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झूठ के पीछे छुपा सच - Jhooth Ke Peeche Chhupa Sach - Hindi Kahani - Hindi Kahaniya

कहानी का नाम: झूठ के पीछे छुपा सच - Jhooth Ke Peeche Chhupa Sach - Hindi Kahani - Hindi Kahaniya

झूठ के पीछे छुपा सच - Jhooth Ke Peeche Chhupa Sach - Hindi Kahani - Hindi Kahaniya


Ek suspense se bhari kahani


सन्नाटे में छुपा राज़ - Andhere Mein Chhupa Sach

रात का सन्नाटा शहर पर जैसे चादर की तरह फैला हुआ था। हल्की बारिश की बूंदें खिड़कियों पर थपथपा रही थीं। आसमान में कहीं-कहीं बिजली चमक रही थी, लेकिन दूर-दूर तक कोई इंसान दिखाई नहीं दे रहा था। ऐसे में राघव मेहता अपने घर की छत पर खड़ा था, उसकी नज़रें दूर कहीं अंधेरे में खोई हुई थीं। उसका चेहरा शांत था, लेकिन अंदर कुछ उथल-पुथल मची हुई थी।

हवा में ठंडक थी, लेकिन राघव के माथे पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं। उसके हाथ में एक फोन था, जो उसने कसकर पकड़ा हुआ था, जैसे वो कुछ बेहद ज़रूरी और खतरनाक चीज़ से जुड़ा हो। फोन की स्क्रीन पर हल्की-सी रोशनी थी, लेकिन स्क्रीन पर जो था, वो राघव को भीतर तक हिला देने के लिए काफी था।


रात की रहस्यमयी कॉल - Raat Ka Gawah

घड़ी में रात के दो बज रहे थे। राघव का फोन अचानक बज उठा। वो अपने बिस्तर पर था, नींद में डूबा हुआ, लेकिन फोन की आवाज़ ने उसे जैसे एक झटके में जगा दिया। उसकी पत्नी मीरा गहरी नींद में सो रही थी, और बच्चों के कमरे से भी कोई हलचल नहीं थी। फोन की स्क्रीन पर कोई नाम नहीं था, सिर्फ़ एक अज्ञात नंबर झलक रहा था।

राघव ने फोन उठाया, उसकी आवाज़ में हल्की-सी बेचैनी थी।

राघव: (ध्यान से सुनते हुए) "कौन है?"

दूसरी तरफ़ से कुछ देर तक सिर्फ़ सन्नाटा था। फिर एक धीमी, गहरी आवाज़ आई।

आवाज़:
"तुम सच को कब तक छुपा पाओगे, राघव? हर राज़ की एक सीमा होती है।"

राघव का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसे ये आवाज़ कहीं सुनी-सुनी लगी, लेकिन वो समझ नहीं पाया कि ये कौन था। उसने जल्दी से फोन काट दिया और कमरे के बाहर निकल आया। उसे लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है, जैसे अंधेरे में छुपकर कोई उसकी हर हरकत पर नज़र रखे हुए हो।


अतीत की परछाइयाँ - Andheron Mein Gum Raaste

राघव की ज़िन्दगी दिखने में बेहद सामान्य थी। वह एक साधारण आदमी था, एक केबल टीवी ऑपरेटर जो शहर के छोटे से मोहल्ले में रहता था। उसकी पत्नी मीरा, उसकी बेटी अनन्या और बेटा अर्जुन उसकी दुनिया थे। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से उसकी ज़िन्दगी में एक अजीब सी हलचल शुरू हो चुकी थी।

वो फोन कॉल, जो उसने रात में सुनी थी, उसे बार-बार परेशान कर रही थी। ऐसा लगता था जैसे उसका अतीत, जिसे उसने बड़ी मेहनत से दफन कर दिया था, अब फिर से ज़िंदा हो रहा था। लेकिन वो अतीत क्या था? क्या वो वाकई किसी खतरे में था, या ये सिर्फ़ उसका भ्रम था?

