भारत का इतिहास अद्भुत कहानियों से भरा हुआ है, और उनमें सबसे प्रसिद्ध कहानियाँ अकबर और बीरबल की मानी जाती हैं। मुगल बादशाह अकबर महान अपने समय के सबसे शक्तिशाली और न्यायप्रिय शासकों में से एक थे। लेकिन उनकी दरबार की जान, उनका सच्चा मित्र और सलाहकार बीरबल, जिनका असली नाम महेश दास था, उनकी चतुराई, विनोदप्रियता और बुद्धिमानी ने इतिहास में अलग ही स्थान बना दिया।
अकबर का दरबार राजमहल के सबसे भव्य हिस्से में सजता था। हर सुबह जब सूरज की किरणें लाल किले की दीवारों को छूतीं तो सोने से मढ़े दरबार-हाल की चमक कई गुना बढ़ जाती। अकबर अपने सिंहासन पर बैठते और उनके सामने दरबारी, मंत्री, सेनापति और विद्वान पंक्तिबद्ध होकर खड़े रहते।
दरबार में जब भी कोई मुश्किल सवाल आता या कोई जटिल समस्या खड़ी होती, सबकी निगाहें एक ही व्यक्ति की ओर मुड़ जातीं – बीरबल। उनका तेजस्वी चेहरा, होठों पर हल्की मुस्कान और आँखों में आत्मविश्वास उन्हें औरों से अलग करता था।
हिंदी कहानी – अकबर और बीरबल – “सबसे बड़ा सत्य क्या है?”
एक दिन दरबार में चर्चा चल रही थी। अकबर ने अचानक सबकी ओर देखते हुए कहा,
“दरबारियों! तुम सब मेरे साम्राज्य के विद्वान और अनुभवी लोग हो। आज मैं तुमसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। बताओ, इस संसार में सबसे बड़ा और अटल सत्य क्या है?”
सवाल सुनते ही सब दरबारी एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। किसी ने सोचा कि शायद उत्तर ‘धर्म’ होगा, किसी ने सोचा ‘ईश्वर’। कुछ ने ‘प्रेम’ कहा, तो कुछ ने ‘धन’।
अकबर ने एक-एक करके सबकी बातें सुनीं, लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा,
“तुम सबने अपनी-अपनी राय दी, परंतु मेरे मन में अभी भी शंका है। क्या बीरबल यहाँ हैं?”
बीरबल मुस्कुराते हुए आगे बढ़े।
“जहाँपनाह! आपके सवाल का उत्तर सरल भी है और गूढ़ भी। संसार का सबसे बड़ा और अटल सत्य है – मृत्यु। जो जन्मा है, उसका अंत निश्चित है। चाहे राजा हो या भिखारी, ज्ञानी हो या अज्ञानी, सबको एक दिन इस संसार से जाना ही पड़ता है।”
दरबार में सन्नाटा छा गया। बीरबल ने आगे कहा,
“धन, दौलत, शक्ति, सुंदरता – सब क्षणभंगुर हैं। पर मृत्यु शाश्वत सत्य है। इसे कोई बदल नहीं सकता।”
अकबर ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
“बीरबल, तुम्हारा उत्तर मेरे हृदय को छू गया। सचमुच, यह सबसे बड़ा सत्य है।”
“सबसे अमूल्य वस्तु क्या है?”
बीरबल के उत्तर पर बादशाह ने उन्हें खूब सराहा और इनाम भी दिया। लेकिन दरबार के कुछ लोग, जिन्हें बीरबल से जलन थी, मन ही मन खिन्न हो गए। उनमें से एक दरबारी, नाम था तसलीम खान, बोला,
“जहाँपनाह! बीरबल हमेशा चालाकी से जवाब देते हैं और आप उन्हें पुरस्कृत कर देते हैं। असली परीक्षा तो तब है जब कोई असंभव-सा काम सामने आए।”
अकबर ने मुस्कुराकर कहा,
“ठीक है तसलीम खान, तुम कहते हो तो मैं बीरबल की परीक्षा लूँगा।”
अगले दिन अकबर ने दरबार में घोषणा की,
“बीरबल! मैं तुम्हें एक कठिन कार्य सौंपता हूँ। तुम्हें तीन दिन के भीतर ऐसी वस्तु लानी होगी जो संसार में सबसे अमूल्य हो। याद रखो, यह वस्तु धन, हीरे-जवाहरात या सोना-चाँदी जैसी न हो। वह ऐसी होनी चाहिए जिसे देखकर हर कोई मान ले कि यह सबसे कीमती है।”
दरबारियों की आँखों में चमक आ गई। वे सोचने लगे, अब बीरबल भी फँसेंगे।
बीरबल ने झुककर कहा,
“जहाँपनाह, आपकी आज्ञा शिरोधार्य। मैं तीन दिन में उत्तर लेकर हाज़िर होऊँगा।”
बीरबल दरबार से बाहर आए और सोचने लगे – आखिर सबसे अमूल्य वस्तु क्या है?
