10 मजेदार कहानियां हिन्दी में – Top 10 Best Stories in Hindi

10 मजेदार कहानियां हिन्दी में – Top 10 Best Stories in Hindi - bedtime Hindi bacho ki kahani

हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे सिर्फ़ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि जीवन की अच्छी सीखों में भी आगे बढ़ें। बच्चों का बौद्धिक और मानसिक विकास कहानियों के माध्यम से बहुत आसान और मज़ेदार हो सकता है। जब हम उन्हें रात में कहानियाँ सुनाते हैं तो वे न सिर्फ़ उत्सुक होकर सुनते हैं, बल्कि यह भी सोचने लगते हैं कि आगे क्या होगा, कौन सही है और कौन गलत। इसी सोच से उनमें सही-गलत का अंतर करने की समझ विकसित होती है।

एक माँ होने के नाते, मैंने भी महसूस किया है कि कहानियाँ बच्चों की कल्पनाशक्ति को गहराई देती हैं और उन्हें अच्छे संस्कार सिखाती हैं। यही वजह है कि सोने से पहले सुनाई जाने वाली कहानियाँ बच्चों के जीवन में सकारात्मक असर डालती हैं।

इसीलिए, HindiKahaniya आपके लिए लेकर आया है 10 प्रेरणादायक Best Stories नाइट स्टोरीज़, जो आपके बच्चे को न सिर्फ़ आनंदित करेंगी बल्कि उन्हें जीवन के अनमोल सबक भी सिखाएँगी।

Top 10 Best Stories in Hindi


1. सच्चाई की जीत – लकड़हारे और जादुई कुल्हाड़ी की कहानी – Victory of Truth – Story of the Woodcutter and the Magic Axe

सच्चाई की जीत – लकड़हारे और जादुई कुल्हाड़ी की कहानी - Victory of Truth – Story of the Woodcutter and the Magic - a Short Story in Hindi
सच्चाई की जीत – लकड़हारे और जादुई कुल्हाड़ी की कहानी – Victory of Truth – Story of the Woodcutter and the Magic – a Short Story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में हरि नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह रोज़ जंगल जाकर पेड़ काटता और लकड़ियाँ बेचकर अपने परिवार का पेट पालता था। हरि ईमानदार और मेहनती था, लेकिन उसकी गरीबी कभी दूर नहीं होती थी।

एक दिन वह नदी किनारे पेड़ काट रहा था। अचानक उसका कुल्हाड़ा हाथ से छूटकर नदी में गिर गया। नदी गहरी थी, इसलिए वह कुल्हाड़ी निकाल नहीं पाया। हरि बहुत दुखी हो गया, क्योंकि उसके पास और कोई साधन नहीं था। वह बैठकर रोने लगा।

तभी नदी से एक देवी प्रकट हुईं। उन्होंने हरि से पूछा, “बेटा, तुम क्यों रो रहे हो?” हरि ने हाथ जोड़कर कहा, “माता, मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है। अब मैं काम कैसे करूँगा?”

देवी मुस्कुराईं और नदी में गईं। थोड़ी देर बाद वे एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आईं और बोलीं, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” हरि ने तुरंत सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं माता, यह मेरी नहीं है।”

फिर देवी ने नदी में जाकर चाँदी की कुल्हाड़ी निकाली और कहा, “क्या यह तुम्हारी है?” हरि ने फिर विनम्रता से कहा, “नहीं माता, यह भी मेरी नहीं है।”

अंत में देवी ने उसकी लोहे की पुरानी कुल्हाड़ी निकालकर दिखाई। हरि की आँखों में चमक आ गई और उसने कहा, “हाँ माता, यही मेरी कुल्हाड़ी है।”

देवी उसकी ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुईं और बोलीं, “तुम सच्चे और ईमानदार इंसान हो। इसलिए मैं तुम्हें ये तीनों कुल्हाड़ियाँ उपहार में देती हूँ।”

अब हरि के पास सोने, चाँदी और लोहे—तीनों कुल्हाड़ियाँ थीं। उसकी मेहनत और सच्चाई की वजह से उसका जीवन बदल गया। गाँव के लोग भी उसकी ईमानदारी देखकर प्रेरित हुए।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चाई और ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है। झूठ और लालच से केवल नुकसान ही होता है।

 


 

2. मेहनत का फल – किसान और उसके आलसी बेटों की कहानी – The Fruit of Hard Work – Story of the Farmer and His Lazy Sons