सुबह होते ही राघव ने खुद को सामान्य दिखाने की कोशिश की। वो अपने रोज़ के कामों में लग गया, लेकिन उसका मन हर वक्त बेचैन था। उसके घर में किसी को भी उसके भीतर चल रही इस जंग की खबर नहीं थी। मीरा और बच्चे, सब उसकी मुस्कुराहट के पीछे का सच नहीं जानते थे।


खामोश निगाहें - Gumnaam Sachchai

राघव जब बाजार से लौट रहा था, तब उसे फिर से ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसे देख रहा हो। उसकी चाल अचानक धीमी हो गई। उसने चारों तरफ नज़रें दौड़ाई, लेकिन हर तरफ सिर्फ़ भीड़ और शोर-शराबा था। कोई अजीब चीज़ नहीं दिखी, लेकिन उसके अंदर कुछ था जो उसे इशारा कर रहा था कि कुछ गलत हो रहा है।

राघव (अपने मन में):
"कहीं मैं खुद ही तो नहीं डर रहा हूँ? ये सब मेरे दिमाग का खेल है, या वाकई कुछ है जो मेरी नजरों से छुपा हुआ है?"

वो तेज़ कदमों से घर की ओर बढ़ने लगा। हर कदम के साथ उसकी बेचैनी और बढ़ रही थी। घर पहुँचते ही उसने दरवाज़ा बंद किया और साँस में साँस आई। लेकिन उसके दिमाग में अब भी वो कॉल और वो आवाज़ गूँज रही थी।

राघव (अपने मन में):
"ये कौन हो सकता है? कौन जानता है मेरा राज़? मैंने तो सब कुछ मिटा दिया था।"


अतीत का काला सच - Chhupa hua Sach

राघव का अतीत एक काले धुंधले राज़ से भरा हुआ था। कुछ साल पहले, एक दुर्घटना हुई थी, जिसने उसकी ज़िन्दगी की दिशा बदल दी थी। उस रात, जब उसके घर में एक अनचाहा मेहमान आया था - मानव, एसपी विक्रम जोशी का बेटा। और उस रात के बाद से, राघव और उसका परिवार उस राज़ के नीचे दबा हुआ था।

मानव का ब्लैकमेल, अनन्या का गुस्सा, और उस भयानक दुर्घटना ने राघव को एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था, जहां से वापस लौटना मुमकिन नहीं था। राघव ने अपने परिवार को बचाने के लिए मानव की लाश को ठिकाने लगाया था और सबूत मिटा दिए थे।

उसने ये सब सोच-समझकर किया था, लेकिन अब वही राज़ उसके सामने अंधेरे की तरह फैल रहा था। वो समझ नहीं पा रहा था कि कौन उस रात की सच्चाई जानता है और अब उसे क्यों धमकाने की कोशिश कर रहा है।


डर का बढ़ता साया - Ek Jhooth Ki Duniya

दिन बीतते जा रहे थे, लेकिन राघव की बेचैनी खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। वो लगातार सोचता रहता था कि क्या उसका राज़ बाहर आने वाला है। दूसरी तरफ़, पुलिस अभी भी मानव के लापता होने की जांच कर रही थी, लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला था।

राघव का शक अब हर किसी पर बढ़ रहा था। वो अपने दोस्तों, अपने पड़ोसियों और यहां तक कि अपनी ही फैमिली से भी सवाल करने लगा था।

मीरा:
"राघव, तुम आजकल बहुत चुप-चुप रहते हो। क्या बात है?"

राघव:
(मुस्कुराते हुए) "कुछ नहीं मीरा, बस काम का थोड़ा ज्यादा दबाव है। सब ठीक है।"

लेकिन मीरा उसकी आंखों में छिपे डर को पढ़ सकती थी। वो जानती थी कि कुछ गलत है, लेकिन राघव ने कभी उसे कुछ बताने नहीं दिया।


पुलिस का नया कदम - Khatam Hone Wala Raaz

एसपी विक्रम जोशी, जो मानव के पिता थे, अब बेहद बेचैन हो गए थे। उनका बेटा लापता था और पुलिस की जांच कहीं नहीं पहुंच रही थी। वो समझ चुके थे कि मामला सिर्फ़ एक साधारण गुमशुदगी का नहीं है।

