Hindi Kahani – सिंह और सञ्जीवक ( the lion and the bull) – Panchatantra Kahani in Hindi
मित्रभेद की पहली कहानी: सिंह और सञ्जीवक
पंचतंत्र का प्रथम खंड ‘मित्रभेद’ की पहली और मुख्य कहानी सिंह और सञ्जीवक (बैल) की है। यह कहानी एक समय के दो अच्छे मित्रों और उनके बीच हुई गलतफहमियों और छल-कपट की मार्मिक कथा को प्रस्तुत करती है। इस कहानी में दिखाया गया है कि कैसे एक चालाक और धूर्त व्यक्ति (गीदड़) अपने स्वार्थ के लिए दो सच्चे मित्रों के बीच फूट डाल देता है। यह कहानी न केवल मनोरंजक है, बल्कि इससे कई जीवनोपयोगी शिक्षाएं भी मिलती हैं।
कहानी की पृष्ठभूमि
किसी समय की बात है, एक घने जंगल में पिंगलक नामक एक शक्तिशाली सिंह (शेर) रहता था। पिंगलक उस जंगल का राजा था। पिंगलक अपने साहस और बल के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन उसके दो मुख्य सहायक, करटक और दमनक नामक गीदड़, उसकी बुद्धिमत्ता का समर्थन करते थे। ये दोनों गीदड़ राजा के मंत्री थे और उसकी सेवा में हर समय तत्पर रहते थे। हालांकि, करटक और दमनक अपनी चालाकी और स्वार्थी स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे।
सञ्जीवक का जंगल में प्रवेश
इसी जंगल के पास एक गाँव था जहाँ एक बैल, सञ्जीवक, रहता था। वह बैल बड़ा बलशाली था और एक वर्धमान नाम के एक वणिक्-पुत्र के पास काम करता था। एक दिन वर्धमान ने सञ्जीवक को छोड़ दिया क्योंकि वह बीमार हो गया था और काम करने लायक नहीं रहा। सञ्जीवक अब जंगल की ओर निकल गया और वहां जाकर रहने लगा।
जंगल में सञ्जीवक धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा और वहां की हरी-भरी घास खाकर अपनी खोई हुई ताकत वापस पा ली। वह अब जोर-जोर से गरजता और अपनी मस्ती में पूरे जंगल में घूमता। उसकी आवाज़ दूर-दूर तक गूंजती थी, जिससे जंगल के अन्य जानवर डर जाते थे।
पिंगलक की चिंता
एक दिन पिंगलक नदी किनारे पानी पीने जा रहा था कि उसने सञ्जीवक की गर्जना सुनी। वह आवाज़ इतनी भयानक थी कि पिंगलक भी घबरा गया और डर के मारे पानी पीना छोड़कर वापस आ गया। सिंह सोचने लगा कि जंगल में कोई और ताकतवर जानवर आ गया है जो उसके लिए खतरा बन सकता है।
जब करटक और दमनक ने देखा कि पिंगलक परेशान और चिंतित है, तो वे उसकी सेवा में हाजिर हुए। दमनक ने पिंगलक से पूछा, “महाराज, आप इतने चिंतित क्यों हैं? क्या आपको किसी बात का भय सता रहा है?”
पिंगलक ने कहा, “मैंने अभी-अभी एक भयंकर आवाज सुनी है जो बहुत ही डरावनी थी। मुझे संदेह है कि जंगल में कोई नया, अधिक शक्तिशाली प्राणी आ गया है जो हम सबके लिए खतरा हो सकता है।”
दमनक की चाल
दमनक, जो स्वभाव से ही चालाक और धूर्त था, ने सोचा कि अगर वह इस नए जीव से पिंगलक की मित्रता करा दे, तो वह उसकी नजर में और भी प्रिय बन जाएगा। उसने पिंगलक से कहा, “महाराज, आप चिंता न करें। मुझे इस आवाज़ का स्रोत पता करने दीजिए। अगर कोई खतरा होगा, तो मैं उसे दूर करने की योजना बनाऊंगा।”
पिंगलक ने दमनक को अनुमति दी, और दमनक उस आवाज़ की दिशा में बढ़ चला। कुछ देर की खोजबीन के बाद दमनक ने सञ्जीवक को देखा, जो हरा-भरा चारा खा रहा था और अपनी मस्ती में जोर-जोर से गरज रहा था। दमनक समझ गया कि यह केवल एक बैल है और इसके पास पिंगलक को डराने की कोई शक्ति नहीं है।
दमनक ने सञ्जीवक से मुलाकात की और उससे कहा, “तुम कौन हो और इस जंगल में क्यों आए हो?” सञ्जीवक ने अपनी पूरी कहानी सुनाई और बताया कि वह एक किसान का बैल था जिसे बीमार होने के कारण छोड़ दिया गया था। अब वह जंगल में रहकर अपनी जिंदगी गुजार रहा है।
दमनक ने सोचा कि अगर वह इस बैल को पिंगलक का मित्र बना देगा, तो वह उसकी नजरों में ऊँचा उठ जाएगा। उसने सञ्जीवक से कहा, “तुम्हें इस जंगल में किसी से डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें राजा पिंगलक से मिलवाऊंगा और तुम उसकी सुरक्षा में रहोगे।”
सञ्जीवक और पिंगलक की मित्रता
दमनक सञ्जीवक को लेकर पिंगलक के पास आया। उसने पिंगलक को बताया कि यह कोई खतरनाक प्राणी नहीं, बल्कि एक सीधा-साधा बैल है। पिंगलक ने जब सञ्जीवक की सच्चाई जानी, तो उसने राहत की सांस ली और दमनक की बुद्धिमत्ता की सराहना की।