मेहनत का फल – किसान और उसके आलसी बेटों की कहानी - The Fruit of Hard Work – Story of the Farmer and His Lazy Sons - a Short Hindi story
मेहनत का फल – किसान और उसके आलसी बेटों की कहानी – The Fruit of Hard Work – Story of the Farmer and His Lazy Sons – a Short Hindi story for kids

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक बूढ़ा किसान रहता था। वह बहुत मेहनती था और दिन-रात अपने खेतों में काम करता था। लेकिन उसके तीनों बेटे बहुत आलसी थे। वे खेती-बाड़ी में कोई मदद नहीं करते थे और हमेशा मौज-मस्ती में समय बिताते थे। किसान अक्सर उन्हें समझाता, “बेटा, मेहनत के बिना जीवन में कुछ हासिल नहीं होता।” लेकिन बेटे उसकी बात को गंभीरता से नहीं लेते और हँसकर टाल देते।

समय बीतता गया और किसान बूढ़ा होता चला गया। उसे चिंता होने लगी कि उसके मरने के बाद उसके बेटे खेतों को बर्बाद कर देंगे और भूखे मर जाएंगे। एक दिन उसने बेटों को पास बुलाया और कहा, “बेटा, मैंने अपनी जमीन में एक खजाना दबाकर रखा है। जब मैं मर जाऊँ तो तुम लोग उस खजाने को खोज लेना।” यह सुनकर बेटे बहुत खुश हुए। उन्हें लगा कि अब उन्हें कभी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।

कुछ समय बाद किसान का निधन हो गया। किसान की मौत के बाद बेटों ने खेतों में खजाना खोजने का निश्चय किया। वे कुदाल और फावड़ा लेकर खेत की मिट्टी खोदने लगे। सुबह से शाम तक वे लगातार खेत जोतते रहे। उन्हें लगा कि किसी भी वक्त उन्हें खजाना मिलेगा। लेकिन घंटों मेहनत करने के बाद भी उन्हें कुछ नहीं मिला। वे निराश होकर सोचने लगे कि शायद पिता ने उनसे मज़ाक किया था।

दिन बीतते गए और उसी खोदी हुई जमीन में बारिश का मौसम आया। खेत में गहरी जुताई होने के कारण फसल बहुत अच्छी हुई। धान और गेहूँ की फसल देखकर गाँव वाले हैरान रह गए। बेटों को भी बहुत खुशी हुई क्योंकि उन्होंने पहले कभी इतनी अच्छी पैदावार नहीं देखी थी। धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि उनके पिता का खजाना वास्तव में यह उपजाऊ खेत ही था, जिसे मेहनत से ही उपजाया जा सकता था।

अब बेटों को अपने पिता की सीख समझ में आ गई। वे रोज़ खेत में मेहनत करने लगे। धीरे-धीरे वे भी मेहनती और जिम्मेदार किसान बन गए। गाँव वाले उनकी तारीफ करने लगे और उनका जीवन खुशहाल हो गया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत ही असली खजाना है। अगर हम आलस छोड़कर मेहनत करें तो जीवन में कभी भी कमी नहीं रहेगी।


 

3. दोस्ती का महत्व – हाथी और चींटियों की कहानी (Importance of Friendship – Story of the Elephant and the Ants)

दोस्ती का महत्व – हाथी और चींटियों की कहानी (Importance of Friendship – Story of the Elephant and the Ants) Hindi mini story
दोस्ती का महत्व – हाथी और चींटियों की कहानी (Importance of Friendship – Story of the Elephant and the Ants) Hindi small story

बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक विशालकाय हाथी रहता था। वह अपनी ताकत पर बहुत घमंड करता था। वह छोटे जानवरों को तंग करता, उन्हें डराता और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता। जब भी वह जंगल में घूमता, सब जानवर उससे डरकर छिप जाते। हाथी अक्सर चींटियों के घरों को अपने पैरों से कुचल देता और मज़े लेता।

एक दिन गर्मी के मौसम में हाथी तालाब की ओर पानी पीने गया। वहाँ बहुत सारी चींटियाँ भी पानी पीने आई थीं। हाथी ने उन्हें देखते ही ज़ोर से हँसते हुए कहा, “अरे नन्हीं-मुन्नी चींटियों, तुम्हारी औकात ही क्या है! मैं तो तुम्हें पल भर में कुचलकर खत्म कर सकता हूँ।” इतना कहकर उसने अपने पैरों से कई चींटियों को रौंद दिया। बाकी चींटियाँ डरकर भाग गईं, लेकिन उन्होंने तय किया कि अब वे हाथी को सबक सिखाएँगी।

