तीन मछलियों की कहानी - The Story of the Three Fish
तीन मछलियों की कहानी
भूमिका
"तीन मछलियों की कहानी" पंचतंत्र की एक और प्रसिद्ध कथा है जो हमें जीवन में समय पर निर्णय लेने की आवश्यकता और दूरदर्शिता का महत्व सिखाती है। यह कहानी तीन मछलियों की है, जो अपने व्यवहार और सोच के आधार पर अलग-अलग निर्णय लेती हैं, और उनके निर्णय उनके भविष्य को निर्धारित करते हैं।
तीन मछलियाँ और उनका तालाब
किसी समय की बात है, एक बड़ी और गहरी झील में तीन मछलियाँ रहती थीं। यह झील पानी से लबालब भरी थी और मछलियों के रहने के लिए एक आदर्श स्थान था। इन तीन मछलियों का नाम था अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति, और यद्भविष्य। इन नामों के साथ ही उनके व्यक्तित्व का भी वर्णन किया जा सकता था।
अनागतविधाता - यह मछली बहुत बुद्धिमान थी और हमेशा भविष्य की चिंता करती थी। वह संभावित खतरों के बारे में सोचती रहती और उसके अनुसार अपनी सुरक्षा के उपाय करती थी। वह समय से पहले संभावनाओं का अनुमान लगाकर तैयार रहती थी।
प्रत्युत्पन्नमति - यह मछली बुद्धिमान थी, लेकिन वह तभी प्रतिक्रिया देती थी जब समस्या सामने आती थी। वह भविष्य की चिंता नहीं करती थी, लेकिन जब स्थिति का सामना करना पड़ता, तब वह सही निर्णय लेने में सक्षम होती थी।
यद्भविष्य - यह मछली सबसे आलसी और लापरवाह थी। वह किसी भी प्रकार की योजना या तैयारी में विश्वास नहीं करती थी और जो कुछ भी होता, उसे भाग्य पर छोड़ देती थी। उसका मानना था कि जो होना है, वह होकर ही रहेगा, इसलिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
खतरे की आहट
एक दिन, तीनों मछलियाँ झील के अंदर खेल रही थीं और भोजन की तलाश कर रही थीं। तभी अनागतविधाता ने देखा कि कुछ मछुआरे झील के किनारे आ रहे हैं। वे आपस में बातें कर रहे थे और झील में मछलियाँ पकड़ने की योजना बना रहे थे। मछुआरों ने झील में जाल डालने का विचार किया और अगले दिन सुबह इसे अमल में लाने का निर्णय किया। यह सुनकर अनागतविधाता को बहुत चिंता हुई। उसने सोचा कि अगर मछुआरे यहां जाल डालेंगे, तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती है।
तीनों मछलियों की प्रतिक्रिया
अनागतविधाता तुरंत अपनी दोनों सहेलियों के पास गई और उन्हें मछुआरों की योजना के बारे में बताया। उसने कहा, "हमें जल्द से जल्द इस झील को छोड़कर किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए। मछुआरे कल यहां जाल बिछाने आएंगे, और तब तक अगर हम यहां रहेंगे, तो हम उनकी पकड़ में आ जाएंगे।"
प्रत्युत्पन्नमति ने कहा, "तुम्हारी बात सही है, लेकिन मैं सोचती हूं कि अभी हमें जल्दी करने की जरूरत नहीं है। अगर वास्तव में मछुआरे यहां आए और जाल बिछाया, तो मैं उस समय कोई उपाय करूंगी।"
यद्भविष्य ने हँसते हुए कहा, "तुम दोनों बेवजह चिंता कर रही हो। हमें अपनी झील छोड़कर जाने की क्या जरूरत है? यह हमारी जगह है, और मैं भाग्य में विश्वास करती हूं। अगर हमारी किस्मत में जाल में फंसना लिखा है, तो हम कहीं भी चले जाएं, बच नहीं सकते। इसलिए, मैं यहां ही रहूंगी और देखूंगी कि क्या होता है।"
अनागतविधाता का निर्णय
अनागतविधाता को यद्भविष्य के विचारों पर विश्वास नहीं था। उसने तुरंत निर्णय लिया कि वह झील छोड़ देगी। वह रात के अंधेरे में बिना देर किए एक छोटी सी नदी के रास्ते से दूसरी झील में चली गई, जहां उसे सुरक्षा का अहसास हुआ।
अगली सुबह का खतरा
अगली सुबह, मछुआरे झील पर आ गए। उन्होंने झील में अपना जाल डाला और बहुत सारी मछलियों को फंसा लिया। प्रत्युत्पन्नमति ने देखा कि मछुआरे अपना जाल डाल चुके हैं और उसे अब कुछ करना पड़ेगा। उसने बुद्धिमानी से काम लिया और मरी हुई मछली का नाटक करते हुए पानी की सतह पर तैरने लगी। मछुआरों ने उसे मरी हुई मछली समझकर जाल से बाहर फेंक दिया। इस तरह, प्रत्युत्पन्नमति ने अपनी जान बचा ली।
यद्भविष्य का अंत
लेकिन यद्भविष्य, जो भाग्य में विश्वास करती थी और जिसने कोई तैयारी नहीं की थी, मछुआरों के जाल में फंस गई। मछुआरों ने उसे पकड़ लिया और अन्य मछलियों के साथ बाजार में बेच दिया। यद्भविष्य की जान चली गई, क्योंकि उसने समय पर निर्णय नहीं लिया और भाग्य के भरोसे रहकर अपने जीवन को खतरे में डाल दिया।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि भविष्य की चिंता और योजना बनाना आवश्यक है। अनागतविधाता की दूरदर्शिता ने उसे बचा लिया, प्रत्युत्पन्नमति ने भी समय पर सही निर्णय लेकर अपनी जान बचा ली, लेकिन यद्भविष्य ने भाग्य पर निर्भर रहकर अपनी जान गवां दी। इसलिए, हमें जीवन में समय पर सही निर्णय लेने और संभावित खतरों से बचने के लिए तैयार रहना चाहिए।