एक दिन, विक्रम ने अपने भरोसेमंद पुलिस अधिकारियों को बुलाया और कहा,

विक्रम जोशी:
"ये मामला अब मेरे लिए पर्सनल हो गया है। किसी भी हाल में मुझे मेरे बेटे का पता लगाना है। अगर कोई भी इसमें शामिल है, तो उसे मैं छोड़ने वाला नहीं हूँ।"

अब पुलिस की तफ्तीश एक नया मोड़ लेने वाली थी।

एसपी विक्रम की तफ्तीश - 

एसपी विक्रम जोशी के आदेश पर पुलिस की जांच और तेज़ हो गई। विक्रम अब अपनी निजी भावनाओं को इस मामले में शामिल कर चुका था, और वो हर किसी पर शक करने लगा था। उसने अपने कुछ भरोसेमंद अधिकारियों को बुलाकर आदेश दिया कि वो मानव के लापता होने की आखिरी जानकारी से जुड़े सभी लोगों से फिर से पूछताछ करें।

विक्रम का शक अब राघव और उसके परिवार पर गहराता जा रहा था, क्योंकि मानव आखिरी बार राघव के इलाके में देखा गया था।


परिवार पर पड़ता दबाव

राघव के घर पर अब तनाव बढ़ता जा रहा था। मीरा, जो अब तक सिर्फ अपने पति पर भरोसा कर रही थी, धीरे-धीरे घबराने लगी थी। उसकी बेटी अनन्या भी मानसिक रूप से टूट चुकी थी। उसे हर वक्त डर सताता था कि कहीं पुलिस उनके घर न आ जाए और उनका राज़ खुल जाए।

राघव ने कोशिश की कि वो अपने परिवार को शांत रखे, लेकिन वो खुद भी अब अपने झूठ के जाल में उलझता जा रहा था। एक दिन, जब वो मीरा से बात कर रहा था, तो उसने महसूस किया कि अब उनके पास समय कम है।

राघव:
"मीरा, हमें हर हाल में सच छुपाना होगा। पुलिस अब हमारे करीब आ रही है।"

मीरा:
"राघव, मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही। ये डर... ये चिंता, ये सब मुझसे नहीं झेला जाता। क्या सच में हम इससे बच पाएंगे?"

राघव:
"हमें कोई और रास्ता नहीं है। अगर हमने सच कहा, तो अनन्या की ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी।"

मीरा ने राघव की आंखों में झाँका। उसे दिख रहा था कि राघव खुद भी टूट चुका था, लेकिन वो अब भी अपने परिवार के लिए मजबूत बना हुआ था।


पुलिस का शिकंजा

पुलिस अब राघव के घर के आस-पास मंडराने लगी थी। एक दिन एसपी विक्रम ने अपने अधिकारियों के साथ राघव के घर की तलाशी लेने का फैसला किया। वो खुद भी अपने जवानों के साथ घर पर पहुंचा।

दरवाजा खोलते ही राघव का सामना विक्रम से हुआ। विक्रम की आंखों में गुस्से की लहरें थीं, लेकिन उसने संयम बनाए रखा।

विक्रम:
"हम आपके घर की तलाशी लेने आए हैं, राघव। हमें शक है कि आपके परिवार का मेरे बेटे की गुमशुदगी से कोई संबंध है।"

राघव:
(शांत स्वर में) "आप अपना काम कीजिए, विक्रम साहब। हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन यकीन मानिए, हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।"

पुलिस ने घर की छानबीन शुरू कर दी। हर कोने में, हर अलमारी में, हर उस जगह जहां कुछ छुपाया जा सकता था, पुलिस ने अपनी जांच जारी रखी। मीरा और अनन्या अंदर ही अंदर डर के मारे कांप रही थीं, लेकिन राघव ने अपने चेहरे पर कोई डर नहीं दिखाया। उसने अपनी भावनाओं को बखूबी छुपा लिया था।


खतरे की दस्तक - Kaanoon Se Khel

पुलिस की तलाशी खत्म हो चुकी थी, लेकिन उन्हें कुछ खास नहीं मिला। विक्रम का शक अब भी राघव पर था, लेकिन उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं था। तलाशी के बाद पुलिस चली गई, लेकिन राघव के मन में अब भी एक अजीब-सी बेचैनी थी।