कुछ दिनों बाद हाथी आराम से एक बड़े पेड़ के नीचे सो रहा था। तभी चींटियों का झुंड चुपचाप आया और हाथी के कानों और सूंड में घुस गया। उन्होंने उसे बुरी तरह काटना शुरू कर दिया। हाथी दर्द से चिल्लाने लगा, “आह! मुझे बचाओ, मुझे माफ कर दो। मैं तुम सबकी ताकत को कम समझता था, लेकिन अब मुझे समझ आ गया कि छोटे-से-छोटे जीव भी मिलकर बड़े से बड़े को हरा सकते हैं।”

चींटियों की रानी बोली, “हमें मज़ा लेने की आदत नहीं है, लेकिन तुमने हमें बहुत सताया। अगर तुम आगे से किसी को परेशान नहीं करोगे और सबके साथ दोस्ती करोगे तो हम तुम्हें छोड़ देंगे।” हाथी ने तुरंत वादा किया कि वह अब कभी किसी को तंग नहीं करेगा और सब जानवरों के साथ मिलजुलकर रहेगा।

उस दिन के बाद हाथी ने अपना घमंड छोड़ दिया और सबके साथ अच्छा व्यवहार करने लगा। जंगल के सारे जानवर उसे पसंद करने लगे। अब वह चींटियों का अच्छा दोस्त बन गया और उनकी रक्षा भी करने लगा।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए। सच्ची ताकत दोस्ती और एकता में होती है।


4. लोभ का परिणाम – लालची कुत्ते की कहानी – The Result of Greed – Story of the Greedy Dog

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक कुत्ता रहता था। वह हमेशा खाने-पीने की चीज़ें खोजता रहता और बहुत लालची था। एक दिन उसे रसोई के बाहर एक बड़ी हड्डी मिल गई। कुत्ता हड्डी को अपने मुँह में दबाकर खुशी-खुशी भागा और सोचा कि कहीं अकेले जाकर आराम से इसका मज़ा लूँगा।

वह हड्डी लेकर गाँव के पुल से होकर गुजर रहा था। पुल के नीचे साफ पानी की नदी बह रही थी। जब कुत्ते ने पानी में झाँका तो उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। लेकिन उसने सोचा कि यह कोई और कुत्ता है जिसके मुँह में भी हड्डी है। उसने मन ही मन कहा, “अरे! इसके पास भी हड्डी है। अगर मैं इसकी हड्डी भी ले लूँ तो मेरे पास दो हड्डियाँ हो जाएँगी।”

यह सोचकर कुत्ता ज़ोर से भौंकने लगा ताकि सामने वाले कुत्ते को डराकर उसकी हड्डी छीन ले। लेकिन जैसे ही उसने मुँह खोला, उसके मुँह की हड्डी पानी में गिर गई और बह गई। अब कुत्ते के पास कुछ भी नहीं बचा।

कुत्ता बहुत पछताया और सोचने लगा, “काश! मैंने लालच न किया होता और अपनी हड्डी को संभालकर रखा होता।” लेकिन अब उसे देर हो चुकी थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच करना हमेशा नुकसानदायक होता है। हमें जो है उसी में संतोष रखना चाहिए, तभी असली सुख मिलता है।

 


 

5. समझदारी का इनाम – चालाक खरगोश और शेर की कहानी – Reward of Cleverness – Story of the Clever Rabbit and the Lion

समझदारी का इनाम – चालाक खरगोश और शेर की कहानी - Reward of Cleverness – Story of the Clever Rabbit and the Lion - Hindi Kahani
समझदारी का इनाम – चालाक खरगोश और शेर की कहानी – Reward of Cleverness – Story of the Clever Rabbit and the Lion – mini child story

बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज़ कई जानवरों को मारकर खा जाता और पूरे जंगल में डर फैलाता। सभी जानवर रोज़ यही सोचते कि अब किसकी बारी होगी। आखिरकार जानवरों ने एक सभा बुलाई और तय किया कि वे बारी-बारी से रोज़ एक जानवर शेर को भेजेंगे, ताकि बाकी सब बच सकें।

