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चुपके से प्यार - Hindi Kahani - Chupke se Pyaar - Hindi Kahaniya

चुपके से प्यार - Hindi Kahani - Chupke se Pyaar - Hindi Kahaniya

 

चुपके से प्यार - Hindi Kahani A love story - Chupke se Pyaar - Hindi Kahaniya

कहानी: "चुपके से प्यार" A Short college Love Story Hindi Kahani

मुंबई की हलचल भरी ज़िंदगी में, जहां कारों के हॉर्न की आवाज़, सड़कों पर लगे ठेलों की भीड़, और ताज़ा बनी चाय की ख़ुशबू बिखरी रहती थी, वहां एक शांत सा कॉलेज था। यह कॉलेज नौजवानों का गढ़ था, जहां हर कोई अपने सपनों, हसरतों और थोड़ी-सी शरारतों के साथ जी रहा था। इस भीड़ में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चित था—अर्जुन। कॉलेज का सबसे बड़ा शरारती, जो अपने मज़ाक और दिलकश अंदाज़ के लिए जाना जाता था।

अर्जुन सिर्फ़ एक आम छात्र नहीं था, बल्कि उसके पास शरारत करने का अनोखा हुनर था। वो बड़े-बड़े मज़ाक ऐसे करता था कि सामने वाला उसकी मासूमियत पर यकीन कर लेता। इसीलिए कॉलेज में उसे ‘मास्टर ऑफ मस्ती’ कहा जाता था। लेकिन इन सबके पीछे अर्जुन के दिल में एक राज़ छुपा हुआ था—उसका दिल उसकी क्लासमेट नैना के लिए धड़कता था।

नैना अर्जुन के ठीक उलट थी। वह एक शांत, पढ़ाकू लड़की थी, जो अपनी किताबों में खोई रहती थी। वह अर्जुन की शरारतों से बिल्कुल अलग थी और शायद इसी वजह से अर्जुन की नज़रों में उसकी अलग जगह थी। हालांकि, अर्जुन ने उसे कभी सीधे तौर पर अपने दिल की बात नहीं बताई थी, लेकिन उसके अंदर कहीं एक सॉफ्ट कॉर्नर जरूर था।


अध्याय 1: बड़ा प्लान

एक दिन, जब क्लास में लेक्चर चल रहा था और अर्जुन हमेशा की तरह ध्यान भटकाए बैठा था, तभी उसके सबसे अच्छे दोस्त समीर ने उसे कोहनी मारते हुए कहा, "यार अर्जुन, एग्ज़ाम आने वाले हैं और हमने अभी तक एक शब्द भी नहीं पढ़ा। इस बार क्या प्लान है? फिर से प्रोफेसर को अपनी बातों में उलझा कर पास होने का इरादा है क्या?"

अर्जुन ने हंसते हुए कहा, "समीर, एग्ज़ाम्स तो आसान हैं, ज़िंदगी मुश्किल है। इस बार मैंने कुछ और सोचा है।"

समीर ने चौंकते हुए पूछा, "क्या सोचा है?"

अर्जुन थोड़ा झुकते हुए धीरे से बोला, "मैं नैना को अपने प्यार में फंसाऊंगा।"

समीर की आंखें फैल गईं। "नैना? जो तुझे घास भी नहीं डालती?"

अर्जुन ने आत्मविश्वास के साथ सिर हिलाया। "हां, वही। यही तो सबसे बड़ी शरारत होगी।"

समीर ने हैरान होते हुए कहा, "तू पक्का है? नैना बाकी लड़कियों जैसी नहीं है। और प्यार को मज़ाक में नहीं बदला जा सकता।"

अर्जुन ने मुस्कराते हुए कहा, "देखते हैं। आज से प्लान शुरू।"

अर्जुन को बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि यह मज़ाक उसे कहां तक ले जाएगा। जैसे ही क्लास खत्म हुई, उसने अपना मिशन शुरू कर दिया। वह लाइब्रेरी के पास "संयोग से" नैना से टकराया और उसके किताबें गिरने का इंतज़ार करने लगा ताकि वह उसे नोटिस करे।

“सॉरी,” उसने मासूमियत से मुस्कराते हुए कहा।

नैना ने एक नजर उसे देखा और सिर हिला कर आगे बढ़ गई। यह अर्जुन की उम्मीद से अलग था, लेकिन हार मानना उसकी आदत नहीं थी।