पहले दिन उन्होंने एक साधु से मुलाकात की। साधु ने कहा,
“बेटा, सबसे अमूल्य वस्तु है ‘ज्ञान’। क्योंकि ज्ञान से ही मनुष्य अज्ञानता के अंधकार से निकलकर जीवन का मार्ग देखता है।”
दूसरे दिन उन्होंने एक माँ से पूछा। माँ ने कहा,
“मेरे लिए सबसे अमूल्य है ‘संतान का जीवन’। धन-दौलत तो आती-जाती रहती है, लेकिन संतान की मुस्कान सबसे कीमती है।”
तीसरे दिन बीरबल गाँव के एक बूढ़े किसान के पास गए। किसान बोला,
“महाराज, मेरे लिए सबसे अमूल्य है ‘समय’। क्योंकि समय गया तो लौटकर नहीं आता। धन, फसल, सब वापस मिल सकते हैं, पर बीता हुआ समय कभी नहीं।”
बीरबल ने गहरी सोच में डूबकर तीनों उत्तर अपने मन में बैठा लिए और दरबार लौट आए।
तीन दिन बाद दरबार सजा। अकबर ने पूछा,
“बीरबल! बताओ, तुम कौन-सी सबसे अमूल्य वस्तु लेकर आए हो?”
बीरबल ने मुस्कुराकर कहा,
“जहाँपनाह, मैंने वस्तु तो नहीं लाई, लेकिन तीन अमूल्य चीज़ें लेकर आया हूँ।”
सब दरबारी चौंक गए। बीरबल ने समझाया,
“पहली अमूल्य वस्तु है – ज्ञान। क्योंकि ज्ञान से जीवन का अंधकार मिटता है।
दूसरी अमूल्य वस्तु है – संतान का जीवन और प्रेम। यह माता-पिता के लिए सबसे बड़ी दौलत है।
और तीसरी अमूल्य वस्तु है – समय। क्योंकि समय लौटकर नहीं आता और वही सबसे मूल्यवान है।”
उन्होंने आगे कहा,
“जहाँपनाह, यदि इन तीनों का सही उपयोग किया जाए तो मनुष्य सुखी और सफल बन सकता है। जो समय को पहचानता है, ज्ञान को अपनाता है और प्रेम को संजोता है – वही सचमुच धनी है।”
अकबर गहरी सोच में पड़ गए। उन्होंने कहा,
“बीरबल, तुमने न केवल मेरा सवाल हल किया बल्कि जीवन का रहस्य भी खोल दिया। सचमुच, तुम मेरे सबसे विश्वसनीय मित्र हो।”
सभी दरबारी हतप्रभ रह गए। तसलीम खान झेंपकर चुप हो गया।
बादशाह ने उस दिन से एक नया नियम बनाया – दरबार में हर फैसले से पहले यह सोचा जाएगा कि उसका उपयोग समय, ज्ञान और प्रेम के आधार पर हो। यदि फैसला इन तीनों में से किसी को आहत करता है तो उसे टाल दिया जाएगा।
धीरे-धीरे यह नीति साम्राज्य में फैल गई। लोगों ने देखा कि अकबर का शासन और भी न्यायप्रिय और सुखमय हो गया है। बीरबल की बुद्धिमानी ने केवल एक प्रश्न का उत्तर नहीं दिया, बल्कि एक साम्राज्य की दिशा बदल दी।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में सबसे अमूल्य वस्तु सोना-चाँदी नहीं बल्कि ज्ञान, प्रेम और समय है। यही तीनों हमें जीवन का वास्तविक आनंद और सफलता दिलाते हैं।
बीरबल की यही विशेषता थी कि वे साधारण-सी बातों को असाधारण ढंग से प्रस्तुत करते थे। उनकी चतुराई केवल मनोरंजन नहीं करती थी, बल्कि जीवन को गहराई से समझने का मार्ग भी दिखाती थी।
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