कुछ दिन तक यह तरीका चलता रहा। हर दिन एक जानवर अपनी जान देकर शेर की भूख मिटाता। लेकिन सभी जानवर दुखी थे क्योंकि धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही थी। एक दिन बारी आई एक छोटे-से खरगोश की। सबको लगा कि शेर उसे पलभर में खा जाएगा। मगर खरगोश बहुत चालाक और समझदार था। उसने सोचा, “अगर मैं बुद्धि से काम लूँ तो शेर को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है।”

खरगोश जानबूझकर देर से शेर के पास पहुँचा। शेर गुस्से से दहाड़ा, “इतनी देर क्यों की? अब मैं तुम्हें मारकर तुरंत खा जाऊँगा।” खरगोश डरने का नाटक करते हुए बोला, “महाराज! मैं अकेला नहीं आया था। पाँच खरगोश आ रहे थे, लेकिन रास्ते में एक और शेर ने हमला कर दिया। उसने खुद को इस जंगल का असली राजा बताया और हमें रोक लिया। बड़ी मुश्किल से मैं बचकर आपके पास आया हूँ।”

शेर यह सुनते ही आग-बबूला हो गया और बोला, “मुझे दिखाओ वो दूसरा शेर कौन है! मैं ही इस जंगल का राजा हूँ।” खरगोश उसे एक गहरे कुएँ के पास ले गया। उसने इशारा करते हुए कहा, “महाराज, वही शेर इस कुएँ में रहता है।” शेर ने झाँककर कुएँ में देखा। उसे पानी में अपनी ही परछाई दिखाई दी। उसने सोचा कि यह वही दूसरा शेर है। गुस्से में शेर दहाड़ा और कुएँ में कूद पड़ा। लेकिन कुएँ बहुत गहरा था और शेर डूबकर मर गया।

खरगोश खुशी-खुशी बाकी जानवरों के पास लौटा और सारी बात बताई। अब सारे जानवर चैन की साँस लेने लगे। जंगल में फिर से शांति और खुशी छा गई। सभी ने मिलकर खरगोश की समझदारी की प्रशंसा की।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समझदारी और बुद्धिमानी से हम किसी भी बड़े संकट को हल कर सकते हैं। ताकत से ज़्यादा दिमाग की शक्ति महत्वपूर्ण होती है।

 


 

6. दयालुता का फल – गरीब लड़की और जादुई हांडी की कहानी – Reward of Kindness – Story of the Poor Girl and the Magic Pot

दयालुता का फल – गरीब लड़की और जादुई हांडी की कहानी – Reward of Kindness – Story of the Poor Girl and the Magic Pot. Hindi bedtime story
दयालुता का फल – गरीब लड़की और जादुई हांडी की कहानी – Reward of Kindness – Story of the Poor Girl and the Magic Pot. small child story

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में राधा नाम की एक छोटी-सी लड़की रहती थी। उसका परिवार बहुत गरीब था। उसके पिता मजदूरी करते थे और माँ दूसरों के घर काम करके किसी तरह घर का खर्च चलाती थी। कई बार ऐसा भी होता कि उनके घर में खाने तक के लिए अन्न नहीं होता। लेकिन राधा का दिल बहुत दयालु था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी।

एक दिन राधा जंगल में लकड़ियाँ बीनने गई। लौटते समय उसने रास्ते में एक बूढ़ी औरत को देखा। वह बहुत थकी हुई थी और भूख से कमजोर लग रही थी। राधा ने तुरंत अपनी झोली से रोटी का टुकड़ा निकाला और उसे दे दिया। बूढ़ी औरत ने राधा की आँखों में देखा और बोली, “बेटी, तुम्हारा दिल बहुत दयालु है। मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूँ। यह लो, यह एक जादुई हांडी है। जब भी तुम इसमें कुछ पकाओगी, यह कभी खाली नहीं होगी और हमेशा स्वादिष्ट भोजन देती रहेगी।”

राधा ने हैरानी से हांडी ली और घर लौट आई। जब उसकी माँ ने उसमें चावल पकाने चाहे तो हांडी से गरमागरम भोजन निकलने लगा और रुकने का नाम ही नहीं लिया। घर में खुशबू फैल गई और सबने पेट भरकर खाना खाया। यह देखकर परिवार की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। अब उन्हें भूखे रहने की चिंता नहीं रही।

