़ी के दोनों हिस्से अलग हो सकें। फिर वे कुछ समय के लिए भोजन करने चले गए।
बंदर का आना
उसी गाँव के पास एक पेड़ पर बंदरों का एक समूह रहता था। वे बंदर गाँव के लोगों की गतिविधियों में बहुत रुचि लेते थे और उनके कामों को देखकर अचरज करते थे। जब लकड़हारे काम छोड़कर भोजन करने चले गए, तो एक जिज्ञासु बंदर उस अधूरी लकड़ी के पास आ गया। उसने देखा कि लकड़ी के तने में बीच में एक खूंटा फंसा हुआ है।
बंदर की जिज्ञासा
बंदर बहुत ही जिज्ञासु था और उसने सोचा कि क्यों न इस खूंटे को निकालकर देखा जाए कि आखिरकार यह क्या काम करता है। बिना सोचे-समझे उसने लकड़ी के बीच में फंसे खूंटे को खींचने का प्रयास किया। हालांकि, बंदर को यह नहीं पता था कि लकड़ी का यह तना बहुत भारी और खतरनाक हो सकता है।
खूंटे को निकालने का प्रयास
बंदर ने अपने हाथों और पैरों का इस्तेमाल करते हुए पूरी ताकत से खूंटे को खींचना शुरू किया। कई बार प्रयास करने के बाद, वह खूंटा थोड़ा-सा खिसकने लगा। बंदर की उत्सुकता और बढ़ गई और उसने और भी जोर लगाना शुरू किया। कुछ ही समय में खूंटा पूरी तरह से बाहर निकल आया।
विनाशकारी परिणाम
जैसे ही खूंटा बाहर निकला, लकड़ी के दोनों हिस्से आपस में जोर से टकरा गए और बंदर का पैर बीच में फंस गया। उसकी दर्दनाक चीखें निकल पड़ीं, लेकिन वह खुद को नहीं छुड़ा पाया। लकड़ी के दोनों हिस्से इतने भारी थे कि बंदर के पैर को कुचल दिया और उसे भयानक दर्द का सामना करना पड़ा।
बंदर की पीड़ा
बंदर ने बहुत कोशिश की खुद को छुड़ाने की, लेकिन उसकी सभी कोशिशें बेकार रहीं। कुछ समय बाद, लकड़हारे भोजन करके लौट आए और बंदर को इस अवस्था में देखकर चौंक गए। उन्होंने तुरंत बंदर को छुड़ाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बंदर का पैर बुरी तरह से कुचल चुका था, और उसकी हालत बहुत गंभीर हो गई थी।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी काम में बिना सोचे-समझे हस्तक्षेप करना खतरनाक हो सकता है। बंदर की तरह जिज्ञासु होकर किसी काम में अनावश्यक रूप से दखल देना अपने लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हर काम को समझदारी और सोच-समझकर करना चाहिए, अन्यथा उसके परिणाम भयंकर हो सकते हैं। अनावश्यक दखलअंदाजी से न केवल खुद को नुकसान पहुंचता है, बल्कि दूसरों के काम में भी बाधा उत्पन्न होती है।
निष्कर्ष
कहानी के अंत में, बंदर की दर्दनाक स्थिति और उसके द्वारा की गई भूल हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जीवन में सावधानी और संयम कितनी महत्वपूर्ण चीजें हैं। यह कहानी एक महत्वपूर्ण सबक देती है कि हमें किसी भी कार्य में सोच-समझकर और सही जानकारी के साथ ही हस्तक्षेप करना चाहिए। जिज्ञासा अच्छी बात है, लेकिन अनावश्यक दखलअंदाजी और अनुचित प्रयास कभी-कभी जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
The Monkey and the Wooden Wedge -Panchatantra Story in English
Introduction
The stories of the Panchatantra serve not only to entertain but also to impart significant moral lessons. "The Monkey and the Wooden Wedge" is one such tale. It teaches how unnecessary interference in any task can lead to unforeseen events and, ultimately, result in harm. This story vividly portrays the consequences of a monkey's mistake and the resulting pain.
The Village Near the Forest
Once upon a time, there was a dense forest near a village. Many woodcutters lived in this village, earning their livelihood by chopping wood from the forest. These woodcutters were very hardworking and toiled from morning till evening. They would gather the wood from the forest, bring it back to the village, and sell it in the market.
The Woodcutters' Task
One day, some woodcutters from the village were working on cutting a large log. They decided to split the thick log in the middle. The woodcutters placed a wedge in the wood to keep the two halves apart and then went away for lunch, leaving the work incomplete.
The Arrival of the Monkey
Near the village, on a tree, lived a group of monkeys. These monkeys were always curious about the villagers' activities and would watch them in amazement. When the woodcutters left for lunch, one curious monkey approached the half-split log. He noticed the wedge stuck in the middle of the wood.
The Monkey's Curiosity
The monkey was extremely curious and thought, "Why not remove this wedge and see what happens?" Without thinking about the consequences, the monkey began tugging at the wedge stuck in the wood. However, the monkey was unaware that this log was heavy and potentially dangerous.
The Attempt to Remove the Wedge
Using both his hands and feet, the monkey started pulling the wedge with all his might. After several attempts, the wedge began to budge. The monkey's curiosity grew even more, and he applied more force. In no time, the wedge came out completely.
The Disastrous Outcome
As soon as the wedge was removed, the two halves of the log slammed together with great force, trapping the monkey's leg in between. He let out a painful scream but was unable to free himself. The weight of the two halves crushed the monkey's leg, causing him excruciating pain.
The Monkey's Agony
The monkey tried desperately to free himself, but all his efforts were in vain. After some time, the woodcutters returned from lunch and were shocked to see the monkey in such a state. They immediately tried to rescue him, but it was too late. The monkey's leg had been severely crushed, and his condition had become critical.
Moral Lesson
This story teaches that interfering in any work without understanding it can be dangerous. Like the monkey, being curious and meddling in something without reason can lead to disastrous consequences. The story reminds us that every task should be approached with wisdom and caution, or the results could be dire. Unnecessary interference not only harms oneself but also disrupts the work of others.
Conclusion
At the end of the story, the monkey's painful situation and his mistake compel us to realize how crucial caution and restraint are in life. This story offers an important lesson: one should only intervene in any task with careful thought and proper knowledge. Curiosity is a good thing, but unnecessary meddling and improper attempts can sometimes prove life-threatening.
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