गौरैया और बंदर की कहानी – The Story of the Sparrow and the Monkey in Hindi Kahaniya
हिंदी कहानी – गौरैया और बंदर की कहानी
“गौरैया और बंदर की कहानी” Story of the Sparrow and the Monkey पंचतंत्र की एक और प्रेरणादायक कथा है, जो यह सिखाती है कि किस प्रकार धैर्य और समझदारी के साथ अपने जीवन की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। इस कहानी में एक छोटी सी गौरैया और एक अज्ञानी और गुस्सैल बंदर के बीच संवाद के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सबक प्रस्तुत किए गए हैं।
गौरैया का घोंसला
एक बार की बात है, किसी हरे-भरे जंगल में एक गौरैया रहती थी। गौरैया बहुत ही मेहनती और समझदार थी। उसने एक मजबूत और सुरक्षित घोंसला बनाया था, जिसमें वह अपने अंडों को सुरक्षित रखती थी। गौरैया अपने घोंसले की बहुत देखभाल करती थी और अपने परिवार के साथ सुख-शांति से रहती थी। उसका घोंसला बहुत ही सुंदर और आरामदायक था, जो पेड़ की एक ऊँची शाखा पर बना था।
बंदर की हालत
इसी जंगल में एक बंदर भी रहता था। वह बंदर बहुत ही आलसी और क्रोधी स्वभाव का था। उसके पास रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं था, और वह अपनी मूर्खता के कारण हमेशा परेशान रहता था। बंदर को अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं थी, और वह हर दिन इधर-उधर भटकता रहता था, बिना किसी लक्ष्य के।
गौरैया की समझदारी
गौरैया ने एक दिन बंदर को देखा, जो बारिश से बचने के लिए इधर-उधर भटक रहा था। बंदर पूरी तरह से भीग चुका था और बहुत परेशान लग रहा था। गौरैया ने सोचा कि उसे बंदर को सलाह देनी चाहिए, ताकि वह भी अपने लिए एक सुरक्षित स्थान बना सके और इस तरह की समस्याओं से बच सके।
गौरैया ने बंदर से कहा, “तुम इतने बड़े और ताकतवर हो, लेकिन तुम्हारे पास रहने के लिए कोई घर नहीं है। देखो, मैंने कितनी मेहनत से यह घोंसला बनाया है, ताकि बारिश और तूफान से बचा जा सके। तुम भी अपने लिए एक घर बना सकते हो, जिससे तुम्हें इस तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।”
बंदर का गुस्सा और मूर्खता
गौरैया की सलाह सुनकर बंदर को बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा, “यह छोटी सी गौरैया मुझे क्या सिखाने आई है? मैं एक बड़ा और ताकतवर बंदर हूँ, और यह मुझे सलाह देने की हिम्मत कर रही है?” गुस्से में आकर बंदर ने गौरैया की ओर गुस्से से देखा और उससे कहा, “तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई मुझे सलाह देने की? मैं तुम्हारे इस घोंसले को नष्ट कर दूँगा।”
घोंसले का विनाश
बंदर ने गुस्से में आकर गौरैया के घोंसले की ओर झपट्टा मारा और उसे नष्ट कर दिया। गौरैया का मेहनत से बनाया हुआ घोंसला एक ही झटके में बर्बाद हो गया। गौरैया के अंडे भी टूट गए, और उसका परिवार बिखर गया। गौरैया इस नुकसान से बहुत दुखी हुई, लेकिन उसने धैर्य नहीं खोया।
गौरैया की प्रतिक्रिया
गौरैया ने बंदर के इस मूर्खतापूर्ण और क्रूर कृत्य पर कोई गुस्सा नहीं दिखाया। उसने सोचा, “यह बंदर मूर्ख और अज्ञानी है। इसे मेरी सलाह की कोई कीमत समझ में नहीं आई। मैं इसे अपने दुख से और परेशान नहीं करूँगी।” गौरैया ने धैर्य से काम लिया और फिर से अपने लिए एक नया घोंसला बनाने का निर्णय किया। उसने सोचा कि वह अपनी मेहनत और समझदारी से फिर से सब कुछ ठीक कर लेगी।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अज्ञानी और क्रोधी लोगों को सलाह देने से बचना चाहिए, क्योंकि वे न केवल आपकी बातों को गलत समझ सकते हैं, बल्कि वे आपको हानि भी पहुँचा सकते हैं। इसके अलावा, यह कहानी यह भी सिखाती है कि धैर्य और समझदारी के साथ हर विपत्ति का सामना किया जा सकता है। चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना ही सही मार्ग होता है।