धीरे-धीरे राधा और उसका परिवार गाँव के गरीब और भूखे लोगों को भी उस हांडी से भोजन कराने लगे। गाँव वाले राधा की दयालुता देखकर बहुत प्रभावित हुए। सभी लोग उसे आशीर्वाद देने लगे।

एक दिन गाँव का लालची जमींदार उस हांडी के बारे में जान गया। उसने राधा के घर से हांडी चुराने की योजना बनाई। रात को वह चुपके से घर में घुसा और हांडी उठा ले गया। लेकिन जब उसने उसमें खाना पकाने की कोशिश की तो हांडी ने भोजन निकालना शुरू तो किया, मगर वह सड़ा-गला और बदबूदार था। जमींदार गुस्से से चिल्लाने लगा और हांडी को बाहर फेंक दिया। अगले दिन हांडी किसी तरह वापस राधा के घर पहुँची।

गाँव वालों ने यह देखकर समझा कि यह हांडी सिर्फ उसी के पास रह सकती है जिसके दिल में सच्ची दया हो। राधा और उसका परिवार अब कभी भूखा नहीं रहा और उन्होंने हमेशा गरीबों और भूखों को खाना खिलाना जारी रखा।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दयालुता का फल हमेशा मीठा होता है। जो दूसरों की मदद करता है, ईश्वर भी उसकी मदद करता है।

 


 

7. विद्या का महत्व – दो दोस्तों और परी की कहानी – Importance of Knowledge – Story of Two Friends and the Fairy

विद्या का महत्व – दो दोस्तों और परी की कहानी - Importance of Knowledge – Story of Two Friends and the Fairy - short hindi story tales
विद्या का महत्व – दो दोस्तों और परी की कहानी – Importance of Knowledge – Story of Two Friends and the Fairy

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में अर्जुन और विक्रम नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों गरीब परिवार से थे, लेकिन उनमें बड़ा बनने की चाह थी। एक दिन दोनों ने ठान लिया कि वे जंगल में जाकर भगवान से प्रार्थना करेंगे ताकि उन्हें सुख और धन मिले।

वे कई दिनों तक जंगल में तपस्या करने लगे। उनकी सच्ची भक्ति देखकर एक परी उनके सामने प्रकट हुई। परी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। तुम दोनों अपनी-अपनी इच्छा मांग सकते हो।”

विक्रम तुरंत बोला, “मुझे ढेर सारा सोना और हीरे चाहिए, ताकि मैं अमीर बन जाऊँ।” परी ने उसकी इच्छा पूरी कर दी। देखते ही देखते उसके सामने सोने-चाँदी का ढेर लग गया। विक्रम खुशी से उछल पड़ा।

अब बारी थी अर्जुन की। उसने थोड़ी देर सोचकर कहा, “मुझे विद्या चाहिए, ताकि मैं ज्ञान प्राप्त कर सकूँ और दूसरों के काम आ सकूँ।” परी उसकी इच्छा सुनकर मुस्कुराई और बोली, “तुमने सबसे मूल्यवान चीज़ मांगी है। तुम्हें ऐसा ज्ञान मिलेगा, जिससे तुम अपने जीवन के साथ-साथ दूसरों का जीवन भी सुधार सकोगे।”

कुछ समय तक दोनों दोस्त अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो गए। विक्रम के पास धन तो बहुत था, लेकिन उसे समझदारी की कमी थी। वह बुरी संगत में पड़ गया और धीरे-धीरे उसका सारा धन खत्म हो गया। लोग भी उससे दूर होने लगे, क्योंकि वह घमंडी और स्वार्थी हो गया था।

दूसरी ओर अर्जुन ने विद्या के बल पर नए-नए काम सीखे, गाँव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और लोगों की समस्याएँ हल करने लगा। धीरे-धीरे लोग उसका सम्मान करने लगे और राजा ने भी उसे दरबार में जगह दी। अर्जुन गरीबों की मदद करता और समाज में अच्छाई फैलाता रहा।

आखिरकार विक्रम को समझ आया कि असली दौलत सोना-चाँदी नहीं बल्कि ज्ञान है। उसने अर्जुन से माफी मांगी और कहा, “मुझे अब समझ आया कि विद्या ही असली खजाना है, जो कभी खत्म नहीं होता।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धन खो सकता है, लेकिन विद्या और ज्ञान हमेशा साथ रहते हैं और जीवन को सफल बनाते हैं।

 


 

8. अभिमान का अंत – घमंडी हाथी और छोटे चूहे की कहानी – End of Pride – Story of the Arrogant Elephant and the Little Mouse