अध्याय 2: ऑपरेशन 'इंप्रेस नैना'

अगले दिन, अर्जुन ने क्लास में नैना के पीछे बैठने का प्लान बनाया। उसने ध्यान से सुना कि नैना एक कविता पर क्या कह रही थी। वह न केवल सुंदर थी, बल्कि बेहद समझदार भी। अर्जुन को महसूस हुआ कि यह इतना आसान नहीं होगा। नैना को साधारण चापलूसी से प्रभावित नहीं किया जा सकता था। वह गहरी सोच वाली थी।

उसी शाम, अर्जुन ने लाइब्रेरी में जाकर कविताओं की किताबें पढ़नी शुरू कीं। उसका इरादा था कि अगली बार जब वह नैना से बात करे, तो उसे अपनी बातों से प्रभावित कर सके। अगले दिन, उसने अपने कैफेटेरिया के रास्ते पर बातचीत शुरू की।

"नैना, क्या तुमने ग़ालिब की वो लाइन पढ़ी है? ‘दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों?’”

नैना चौंक गई। अर्जुन और ग़ालिब? यह उसे एक मज़ाक लगा। उसने कभी उम्मीद नहीं की थी कि अर्जुन ऐसा कुछ कहेगा।

"हां, यह मेरी पसंदीदा कविताओं में से एक है," उसने धीरे से कहा, शक के साथ।

अर्जुन ने मुस्कराते हुए कहा, "मेरी भी।"

पहली बार, नैना ने हल्की सी मुस्कान दी। वह छोटी मुस्कान ही अर्जुन के प्लान को आगे बढ़ाने के लिए काफी थी। अगले कुछ दिनों में, वह लाइब्रेरी में ज़्यादा वक्त बिताने लगा, उन विषयों को समझने की कोशिश करने लगा जो नैना की दिलचस्पी में थे। धीरे-धीरे, उनकी बातचीत बढ़ने लगी और एक अनकही दोस्ती का रिश्ता बनने लगा।

पर जैसे-जैसे अर्जुन नैना के करीब आता गया, उसे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा। जो मज़ाक के तौर पर शुरू हुआ था, वह अब एक सच्ची भावना में बदल रहा था। अब उसे नैना से बातें करने में मज़ा आने लगा था, उसका इंतज़ार करना अच्छा लगने लगा था, और उसकी सोच की गहराई से प्रभावित होने लगा था।


अध्याय 3: एक नया मोड़

एक दिन, अर्जुन ने गलती से नैना और उसकी दोस्त रिया की बातचीत सुनी। नैना ने अपनी पुरानी क्रश के बारे में बताया। यह सुनकर अर्जुन का दिल बैठ गया। क्या वह किसी और के बारे में बात कर रही थी? क्या उसकी सारी कोशिशें बेकार थीं? वह इस ख्याल को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।

अर्जुन ने सच्चाई जानने के लिए एक और शरारत करने का फैसला किया—एक ऐसा मज़ाक जो यह साबित कर देगा कि क्या नैना भी उसे पसंद करती है या नहीं। उसने समीर से कॉलेज में यह अफवाह फैलाने को कहा कि अर्जुन किसी और लड़की के साथ डेट कर रहा है, जो दूसरे डिपार्टमेंट की है।

अगले दिन, पूरा कॉलेज इस खबर से गूंज उठा। अर्जुन ने नैना को ध्यान से देखा, उसकी नज़रों में जलन या उदासी ढूंढने की कोशिश की। लेकिन नैना हमेशा की तरह शांत रही, हालांकि उसकी आंखों में कुछ अलग था।

शाम को, अर्जुन को नैना का मैसेज मिला। उसने अर्जुन को पुराने कॉलेज बिल्डिंग के पास मिलने के लिए बुलाया। अर्जुन का दिल तेजी से धड़कने लगा। जब वह वहां पहुंचा, तो नैना पहले से वहां खड़ी थी, हाथ में छतरी पकड़े हुए।

"अर्जुन, क्या यह सच है?" उसने हल्की आवाज़ में पूछा।

"क्या सच है?" अर्जुन ने मासूमियत का नाटक करते हुए कहा।

"कि तुम किसी और को डेट कर रहे हो?"

अर्जुन थोड़ी देर के लिए रुका और फिर बोला, "इससे क्या फर्क पड़ता है?"