The Story of the Three Fish
Introduction: "The Story of the Three Fish" is another famous tale from the Panchatantra that teaches us the importance of timely decision-making and foresight in life. This story is about three fish who make different decisions based on their behavior and thinking, and these decisions ultimately determine their fate.
The Three Fish and Their Pond: Once upon a time, there was a large, deep lake where three fish lived. The lake was full of water and was an ideal place for the fish to live. The names of these three fish were Anagatavidhata, Pratyutpannamati, and Yadbhavishya. Their names also reflected their personalities.
Anagatavidhata was very wise and always worried about the future. She constantly thought about potential dangers and took precautions accordingly. She was always prepared by anticipating future possibilities.
Pratyutpannamati was intelligent but reacted only when a problem arose. She didn’t worry about the future but was capable of making the right decision when faced with a situation.
Yadbhavishya was the laziest and most careless of the three. She didn’t believe in planning or preparation and left everything to fate. She believed that whatever is destined to happen will happen, so there’s no need to worry.
The Threat Approaches: One day, while the three fish were playing in the lake and searching for food, Anagatavidhata noticed some fishermen approaching the shore. They were talking amongst themselves and planning to catch fish from the lake. The fishermen decided to cast their nets in the lake the next morning. Hearing this, Anagatavidhata became very worried. She thought that if the fishermen cast their nets here, their lives could be in danger.
The Reactions of the Three Fish: Anagatavidhata quickly went to her two friends and told them about the fishermen’s plan. She said, "We must leave this lake as soon as possible and move to another safe place. The fishermen will come here tomorrow to cast their nets, and if we stay here, we will be caught."
Pratyutpannamati replied, "You are right, but I think there's no need to rush. If the fishermen do come and cast their nets, I will figure out a way to handle it then."
Yadbhavishya laughed and said, "You two are worrying unnecessarily. Why should we leave our lake? This is our home, and I believe in fate. If it is written in our destiny to be caught in the net, we won’t escape even if we move elsewhere. So, I will stay here and see what happens."
Anagatavidhata's Decision: Anagatavidhata didn’t trust Yadbhavishya's views. She immediately decided to leave the lake. Without delay, she swam through a small river under the cover of night and reached another lake, where she felt safe.
The Danger of the Next Morning: The next morning, the fishermen arrived at the lake. They cast their nets and caught many fish. Pratyutpannamati saw that the fishermen had already thrown their nets, and she needed to act quickly. She cleverly pretended to be a dead fish and floated on the surface of the water. The fishermen, thinking she was dead, threw her out of the net. In this way, Pratyutpannamati saved her life.
Yadbhavishya's Fate: But Yadbhavishya, who believed in fate and had made no preparation, got caught in the fishermen’s net. The fishermen caught her and sold her in the market along with the other fish. Yadbhavishya lost her life because she didn’t make a timely decision and put her life in danger by relying solely on fate.
Moral of the Story: This story teaches us the importance of worrying about the future and making plans. Anagatavidhata’s foresight saved her life, Pratyutpannamati also saved herself by making the right decision at the right time, but Yadbhavishya lost her life because she relied on fate. Therefore, we should be prepared to make timely decisions in life and avoid potential dangers.
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