अभिमान का अंत – घमंडी हाथी और छोटे चूहे की कहानी – End of Pride – Story of the Arrogant Elephant and the Little Mouse - A mini kids Story
अभिमान का अंत – घमंडी हाथी और छोटे चूहे की कहानी – End of Pride – Story of the Arrogant Elephant and the Little Mouse story in hindi

बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक विशाल हाथी रहता था। वह ताकतवर था और अपने बल पर घमंड करता था। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे, क्योंकि वह रास्ता चलते छोटे जानवरों को रौंद देता और पेड़-पौधों को भी तोड़ डालता।

एक दिन हाथी तालाब से पानी पीकर लौट रहा था। तभी एक छोटा-सा चूहा उसके रास्ते में आ गया। हाथी ने गुस्से से कहा, “दूर हट जा नन्हे! क्या तेरा भी कोई अस्तित्व है मेरे सामने?” चूहे ने विनम्रता से कहा, “भाई हाथी, आकार बड़ा या छोटा होना महत्वपूर्ण नहीं है। हर किसी की अपनी ताकत होती है। एक दिन तुम्हें मेरी ज़रूरत पड़ेगी।” हाथी ठहाका मारकर हँस पड़ा और बोला, “तुम जैसे छोटे जीव मेरी क्या मदद करेंगे?”

कुछ दिनों बाद हाथी शिकारियों के जाल में फँस गया। उसने अपनी पूरी ताकत लगाई लेकिन रस्सियों को तोड़ नहीं पाया। जितना वह छटपटाता, उतना ही जाल कसता गया। वह जोर-जोर से चिंघाड़ने लगा।

आवाज़ सुनकर वही छोटा चूहा अपने साथियों के साथ वहाँ पहुँचा। चूहे ने तुरंत अपने तेज दाँतों से रस्सियाँ काटनी शुरू कीं। धीरे-धीरे रस्सियाँ टूट गईं और हाथी आज़ाद हो गया।

हाथी शर्मिंदा होकर बोला, “छोटे भाई, आज तुमने मेरी जान बचाई। मैं तुम्हें छोटा समझकर अभिमान करता था, लेकिन अब समझ गया हूँ कि किसी को भी उसके आकार से नहीं आँकना चाहिए। हर किसी का महत्व होता है।”

चूहे ने मुस्कुराकर कहा, “यही प्रकृति का नियम है, बड़े और छोटे मिलकर ही जीवन का संतुलन बनाए रखते हैं।”

उस दिन के बाद हाथी का अभिमान समाप्त हो गया और वह जंगल में सबके साथ मिल-जुलकर रहने लगा।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंड कभी भी स्थायी नहीं होता। सच्ची ताकत सहयोग और विनम्रता में होती है।

 


 

9. मेहनत का फल – किसान और उसका खेत – Reward of Hard Work – Story of the Farmer and His Field

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मेहनत का फल – किसान और उसका खेत – Reward of Hard Work – Story of the Farmer and His Field – hindi kahaniyan bacchon ke liye choti kahani

बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन बहुत मेहनती और ईमानदार था। उसके पास छोटा-सा खेत था, जिसमें वह दिन-रात काम करता। परंतु कई सालों तक फसल अच्छी नहीं हुई, कभी बारिश कम होती तो कभी कीड़े फसल खराब कर देते।

गाँव वाले उसका मज़ाक उड़ाते और कहते, “रामू, इतनी मेहनत करने का क्या फायदा? तुम्हें कभी अच्छी फसल नहीं मिलेगी।” लेकिन रामू हार मानने वालों में से नहीं था। वह हमेशा कहता, “मेहनत करने वाले को एक दिन ज़रूर फल मिलता है।”

एक साल रामू ने पहले से भी अधिक मेहनत करने का निश्चय किया। उसने खेत की अच्छी तरह जुताई की, समय पर बीज बोए और फसल की देखभाल बच्चों की तरह की। दिन-रात वह खेत में मेहनत करता रहा।

धीरे-धीरे मौसम ने भी साथ दिया। समय पर बारिश हुई और रामू की फसल लहलहाने लगी। सुनहरी बालियाँ खेत में लहराने लगीं और दूर-दूर तक उसका खेत चमकने लगा। अब गाँव वाले वही लोग, जो उसका मज़ाक उड़ाते थे, उसके खेत को देखकर दंग रह गए।