उसी रात, जब राघव अपने घर की छत पर अकेला खड़ा था, उसने दूर से कुछ आवाजें सुनीं। ऐसा लग रहा था कि कोई उसके घर के आस-पास घूम रहा है। उसने जल्दी से चारों तरफ नज़र दौड़ाई, लेकिन अंधेरे के सिवा कुछ दिखाई नहीं दिया।

फिर, अचानक से उसे एक छाया दिखी, जो उसके घर की दीवार के पास से गुज़र रही थी। राघव का दिल धड़कने लगा। उसने सोचा कि कहीं ये वही शख्स तो नहीं जो उसे धमकी दे रहा था।


छाया का पीछा - Dhoka Ya Haqiqat?

राघव ने बिना समय गवाए, उस छाया का पीछा करना शुरू कर दिया। वो तेज़ी से नीचे उतरा और घर के बाहर पहुंचा। सड़कों पर अंधेरा फैला हुआ था, लेकिन वो छाया अब भी दिख रही थी। वो तेज़ी से एक संकरी गली की ओर मुड़ी।

राघव का दिल अब और तेजी से धड़क रहा था। उसने अपने कदम बढ़ा दिए और उस गली में जा पहुंचा।

लेकिन जैसे ही उसने उस छाया को पकड़ने की कोशिश की, वो गायब हो गई। गली में सन्नाटा था, और सिर्फ राघव की सांसों की आवाज़ गूंज रही थी।

राघव (अपने मन में):
"कौन हो सकता है ये? और ये क्या चाहता है?"

उसका दिमाग अब और उलझ गया था। वो धीरे-धीरे घर वापस लौट आया, लेकिन अब उसके मन में और सवाल उठने लगे थे।


नए सबूत की तलाश - Khatam Hone Wala Raaz

अगले कुछ दिन बेहद तनाव भरे थे। पुलिस अब भी राघव के इलाके में मंडरा रही थी, और विक्रम हर रोज़ नए तरीकों से राघव पर दबाव डाल रहा था।

एक दिन, राघव की दुकान पर एक अनजान आदमी आया। उसके हाथ में एक फाइल थी, जिसे उसने राघव के सामने रख दिया।

अनजान आदमी:
"तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है। पुलिस तुम्हारे करीब आ रही है। ये लो, शायद ये तुम्हारी मदद कर सके।"

राघव ने फाइल को खोलकर देखा। उसमें कुछ दस्तावेज़ और तस्वीरें थीं, जो उस रात की घटना से जुड़ी थीं।

राघव:
"तुम कौन हो? और ये सब क्यों कर रहे हो?"

अनजान आदमी:
"मुझे मत पूछो कि मैं कौन हूँ। बस इतना जान लो, मैं तुम्हारे खिलाफ़ नहीं हूँ। लेकिन अगर तुमने सही कदम नहीं उठाए, तो सब बर्बाद हो जाएगा।"


राज़ की गहराई - Raj ki Gahrai

राघव उस फाइल के साथ अपने घर लौटा। उसने मीरा को बुलाया और फाइल उसके सामने रख दी।

मीरा:
"ये क्या है राघव? अब और क्या हुआ?"

राघव:
"ये वही रात है, मीरा। ये सबूत हमारे खिलाफ़ इस्तेमाल किए जा सकते हैं। हमें कुछ करना होगा।"

मीरा ने फाइल को देखा और उसकी आँखें डर से भर आईं।

मीरा:
"हम और कितना छुपा सकते हैं, राघव? अब तो लगता है कि सब कुछ खुल जाएगा।"

राघव:
"नहीं, हमें सोच-समझकर कदम उठाना होगा। अगर हमने एक गलत कदम उठाया, तो सब खत्म हो जाएगा।"


आखिरी खेल - Antim Mod

राघव ने अब अपने मन में ठान लिया था कि वो किसी भी हालत में अपने परिवार को बचाएगा। उसने उस अनजान आदमी की बातों पर गौर किया और एक नया प्लान तैयार किया।

