जैसे को तैसा - कहानी - Tit for Tat: The Story of the Iron Scales in Hindi
जैसे को तैसा – लोहे के तराजू की कहानी
प्रस्तावना
पुराने समय की बात है, एक गाँव में जीर्णधन नामक एक व्यापारी निवास करता था। उसके पास एक मूल्यवान लोहे का तराजू था। व्यापार के सिलसिले में उसे दूसरे शहर जाना पड़ा और उसने अपने तराजू को धूर्तबुद्धि नामक महाजन के पास सुरक्षित रखने के लिए दिया।
जीर्णधन का तराजू सुरक्षित रखना
जीर्णधन ने धूर्तबुद्धि से कहा, “मुझे कुछ समय के लिए शहर से बाहर जाना है। इस लोहे के तराजू को मैं तुम्हारे पास सुरक्षित छोड़ता हूँ। जब मैं लौटूंगा, तो इसे वापस ले लूँगा।”
धूर्तबुद्धि ने बिना किसी संकोच के कहा, “तुम निश्चिंत होकर जाओ। तुम्हारा तराजू मेरे पास पूरी सुरक्षा में रहेगा।”
जीर्णधन की वापसी और तराजू की माँग
जीर्णधन कुछ महीनों बाद शहर से लौटा और धूर्तबुद्धि के पास जाकर अपने तराजू की माँग की। धूर्तबुद्धि ने एक झूठ बोलते हुए कहा, “मुझे खेद है, लेकिन चूहों ने तुम्हारा तराजू खा लिया।”
धूर्तबुद्धि की चालाकी का जवाब
जीर्णधन को धूर्तबुद्धि की बातों पर शक हो गया, लेकिन उसने शांति बनाए रखते हुए कहा, “अगर चूहे ने मेरा तराजू खा लिया है, तो इसमें तुम्हारा क्या दोष? अब तुम मुझे अपना बेटा कुछ समय के लिए दे दो, मुझे तालाब जाना है।”
बेटे को गुफा में बंद करना
धूर्तबुद्धि ने सोचा कि जीर्णधन ने उसकी बात मान ली है, और उसने बिना किसी संकोच के अपना बेटा जीर्णधन के साथ भेज दिया। जीर्णधन ने धूर्तबुद्धि के बेटे को लेकर तालाब की ओर चल दिया और उसे वहाँ की एक गुफा में बंद कर दिया।
धूर्तबुद्धि की चिंता और जीर्णधन की चालाकी
जब धूर्तबुद्धि ने अपने बेटे को नहीं पाया, तो वह चिंतित हो गया और जीर्णधन से पूछा, “मेरा बेटा कहाँ है?”
जीर्णधन ने उत्तर दिया, “मुझे खेद है, लेकिन बाज तुम्हारे बेटे को ले गया।”
धूर्तबुद्धि ने आश्चर्यचकित होकर कहा, “बाज कैसे मेरे बेटे को उठा सकता है? यह असंभव है!”