नैना ने उसकी ओर देखते हुए कहा, "शायद नहीं पड़ता।"

अर्जुन को अचानक एक पछतावा हुआ। यह सिर्फ एक मज़ाक नहीं था। उसने नैना को चोट पहुंचाई थी। बिना कुछ सोचे, उसने कहा, "वह सब झूठ था, नैना। कोई और नहीं है।"

नैना ने चौंक कर उसकी ओर देखा। "क्या?"

"यह सब एक मज़ाक था," अर्जुन ने धीमी आवाज़ में कबूल किया। "मैंने यह सब एक खेल के तौर पर शुरू किया था, लेकिन अब... मुझे नहीं पता, शायद मैं तुम्हें सच में पसंद करने लगा हूं।"

नैना हैरान रह गई। "तुम मेरे साथ मज़ाक कर रहे थे? पूरे समय?"

अर्जुन ने शर्मिंदगी से सिर हिलाया। "हां, लेकिन अब मैं इसे मज़ाक नहीं बनाना चाहता। मैं बदल गया हूं, नैना।"

कुछ देर के लिए दोनों के बीच खामोशी छा गई। फिर नैना ने धीरे से कहा, "अर्जुन, क्या तुम जानते भी हो कि प्यार क्या होता है? तुम किसी की भावनाओं से खेल नहीं सकते और फिर कह सकते हो कि अब तुम सीरियस हो। प्यार मज़ाक नहीं होता।"

"मुझे पता है, और मुझे बहुत अफसोस है," अर्जुन की आवाज़ कांपने लगी। "मैंने तुम्हें चोट पहुंचाने का इरादा नहीं किया था।"

नैना ने उसे देखा, उसकी आंखों में अनिश्चितता थी। "मुझे वक्त चाहिए, अर्जुन। मुझे नहीं पता कि मैं तुम पर फिर से भरोसा कर सकती हूं या नहीं।"


अध्याय 4: अहसास की शुरुआत

अर्जुन ने अगली कई हफ्तों तक नैना से माफी मांगने की कोशिश की, लेकिन उसने दूरी बनाए रखी। उसने मज़ाक करना पूरी तरह से छोड़ दिया, ताकि नैना को यह दिखा सके कि वह बदल गया है। अब वह ज़्यादा वक्त पढ़ाई और सोचने में बिता रहा था।

एक दिन, जब अर्जुन लाइब्रेरी में अकेला बैठा था, समीर उसके पास आकर बैठ गया। "यार, लगता है तू सच में प्यार में पड़ गया है।"

अर्जुन ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इस तरह होगा, समीर। लेकिन मुझे लगता है कि तुम सही हो।"

समीर मुस्कुराया। "खैर, सच्चा प्यार हासिल करना सबसे मुश्किल शरारत होती है।"


अध्याय 5: सुखद अंत

सेमेस्टर के आखिरी दिन तक अर्जुन और नैना फिर से नहीं मिले। उस दिन तेज़ बारिश हो रही थी और अर्जुन कॉलेज के गेट के पास खड़ा बस का इंतज़ार कर रहा था। तभी उसे एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी।

"अर्जुन।"

उसने मुड़कर देखा, नैना वहां खड़ी थी, हाथ में छतरी लिए हुए।

"क्या हम बात कर सकते हैं?" उसने हल्की आवाज़ में कहा।

अर्जुन ने सिर हिलाया, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।

"मैंने बहुत सोचा," नैना ने कहना शुरू किया, "जो कुछ भी हुआ उसके बारे में। मैं बहुत आहत थी, लेकिन मैंने यह भी महसूस किया कि तुम बदल गए हो। तुम वो नहीं हो जो यह सब मज़ाक में शुरू किया था।"

अर्जुन ने उसकी आंखों में उम्मीद के साथ देखा। "तो क्या इसका मतलब है...?"

नैना ने हल्की मुस्कान दी। "मैं हमें एक मौका देने के लिए तैयार हूं। लेकिन कोई और शरारत नहीं, ठीक है?"

अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई और शरारत नहीं, यह वादा है।"

और इसी तरह, एक बारिश भरी दोपहर में, एक छतरी के नीचे, अर्जुन और नैना की कहानी शुरू हुई—एक मज़ाक से नहीं, बल्कि सच्चे प्यार से।


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