उसने फाइल के कुछ पन्नों को गायब कर दिया और पुलिस के सामने जाने का फैसला किया।

अगले दिन, राघव ने विक्रम को फोन किया और कहा कि वो पुलिस स्टेशन आकर कुछ बताना चाहता है। विक्रम इस फोन कॉल से हैरान था, लेकिन उसे उम्मीद थी कि शायद अब वो सच के करीब आ रहा है।


सच और झूठ का खेल - Jhooth Ke Peeche Chhupa Sach

पुलिस स्टेशन में राघव ने विक्रम के सामने कुछ दस्तावेज़ रखे, जो उसने फाइल से निकाले थे।

राघव:
"ये लो, विक्रम। मुझे नहीं पता था कि ये चीजें मेरे पास कैसे आईं, लेकिन अब मुझे समझ में आ रहा है कि कोई हमें फँसाने की कोशिश कर रहा है।"

विक्रम ने उन दस्तावेज़ों को ध्यान से देखा। उनमें कुछ सबूत थे जो मानव की गुमशुदगी से जुड़े थे, लेकिन ये साबित नहीं कर रहे थे कि राघव का इसमें कोई हाथ है।

विक्रम:
"ये सब क्या है, राघव? तुमने मुझे ये क्यों दिया?"

राघव:
"मैं बस सच सामने लाना चाहता हूँ। मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि कोई मुझे फँसाने की कोशिश कर रहा है।"

विक्रम के मन में अब और भी सवाल उठने लगे थे। उसने सोचा कि कहीं राघव झूठ तो नहीं बोल रहा, लेकिन उसके पास फिलहाल कोई ठोस सबूत नहीं था।


खेल का अंत - Khatam Hone Wala Raaz

राघव अब अपने झूठ और सच के बीच के धागे पर चल रहा था। उसे पता था कि अगर उसने एक भी गलती की, तो उसका राज़ खुल जाएगा। लेकिन वो हर कदम फूँक-फूँक कर उठा रहा था। दूसरी तरफ विक्रम का संदेह अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था। वो राघव की बातों को ध्यान से सुनता रहा, लेकिन उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि राघव जैसा शातिर आदमी इतनी आसानी से सब कुछ क्यों बता रहा है।

अंतिम चाल - Raaz Ki Aakhri Chaal

राघव का दिमाग तेजी से चल रहा था। उसे पता था कि विक्रम के सामने वो कमजोर नहीं दिख सकता। वो जानता था कि सच को और अधिक छुपाने के लिए उसे अपनी अगली चाल बेहद सावधानी से चलनी होगी।

राघव ने फैसला किया कि अब वो पुलिस की जांच को एक नए मोड़ पर ले जाएगा। उसने मीरा से बात की और कहा कि अब उन्हें कुछ साक्ष्य को बदलना पड़ेगा ताकि शक की सुई किसी और की तरफ घूम जाए।

राघव:
"मीरा, हमें अब वो फाइल्स गायब करनी होंगी जो हमारे खिलाफ जा सकती हैं। पुलिस का ध्यान हटाने का एक ही तरीका है—उन्हें ऐसा साक्ष्य दिखाना जिससे वो किसी और दिशा में जांच करें।"

मीरा:
"राघव, तुम ये सब कैसे कर पाओगे? पुलिस हर वक्त हमारे आसपास मंडरा रही है।"

राघव:
"तुम्हें मुझ पर भरोसा करना होगा। हम ये लड़ाई तब तक लड़ सकते हैं, जब तक हमारा राज़ छुपा रहे।"


नकली साक्ष्य - Chhalawa: Sach Aur Jhooth Ki Jung

राघव ने अपने प्लान पर काम शुरू कर दिया। उसने कुछ पुराने कागजात निकाले और उनमें हेरफेर करके मानव की गुमशुदगी से जुड़े नए सुराग तैयार किए। उसने इन कागजातों में उन लोगों के नाम शामिल किए, जो इलाके में पहले से ही संदिग्ध थे।

उसने फाइल को ध्यान से तैयार किया और उसे पुलिस के हाथों में गिराने का एक तरीका सोचा। रात के अंधेरे में, उसने फाइल को विक्रम के ऑफिस के पास फेंक दिया, ताकि पुलिस को लगे कि ये फाइल गलती से यहां छूट गई है।