धूर्तबुद्धि की गलती का एहसास
जीर्णधन ने चतुराई से कहा, “अगर चूहे लोहे का तराजू खा सकते हैं, तो बाज भी तुम्हारा बेटा उठा सकता है।”
धूर्तबुद्धि को समझ आ गया कि उसकी ही चाल में वह फँस चुका है। उसने तुरंत माफी माँगी, “मुझे माफ़ कर दो, मैंने झूठ बोला था। मैं तुम्हारा तराजू तुरंत लौटा दूँगा, बस मेरा बेटा वापस कर दो।”
समाप्ति और नैतिक शिक्षा
जीर्णधन ने धूर्तबुद्धि का बेटा सुरक्षित लौटा दिया, और धूर्तबुद्धि ने भी जीर्णधन का तराजू वापस कर दिया। इस प्रकार, जीर्णधन ने अपनी चतुराई से धूर्तबुद्धि को उसकी ही चाल में फंसा दिया।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से निम्नलिखित महत्वपूर्ण शिक्षाएं प्राप्त होती हैं:
जैसा किया जाए वैसा ही प्राप्त होता है: दूसरों के साथ जैसा व्यवहार किया जाए, वैसा ही परिणाम खुद को भी प्राप्त होता है। इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि छल-कपट करने वाले को उसी की चाल में फंसाया जा सकता है। सच्चाई और बुद्धिमानी की हमेशा जीत होती है।
प्रतिशोध और बदला: प्रतिशोध और बदला केवल खुद के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
सच्ची समझदारी और न्याय: सच्ची समझदारी और न्याय से ही समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
इस कहानी के माध्यम से यह सिखाया जाता है कि अपने कर्मों और व्यवहार का परिणाम खुद को भी भुगतना पड़ सकता है। सच्ची समझदारी और न्याय से ही जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
जैसे को तैसा - कहानी - in English
Tit for Tat: The Story of the Iron Scales in English
Introduction
"Tit for Tat" is an important story from the Panchatantra that demonstrates the principles of revenge, justice, and fairness. It teaches that the way we treat others is how we will be treated in return. The story carries a moral lesson about understanding the consequences of our actions and behaving ethically.
The Beginning of the Story
The story of "Tit for Tat" revolves around an incident involving iron scales.
The Tale of the Iron Scales
Long ago, in a bustling town, there lived two merchants named Dharmabuddhi (Righteous Mind) and Papabuddhi (Wicked Mind). Despite their friendship, they were vastly different in nature. Dharmabuddhi was honest and kind-hearted, while Papabuddhi was deceitful and cunning.
One day, Dharmabuddhi had to travel to another city for some important work. Before leaving, he entrusted his valuable possessions, especially a large iron scale, to Papabuddhi for safekeeping. Dharmabuddhi trusted that Papabuddhi, being his friend, would keep his belongings safe.
The Plan of Deceit
After a few years, Dharmabuddhi returned and went to Papabuddhi to retrieve his iron scale. However, Papabuddhi, with a dishonest mind, said, "Friend, I regret to inform you that your iron scale was eaten by mice. It no longer exists."
Hearing this, Dharmabuddhi was surprised but didn’t argue. Although he suspected that Papabuddhi was lying, he remained calm and didn’t confront him. Instead, he devised a plan to expose Papabuddhi’s deception.
The Plan Unfolds
Dharmabuddhi said to Papabuddhi, "If the mice ate the scale, there’s nothing you could have done. It’s a natural occurrence. Let’s forget about it. But can you do me a favor? I need to take my son to the river for a bath. Could you look after him for a while?"
Papabuddhi, thinking that Dharmabuddhi had let go of the issue of the scales, agreed and took Dharmabuddhi’s son under his care. Dharmabuddhi seized the opportunity and, on the pretext of taking his son to the river, hid him away in a safe place.
Tit for Tat
Later, when Papabuddhi asked Dharmabuddhi about his son, Dharmabuddhi calmly replied, "My friend, I regret to inform you that an eagle took your son away. I’m deeply sorry."
Papabuddhi was furious and said, "How is that possible? How could an eagle carry away such a big boy?"
Dharmabuddhi, smiling, replied, "Just as mice can eat an iron scale, an eagle can also take away your son."
Demand for Justice
Papabuddhi, feeling cheated, accused Dharmabuddhi of deceit and went to the town's elders to seek justice. When both men explained their sides of the story, Dharmabuddhi said, "If mice can eat iron scales, then surely an eagle can carry off a child."
The town elders immediately understood that Papabuddhi had stolen the iron scale and tried to deceive Dharmabuddhi. They ordered Papabuddhi to return the iron scale and punished him for his dishonesty.
Moral of the Story
This story teaches several valuable lessons:
- As You Sow, So Shall You Reap: The way you treat others is how you will be treated in return.
- Revenge and Deceit Can Be Harmful: Seeking revenge and being dishonest can bring harm to oneself.
- True Wisdom and Justice: True wisdom and fairness are the key to resolving conflicts.
Through this story, it is shown that our actions have consequences, and acting with integrity and fairness leads to success and peace in life.
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