पिंगलक और सञ्जीवक की मुलाकात के बाद दोनों अच्छे मित्र बन गए। अब पिंगलक और सञ्जीवक हर समय साथ रहते, बातें करते और भोजन भी साथ में करते। धीरे-धीरे उनकी मित्रता इतनी गहरी हो गई कि पिंगलक ने करटक और दमनक से सलाह लेना भी छोड़ दिया। इससे करटक और दमनक असंतुष्ट हो गए।
करटक और दमनक की योजना
कई दिनों तक करटक और दमनक पिंगलक से अलग-थलग महसूस करते रहे। उन्होंने देखा कि सञ्जीवक अब पिंगलक का सबसे प्रिय मित्र बन गया है और उनकी कोई पूछ नहीं हो रही है। इससे दोनों के मन में जलन और द्वेष उत्पन्न हुआ। दमनक ने करटक से कहा, “अगर हम पिंगलक और सञ्जीवक के बीच फूट डालने में सफल हो जाएं, तो हम फिर से राजा के प्रिय बन सकते हैं।”
कई योजनाएं बनाने के बाद दमनक ने तय किया कि वह पिंगलक को सञ्जीवक के खिलाफ भड़काएगा। उसने पिंगलक के पास जाकर कहा, “महाराज, आपने देखा कि सञ्जीवक अब कितना घमंडी हो गया है। वह सोचता है कि वह जंगल का राजा बन सकता है। उसने आपके खिलाफ षड्यंत्र रचने की योजना बनाई है।”
पिंगलक ने पहले तो दमनक की बातों पर विश्वास नहीं किया, लेकिन जब दमनक ने अपनी चालाकी से सञ्जीवक की कुछ बातें तोड़-मरोड़ कर पेश कीं, तो पिंगलक के मन में शक उत्पन्न हो गया। उसने सोचा कि कहीं सचमुच सञ्जीवक उसके खिलाफ तो नहीं हो रहा।
पिंगलक का क्रोध
अब पिंगलक को सञ्जीवक से हर बात पर संदेह होने लगा। उसने अपने मन में निर्णय कर लिया कि अगर सञ्जीवक उसके खिलाफ है, तो उसे मार डालना ही उचित होगा। दमनक की चाल सफल हो रही थी। उसने पिंगलक को और भड़काया, और अंततः पिंगलक ने सञ्जीवक को सबक सिखाने का फैसला कर लिया।
दमनक ने दूसरी ओर सञ्जीवक के पास जाकर उसे बताया कि पिंगलक अब उस पर विश्वास नहीं करता और उसे मारने की योजना बना रहा है। सञ्जीवक ने जब यह सुना, तो वह भी क्रोधित हो गया और उसने पिंगलक के खिलाफ लड़ने का मन बना लिया। इस प्रकार, दो अच्छे मित्र अब एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए।
अंतिम टकराव और विनाश
पिंगलक और सञ्जीवक के बीच लड़ाई की स्थिति पैदा हो गई। दोनों एक-दूसरे को मारने के लिए तैयार थे। जिस समय लड़ाई होने वाली थी, उसी समय करटक ने दमनक से कहा, “हमारी चाल सफल तो हो रही है, लेकिन इसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है। एक समय पर ये दोनों मित्र थे और अब हमारे कारण दुश्मन बन गए हैं। हमें इन दोनों को लड़ने से रोकना चाहिए।”
लेकिन दमनक, जो पूरी तरह से स्वार्थी था, ने करटक की बातों को नजरअंदाज कर दिया। वह चाहता था कि पिंगलक और सञ्जीवक के बीच टकराव हो ताकि वह अपने मकसद में पूरी तरह सफल हो सके।
अंततः पिंगलक और सञ्जीवक के बीच घमासान लड़ाई हुई। दोनों ने एक-दूसरे पर प्रहार किया, लेकिन सिंह की ताकत के सामने सञ्जीवक कमजोर पड़ गया और वह मारा गया। सञ्जीवक की मृत्यु के बाद पिंगलक को एहसास हुआ कि उसने अपने सच्चे मित्र को खो दिया है। उसे गहरा पछतावा हुआ, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। सञ्जीवक की मृत्यु के बाद पिंगलक अकेला हो गया और उसकी हालत दयनीय हो गई।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं:
- मित्रता में विश्वास और समझ का होना जरूरी है: शक और संदेह से किसी भी संबंध में दरार आ सकती है। यदि पिंगलक और सञ्जीवक के बीच बेहतर संवाद होता, तो वे दमनक की चाल का शिकार नहीं होते।
- धूर्तता और चालाकी से कोई सच्चा लाभ नहीं होता: दमनक ने अपनी धूर्तता से पिंगलक और सञ्जीवक के बीच फूट डाली, लेकिन अंततः उसकी योजनाओं का परिणाम विनाशकारी हुआ।
- ईर्ष्या और जलन से दूर रहें: करटक और दमनक की ईर्ष्या ने एक अच्छी मित्रता को नष्ट कर दिया। ईर्ष्या न केवल दूसरों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि स्वयं को भी हानि पहुंचाती है।
- मित्रता का मूल्य समझें: सच्ची मित्रता जीवन में अमूल्य होती है। पिंगलक ने सञ्जीवक के साथ अपनी मित्रता की कद्र नहीं की, जिसका उसे बाद में गहरा पछतावा हुआ।