विक्रम को अगले दिन जब ये फाइल मिली, तो उसने फौरन इसे जांच के लिए भेजा। फाइल में जो जानकारी दी गई थी, वो किसी तीसरे व्यक्ति को संदिग्ध बना रही थी, जिससे विक्रम की दिशा बदल गई।


नए संदिग्ध की गिरफ्तारी - Aparadh Ki Chhaya

पुलिस ने फाइल की जांच शुरू की और उस नए संदिग्ध को पकड़ लिया। अब सारा ध्यान उस पर चला गया, और राघव के परिवार पर से थोड़ा दबाव कम हुआ। विक्रम का शक अभी भी पूरी तरह से दूर नहीं हुआ था, लेकिन उसकी टीम अब एक नई दिशा में काम करने लगी थी।

राघव और मीरा ने राहत की सांस ली, लेकिन उनके चेहरे पर अब भी वो चिंता की लकीरें थीं। उन्हें पता था कि ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।


अंत की शुरुआत - Fareb Ka Khel

कुछ हफ्तों के बाद, पुलिस की जांच अपने अंतिम चरण में पहुंच गई थी। नए संदिग्ध से पूछताछ जारी थी, लेकिन वो किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी। इस बीच, विक्रम के दिमाग में अब भी कुछ सवाल घुमड़ रहे थे।

एक रात, विक्रम ने एक पुरानी फाइल खंगालते हुए कुछ ऐसे सुराग पाए, जो उसे फिर से राघव की ओर ले जा रहे थे। उसने अपने सबसे भरोसेमंद अधिकारियों के साथ एक गुप्त योजना बनाई।


आखिरी कदम - Chhal ki Parchhaiyaan

विक्रम ने एक आखिरी बार राघव के घर जाने का फैसला किया। इस बार उसने पूरी तैयारी कर रखी थी। उसने बिना किसी चेतावनी के राघव के घर पर छापा मारा।

राघव और मीरा इस अचानक हुई घटना से घबरा गए।

विक्रम:
"राघव, तुम्हारा खेल अब खत्म हो गया है। मुझे पता है कि तुमने क्या किया है। लेकिन इस बार तुम बच नहीं पाओगे।"

राघव ने अपनी ओर से सब कुछ सही करने की कोशिश की थी, लेकिन अब वो विक्रम की इस चाल से बच नहीं पा रहा था। पुलिस ने घर की छानबीन शुरू की और इस बार उन्हें वो सबूत मिले, जो राघव छुपाने में असफल रहा था।


सच का खुलासा - Gumnaam Sachchai

आखिरकार, वो राज़ खुल गया जिसे राघव इतने समय से छुपा रहा था। पुलिस ने सभी साक्ष्यों को इकट्ठा किया और मानव की हत्या से जुड़े सारे पहलुओं को सामने लाया।

राघव को गिरफ्तार कर लिया गया, और उसकी पत्नी और बेटी को भी इस जांच में शामिल किया गया।


परिवार की बर्बादी - Sach Ki Keemat

राघव का परिवार अब पूरी तरह से टूट चुका था। पुलिस ने उन्हें अदालत के सामने पेश किया और धीरे-धीरे पूरा सच सामने आने लगा।

राघव ने जिस राज़ को छुपाने के लिए इतनी चालें चली थीं, वो अब सभी के सामने था। उसकी सारी कोशिशें, सारी चालें, और सारे झूठ अंत में नाकाम हो गए।


आखिर का फैसला - Khatam Hone Wala Raaz

अदालत में राघव और उसके परिवार के खिलाफ सभी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। अंत में राघव को सजा सुनाई गई।

मीरा और अनन्या के लिए ये बेहद दर्दनाक था, लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं था। उनका जीवन अब बर्बाद हो चुका था।

राघव (अदालत में):
"मैंने सिर्फ अपने परिवार को बचाने के लिए ये सब किया। लेकिन शायद मैंने गलत किया।"

अदालत में सन्नाटा छा गया। राघव ने आखिरी बार अपने परिवार की तरफ देखा, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।


इस तरह राघव की कहानी, जो झूठ और चालाकियों के सहारे आगे बढ़ी थी, एक दुखद अंत तक पहुंची।


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