फसल इतनी अच्छी हुई कि रामू न केवल अपने परिवार का पेट भर सका, बल्कि बाकी अनाज बेचकर उसने कर्ज़ भी चुका दिया। अगले साल उसने और ज़मीन खरीदी और दूसरे किसानों की भी मदद करने लगा।

रामू गर्व से बोला, “अगर इंसान मेहनत और धैर्य रखे तो असफलता कभी स्थायी नहीं रहती। ईश्वर भी मेहनती का साथ देता है।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। धैर्य और लगन से किया गया काम हमेशा सफलता दिलाता है।

 


 

10. दया का वरदान – घायल पक्षी और चरवाहे की कहानी Blessing of Kindness – Story of the Wounded Bird and the Shepherd

दया का वरदान – घायल पक्षी और चरवाहे की कहानी Blessing of Kindness – Story of the Wounded Bird and the Shepherd - bacho ki choti kahani
दया का वरदान – घायल पक्षी और चरवाहे की कहानी Blessing of Kindness – Story of the Wounded Bird and the Shepherd

बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक चरवाहा रहता था। वह रोज़ अपने भेड़ों और बकरियों को चराने के लिए जंगल में ले जाता था। मोहन का स्वभाव बहुत दयालु था, वह कभी किसी को कष्ट नहीं देता था।

एक दिन जंगल में घूमते हुए उसे एक छोटा पक्षी मिला जिसकी पंख में चोट लगी थी। वह दर्द से तड़प रहा था और उड़ नहीं पा रहा था। मोहन ने उसे उठाकर धीरे से अपनी ओढ़नी में लपेट लिया और गाँव ले आया। उसने पक्षी की देखभाल की, उसके घाव पर मरहम लगाया और रोज़ उसे दाना-पानी खिलाता।

कुछ ही दिनों में पक्षी पूरी तरह ठीक हो गया। एक सुबह जब मोहन उसे खुले आकाश में छोड़ने ले गया तो पक्षी ने उड़ने से पहले उसके चारों ओर चक्कर लगाया। मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, “जा प्यारे! अब आज़ाद होकर उड़।” पक्षी आकाश में उड़ गया, लेकिन उसकी आँखों में आभार की चमक थी।

कई महीने बाद गाँव में अकाल पड़ा। खेत सूख गए और लोगों के पास खाने के लिए अन्न नहीं बचा। मोहन बहुत चिंतित था कि अपनी भेड़ों और परिवार का पेट कैसे भरे। तभी एक सुबह वही पक्षी वापस आया। उसकी चोंच में एक चमकता हुआ बीज था। पक्षी ने वह बीज मोहन के खेत में गिरा दिया और उड़ गया।

मोहन ने उस बीज को सँभालकर बोया। आश्चर्य की बात यह थी कि थोड़े ही समय में उस बीज से एक अद्भुत पौधा उगा, जिस पर अनगिनत सुनहरे दाने लगे। मोहन ने उन दानों को बाँटकर पूरे गाँव को भूख से बचा लिया।

गाँव के लोग हैरान थे और सबने मिलकर कहा, “यह दया का वरदान है। जिस दया से मोहन ने एक छोटे पक्षी की जान बचाई, उसी दया ने आज पूरे गाँव को बचा लिया।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दया और करुणा कभी व्यर्थ नहीं जाती। किसी की मदद करने से उसका आशीर्वाद जीवन में चमत्कार लाता है।

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सरिता

नमस्ते! मेरा नाम सरिता है। मेरी दिलचस्पी कहानियों के जादुई संसार में बचपन से ही रही है। मुझे यकीन है कि हर कहानी में एक नया अनुभव, एक नई सीख और एक अलग संसार छिपा होता है। मेरी वेबसाइट, "हिंदी कहानियाँ," उन सभी कहानियों का संग्रह है जिनसे आपको प्यार, संघर्ष, परिवार, और जीवन की वास्तविकताओं से जुड़ी दिलचस्प कहानियाँ पढ़ने को मिलेंगी। मेरा उद्देश्य केवल कहानियाँ सुनाना नहीं, बल्कि मुझे विश्वास है कि कहानियाँ हमें एक-दूसरे से जोड़ती हैं और हमारे जीवन को और भी खूबसूरत बनाती हैं। आपका इस सफर का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद! चलिए, मिलकर कहानियों की इस दुनिया को और भी खूबसूरत बनाते हैं।